रविवार, 18 अप्रैल 2010

खेलों के गुर सीखकर लौटें

स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में एक तरफ कबड्डी का खेल चल रहा है तो दूसरी तरफ खिलाड़ी फुटबॉल खेलने में लगे हैं। एक तरफ वालीबॉल का खेल हो रहा है। हर तरफ बस खेल का माहौल है। खिलाड़ी बड़ी गंभीरता से खेल रहे हैं। ऐसा लग रहा है कि कोई बड़े खेल मेले का आयोजन हो रहा है। ऐसा माहौल यहां पर करीब छह दिनों तक रहा। प्रदेश के १६८ क्रीड़ाश्री को प्रशिक्षण शिविर के अंतिम चरण में तराश कर उनके गांव भेजा गया। अंतिम दिन सभी को परसदा के अंतरराष्र्टीय क्रिकेट स्टेडियम का भ्रमण कराया गया।
प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने पायका योजना से जुड़े प्रदेश के ९८२ गांवों के क्रीड़ाश्री को यहां पर प्रशिक्षण देने का काम किया है। अंतिम चरण में १६८ क्रीड़ाश्री को निखारने में खेल के जानकारों छह दिनों तक मेहनत की। छह दिनों में इन क्रीड़ाश्री को इतना तराश दिया गया है कि वे अब अपने-अपने गांव जाकर खिलाडिय़ों की नई पौध तैयार करने के काम में आसानी से जुट सकते हैं। क्रीड़ाश्री को पांच दिनों में जो भी बताया गया उसको आजमाने के लिए अंतिम दिन शाम के समय में स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में कबड्डी, वालीबॉल, फुटबॉल के मैदान बनवाए गए। हर मैदान में एक ९०अंश का कोण बनता है जो महत्वपूर्ण होता है। मैदान बनाने के बाद क्रीड़ाश्री को समूहों में बांटकर इनके बीच कबड्डी, फुटबॉल और वालीबॉल के मैच भी करवाए गए यह जानने के लिए कि इन्होंने इन खेलों के बारे में क्या सीखा है।
शाम के समय में तो स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के मैदान में एक अलग तरह का ही माहौल नजर आता था। यहां सभी तरफ खिलाड़ी खेलते नजर आ रहे थे, दरअसल ये खिलाड़ी न होकर क्रीड़ाश्री थे जिनको खेलों में हाथ आजमाने का मौका दिया गया था। खेलों से जुड़कर क्रीड़ाश्री खुश हैं कि चलो उनको भी अब खिलाड़ी तैयार करने के गुर मालूम हो गए हैं। सभी अब अपने-अपने गांव पहुंच कर खिलाडिय़ों को वो सब बताने के लिए बेकरार हैं जो इन्होंने यहां सीखा है।
खेल विभाग के उपसंचालक ओपी शर्मा ने बताया कि समापन से पहले क्रीड़ाश्री की एक तरह से परीक्षा ली गई कि उन्होंने पांच दिनों में क्या सीखा है। इसी के साथ विदाई की बेला की पूर्व संध्या पर इनको परसदा के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम का भ्रमण करवाया गया। अंतिम चरण में शामिल कई क्रीड़ाश्री ऐसे थे जो पहली बार राजधानी आए थे। इसी के साथ ज्यादातर ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम देखा। सभी को शाम को यहां से विदाई दे दी गई इस सकंल्प के साथ कि वे अपने-अपने गांव जाकर खिलाड़ी तैयार करने के काम में जुट जाएंगे। क्रीड़ाश्री को खेल के गुर सिखाने के साथ फिटनेस में मास्टर बनाने का काम मास्टर ट्रेनरों निंगराज रेड्डी, सरिता कुजूर, सालिक राम, दीपिका मजूमदार, दीपक खाका, अरविंद खलको, सुरेश कुमार हंस, ईश्वर प्रसाद, वरूण पांडे और संजील कुमार यादव ने किया। इस पूरे आयोजन के प्रभारी राज्य खेल अधिकारी अजीत कुमार टोपो थे। इनको खेल संचालक जीपी सिंह के साथ उपसंचालक ओपी शर्मा का मार्गदर्शन मिला।

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