शुक्रवार, 14 मई 2010

खेल संघों में एक्सचेंज ऑफर

छत्तीसगढ़ के खेल संघों ने केन्द्र सरकार के फरमान से बचने के लिए अलग तरह का तरीका निकाल लिया है। प्रदेश के खेल संघों ने एक खुला एक्सचेंज ऑफर जारी कर दिया है कि आप हमारे संघ की कमान संभाल लें और अपने संघ की कमान हमारे हाथों में दे दें।
राष्ट्रीय खेल संघों के अध्यक्ष और महासचिव के पद पर बरसों से जमे हुए खेल संघों के पदाधिकारियों को हटाने के लिए केन्द्र सरकार ने एक नया कानून बनाया है कि अब किसी भी खेल संघ में कोई भी अध्यक्ष १२ साल औैर महासचिव ८ साल से ज्यादा समय तक नहीं रह सकता है। केन्द्र सरकार के इस नियम को छत्तीसगढ़ में भी लागू करने की तैयारी प्रारंभ हो गई है। प्रदेश के खेल विभाग ने केन्द्र के नियम को यहां लागू करवाने के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेज दिया है।
छत्तीसगढ़ में इस कानून के लागू होने की खबर से प्रदेश के ऐसे खेल संघों के पदाधिकारी परेशान हैं जो संघों को अपनी बपौती समङाते हैं। ऐसे में उन्होंने रास्ते खोजने प्रारंभ कर दिए कि इस कानून का तोड़ क्या हो सकता है। ऐसे में खेल संघों के पदाधिकारियों ने यह रास्ता निकाला है कि वे ऐसे खेल संघों के पदाधिकारियों को संघ बदलने के लिए सहमत कर लेंगे जिनके साथ उनका दोस्ताना संबंध है। ऐसे में अब पूरे प्रदेश के खेल संघ इस प्रयास में लग गए हैं कि वे अपने खेल संघ को किस संघ के साथ बदल सकते हैं। कई खेल संघों के पदाधिकारी अपने रिश्तेदारों को भी संध सौंपने की तैयारी में है।
पदाधिकारी दुबले न हों
केन्द्र सरकार के कानून से प्रदेश संघ के जो पदाधिकारी परेशान हो रहे हैं उनको ओलंपिक संघ के संरक्षक और नेटबॉल संघ के अध्यक्ष विधान मिश्रा कहते हैं कि बेवजह प्रदेश के खेल संघों के पदाधिकारी दुबले हो रहे हैं। वे कहते हैं कि दुबले होने का काम राष्ट्रीय खेल संघों के पदाधिकारियों का है क्योंकि वहीं लोग सरकारी खर्च पर लगातार विदेश जाते हैं। छत्तीसगढ़ के खेल संघों के पदाधिकारियों को तो अपने देश में ही बहुत कम जाने का मौका मिलता है। कितने ऐसे संघों के पदाधिकारी हैं जिनको कभी विदेश जाने का मौका मिलता है। जब आपको सरकारी खर्च पर कहीं जाना नहीं है तो क्यों परेशान हो रहे हैं।

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