बुधवार, 1 जुलाई 2009

न्यूजीलैंड से न होता मैच ड्रा -फाइनल की आसान होती राह

विश्व कप हॉकी में खेलकर लौटे राजनांदगांव के मृणाल चौबे से बातचीत
विश्व कप हॉकी के एक मैच में अगर हमारी भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड के साथ मैच ड्रा न खेला होता तो फाइनल की राह आसान हो जाती। इस एक ड्रा के कारण ही भारतीय टीम सुपर आठ में नहीं पहुंच सकी और भारत को चैंपियनशिप में ९ वां स्थान मिला। वैसे भारत को सुपर आठ से बाहर करने में न्यूजीलैंड और हॉलैंड के मैच का भी अहम रोल रहा। इस मैच को एक तरह से फिक्स किया गया था क्योंकि हॉलैंड की टीम भारत का सामना नहीं करना चाहती थी। हॉलैंड के कोच ने कहा भी था कि हम भारत से फिर से खेलना नहीं चाहते हैं।

ये बातें यहां पर विशेष चर्चा में विश्व कप हॉकी में भारतीय टीम के गोलकीपर रहे राजनांदगांव के मृणाल चौबे ने कहीं। उन्होंने बताया कि सिंगापुर और मलेशिया की संयुक्त मेजबानी में खेले गए विश्व कप में भारतीय टीम का दुर्भाग्य रहा कि वह फाइनल तक नहीं पहुंच पाई, वरना विश्व कप में खेलने वाली ज्यादातर टीमों के प्रशिक्षकों का यही मानना था कि भारतीय टीम सबसे मजबूत है। इसका सबसे बड़ा सबूत यह भी है कि जब भारतीय टीम की गाड़ी सुपर आठ के लिए आकर न्यूजीलैंड और हॉलैंड के मैच पर अटक गई थी तो इस मैच को एक तरह से फिक्स किया गया और भारतीय टीम को बाहर करने के लिए दोनों टीमों ने मैच ड्रा खेलने पर सहमति बना ली। बकौल मृणाल हॉलैंड टीम के कोच ने अधिकृत बयान दिया था कि उनकी टीम भारतीय टीम का सामना नहीं करना चाहती है।

हॉलैंड को जिस तरह से लीग मैचों में भारत के खिलाफ बड़ी मुश्किल से ३-२ से जीत मिली थी, उसके बाद टीम का यह सोचना गलत नहीं था कि अगर भारतीय टीम से फिर से सामना हुआ तो टीम उसको मात देने में पीछे नहीं हटेगी। इधर न्यूजीलैंड की टीम को भी मालूम था कि भारतीय टीम को उसने कैसे बड़ी मुश्किल से ड्रा पर रोका था। इस मैच में भारतीय खिलाडिय़ों ने कुछ गलतियां नहीं की होतीं और यह मैच जीत लिया होता तो भारत को सुपर आठ में स्थान मिल जाता। मृणाल भी कहते हैं कि यही एक मैच ड्रा रहने का मलाल उनको ही नहीं पूरी टीम को रहा है। अगर इस मैच में हमारी किस्मत ने साथ दिया होता तो हमारी टीम न सिर्फ सुपर आठ में पहुंच जाती, बल्कि फाइनल में भी पहुंच जाती। वे बताते हैं कि हर देश की टीम ने भारतीय टीम का लोहा माना और कहा कि यह टीम सबसे मजबूत टीम है। भारतीय टीम के मजबूत होने का और सबूत यह भी है कि टीम ने जो ९ मैच खेले उसमें से सात जीते एक हारा और एक मैच ड्रा रहा। भारत ने सिंगापुर को १०-२, पोलैंड को ४-२, बेल्जियम को ४-०, इंग्लैंड को ७-०, जापान को ९-२ से हराया। मृणाल ने बताया कि भारतीय टीम को इसलिए भी मजबूत माना गया क्योंकि उसने चैंपियनशिप में जहां सबसे ज्यादा ४२ गोल किए, वहीं सबसे कम गोल भी खाएं। मृणाल ने बताया कि सभी मैचों में उनको ही गोलकीपिंग करने का मौका दिया गया।

८ चैंपियनशिप में सात पदक
छत्तीसगढ़ से विश्व कप में खेलने वाले इस पहले खिलाड़ी मृणाल चौबे ने पूछने पर बताया कि वे अब तक आठ अंतरराष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेल चुके हैं जिसमें इस विश्व कप को छोड़कर बाकी सभी में टीम ने पदक जीते हैं। उन्होंने बताया कि सिंगापुर में तीन,मलेशिया में दो, आस्ट्रेलिया में एक और भारत में एक एशियन चैंपियनशिप में पदक जीते हैं। उन्होंने बताया कि भारत में पिछले साल हुई एशियन चैंपियनशिप में भारतीय टीम ने स्वर्ण पदक जीता था। उन्होंने बताया कि इस चैंपियनशिप में उनके नाम एक रिकॉर्ड यह बना कि वे गोलकीपर के साथ फारवर्ड के रूप में भी फाइनल मैच में खेले। मृणाल ने बताया कि अब उनकी नजरें कामनवेल्थ चैंपियनशिप पर हैं।


शेरा क्लब ने किया सम्मान
मृणाल का राजधानी आने पर शेरा क्लब ने उनको अपने क्लब में बुलाकर सम्मान किया और उनको एक स्मृति चिन्ह भी दिया। क्लब के संस्थापक मुश्ताक अली प्रधान ने बताया कि जब मृणाल क्लब आए तो क्लब में उस समय फुटबॉल की जूनियर बालिका खिलाड़ी भी थी, उनको जब मालूम हुआ कि उनके छत्तीसगढ़ का एक खिलाड़ी विश्व कप हॉकी में खेल कर आया है तो सभी खिलाडिय़ों को बहुत खुशी हुई। मृणाल का परिचय सभी खिलाडिय़ों से करवाया गया।

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