सोमवार, 31 मई 2010

खिलाड़ी दमदार, तो खेल चमकदार

राजधानी में हुई झमाझम बारिश का असली मजा फुटबॉलरों ने उठाया। पिछले ११ दिनों से गर्मी में तपते हुए दमदार बनाने की कवायद में लगे खिलाडिय़ों को भी आज राहत मिली। शिविर में प्रशिक्षण लेने वाले खिलाडिय़ों में कोच मुश्ताक अली प्रधान को उस तरह का दम नजर नहीं आता है जैसा दम फुटबॉलरों में होना चाहिए। यही वजह है कि शिविर में खिलाडिय़ों की फिटनेस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इधर खिलाडिय़ों में इस बात को लेकर उत्साह है कि विश्व कप फुटबॉल का प्रारंभ होने वाला है। ऐसे में फुटबॉल के प्रति खिलाडिय़ों में रूङाान भी बढ़ा है। राजधानी के खिलाडिय़ों को इस बात का अफसोस है कि भारत को विश्व कप में खेलने का मौका नहीं मिलता है।
सप्रे स्कूल के मैदान में प्रशिक्षण लेने वाले फुटबॉलरों के चेहरे आज शाम को खिले हुए थे। उनके खुश होने का सबसे बड़ा कारण था मौसम। मौसम के खुशगवार होने के कारण आज खिलाडिय़ों ने बाकी दिनों की तुलना में जमकर अभ्यास किया। वैसे पिछले ११ दिनों से खेल विभाग द्वारा आयोजित प्रशिक्षण शिविर में भरी गर्मी में भी खिलाड़ी जमकर अभ्यास कर रहे हैं। खिलाडिय़ों को किसी भी कीमत पर अभ्यास में लापरवाही बरतने की इजाजत कोच मुश्ताक अली प्रधान नहीं देते हैं। बकौल कोच मुश्ताक अली यह बहुत दुखद है कि अपने राजधानी के खिलाडिय़ों में किक मारने का भी दम नहीं है। ऐसे में हम कैसे उम्मीद कर सकते हैं कि ऐसे खिलाडिय़ों के दम पर अपने राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर सफलता मिल सकती है। वे कहते हैं कि यही वजह है कि हम शिविर में सबसे पहले खिलाडिय़ों को मजबूत बनाने पर विशेष ध्यान देते हैं। खिलाडिय़ों को सबसे पहले मैदान में पांच चक्कर लगाने के लिए कहा जाता है। इतने कम चक्कर के बाद भी ुखिलाड़ी थक जाते हैं। लेकिन कोच यही नहीं ठहरते हैं, वे खिलाडिय़ों को इसके बाद खेल के लिए मैदान में उतार देते हैं।
कोच बताते हैं कि खिलाडिय़ों को जहां स्कील और बेसिक जानकारी से अवगत करवाया जा रहा है, वहीं उनको बॉल रोकने, पास देने, खिलाडिय़ों से बॉल छिनने, हेडिंग करने के बारे में बताया जा रहा है। खिलाडिय़ों को रोज आपस में मैच भी खिलाए जाते हैं। पूछने पर वे बताते हैं कि खेल विभाग के शिविर के लिए १६५ खिलाडिय़ों ने पंजीयन करवाया है। यह रिकॉर्ड संख्या है। इसके पहले इतने खिलाड़ी कभी नहीं आए। इस बार इतने ज्यादा खिलाडिय़ों के आने के पीछे का एक कारण विश्व कप फुटबॉल भी है। विश्व कप का जुनून अपने राजधानी के खिलाडिय़ों में भी छाया हुआ है।
भारत के विश्व कप में न होने का अफसोस
प्रशिक्षण शिविर में फुटबॉल के गुर सीख रहे प्रियांशु कोचर, सत्यम देवांगन, हिमांशु यादव, मो. समीर, कमल कौशिक, यश दुबे, राजा शर्मा, नवीन चटर्जी, मो. फैजल, अभिषेक ठाकुर, उमेश वाकड़े, मो. शहबाज सअली और राहुल शर्मा का कहना है कि विश्व कप फुटबॉल को लेकर इनके मन में उत्साह तो है, पर इस बात का सबसे ज्यादा अफसोस है कि अपने देश की टीम को इसमें खेलने का मौका नहीं मिलता है। सभी खिलाड़ी कहते हैं कि काश भारत भी विश्व कप में खेलता तो कितना अच्छा होता। सभी खिलाड़ी पूछने पर कहते हैं कि उनका इरादा विश्व कप के मैच देखकर कुछ सीखने का रहेगा। सभी कहते हैं कि हम हर मैच को देखने का प्रयास करेंगे। प्रशिक्षण शिविर के बारे में पूछने पर सभी कहते हैं कि हम लोग इस शिविर में इसलिए आए हैं ताकि फुटबॉल के अच्छे खिलाड़ी बनकर पहले अपने राज्य के लिए और आगे देश के लिए खेल सके।

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