सोमवार, 31 मई 2010

खेल संघों पर कसा शिंकजा

प्रदेश के खेल विभाग ने राज्य स्पर्धा में भाग लेने वाली जिलों की टीमों के खिलाडिय़ों की सूची ४५ दिन पहले देने का फरमान जारी करके खेल संघों पर शिंकजा कस दिया है। इससे खेल संघों के पदाधिकारी खफा हैं। खेल विभाग के इस फरमान को तानाशाही बताया जा रहा है।
प्रदेश में होने वाली राज्य स्तर की सब जूनियर और जूनियर स्पर्धाओं का आयोजन खेल एवं युवा कल्याण विभाग खेल संघों के साथ मिलकर करता है। इस आयोजन में होने वाली गड़बडिय़ों को रोकने के लिए खेल विभाग ने जो योजना बनाई है उसके तहत अब किसी भी राज्य स्पर्धा से पहले जिलों की टीमों के खिलाडिय़ों की सूची खेल विभाग को ४५ दिनों पहले देनी होगी। खिलाडिय़ों के पंजीयन के लिए खेल विभाग ने एक फार्म बनाया है। इस फार्म को सभी खिलाडिय़ों को भर कर देना पड़ेगा। खेल विभाग के इस फरमान के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि ऐसा करने से जहां एक जिले का खिलाड़ी दूसरे जिले से नहीं खेल पाएगा, वहीं शहरी खेलों में पंजीयन होने के बाद कोई खिलाड़ी ग्रामीण खेल में नहीं खेप पाएगा। इसी के साथ खिलाडिय़ों के ओवरएज पर अकुंश लगेगा।
खेल विभाग की इस पहल को खेल संघ ठीक तो मान रहे हैं लेकिन जिलों की सूची ४५ दिन पहले देने की बात से कोई सहमत नहीं है। प्रदेश हैंडबॉल संघ के सचिव बशीर अहमद खान, बास्केटबॉल संघ के राजेश पटेल, जूडो संघ के अरूण द्विवेदी, खो-खो संघ के एम. रामू, वालीबॉल संघ के साही राम जाखड़ सहित कई खेल संघों के पदाधिकारी एक स्वर में कहते हैं कि ४५ दिनों के नियम को हटाकर एक सप्ताह का कर देना चाहिए। इसी के साथ खेल संघों के पदाधिकारियों का ऐसा मानना है कि जिला स्पर्धाओं का भी आयोजन करवाना चाहिए। ऐसे आयोजन के लिए भी खेल विभाग पैसे दें। इन आयेजनों में भी खेल संघ मदद करेंगे। जिलों में विकासखंड के खिलाडिय़ों को जिला स्तर पर खेल कर राज्य स्तर पर खेलने का मौका मिलेगा।

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