पाइका के पहले चरण को केन्द्र सरकार से मंजूरी मिलने और इसके लिए बजट मिलने के बाद अब दूसरे चरण के लिए प्रदेश के खेल विभाग ने कवायद प्रारंभ कर दी है। खेल संचालक जीपी सिंह ने सोमवार को सभी जिलों के खेल अधिकारियों की क्लास लेकर उनको पाइका के बारे में प्रशिक्षण दिया। इधर खेल अधिकारियों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि उनको पाइका योजना के लिए गांव-गांव भाग दौड़ करनी पड़ रही है और इसके लिए भत्ता भी नहीं दिया जा रहा है।
केन्द्र सरकार की गांव-गांव में खेलों को पहुंचाने की योजना के लिए प्रदेश के ९८२ गांवों का चयन पहले चरण के लिए कर लिया गया है। इसके लिए जहां केन्द सरकार से करीब १० करोड़ का बजट पास हो गया है, वहीं प्रदेश सरकार ने भी इसके लिए २ करोड़ ६६ लाख की राशि दे दी है। इस योजना में ग्रामीण खेलों को भी शामिल किया गया है। साथ ही योजना में किए गए कुछ बदलावों के बारे में जानकारी देने के लिए मंगलवार को खेल संचालक जीपी सिंह ने सभी जिलों के खेल अधिकारियों की क्लास ली, उनको पाइका पर गंभीरता से काम करने के लिए कहा। सभी खेल अधिकारियों को पाइका में किस तरह से काम करना है और कैसे ग्रामीण खेलों को विकासखंड स्तर से लेकर जिला और राज्य स्तर पर आयोजन करना है, सके बारे में जानकारी दी। इसी के साथ पाइका के दूसरे चरण की तैयारी करने के भी निर्देश दिए।
भत्ता दिया जाए
सभी जिलों से आए खेल अधिकारियों को इस बात की शिकायत है कि पाइका को लेकर बहुत ज्यादा जानकारी एकत्रित करने का काम संचालनालय द्वारा दिया गया है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर कुछ नहीं दिया गया है। इनका एक स्वर में कहना है कि बिना भत्ते के काम कैसे किया जा सकता है। जिलों से काफी दूर-दूर गांवों में जानकारी लेने जाना बिना साधन के संभव नहीं है। साधन और भत्ता दोनों देने की बात इन अधिकारियों ने कही है।
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