सोमवार, 24 मई 2010

खिलाडिय़ों के फर्जीवाड़े पर लगेगा अंकुश

प्रदेश के खेल विभाग ने खिलाडिय़ों का पंजीयन करवाने का जो ेकाम प्रारंभ किया है, उससे अब खिलाडिय़ों के फर्जीवाड़े पर अंकुश लगने की संभावना है। इसी के साथ जहां ग्रामीण खिलाडिय़ों के हक पर अब शहरी खिलाड़ी डाका नहीं डाल पाएंगे, वहीं ओवरएज पर भी रोक लगेगी।
प्रदेश में खिलाडिय़ों के लगातार सामने आ रहे फर्जीवाड़े से निपटने के लिए खेल विभाग ने खिलाडिय़ों का पंजीयन करना का काम प्रारंभ किया है। इसका फायदा भी अब नजर आने लगा है। खिलाडिय़ों का पंजीयन करवाने में हालांकि अभी ज्यादा रूचि खेल संघ नहीं दिखा रहे हैं। इसके पीछे का कारण साफ है कि एक बार खिलाडिय़ों का पंजीयन होने के बाद उसमें किसी भी तरह का फेरबदल नहीं हो सकेगा। ऐसे में खेल संघों के पदाधिकारी पंजीयन करवाने से कतरा रहे हैं, लेकिन खेल विभाग से हर स्पर्धा से पहले खिलाडिय़ों का पंजीयन अनिवार्य कर दिया है। किसी भी स्पर्धा से पहले खिलाडिय़ों का पंजीयन ४५ दिन पहले करने कहा गया है, लेकिन इस निर्देश का पालन ही नहीं हो पा रहा है। खेल विभाग ने अभी राजधानी में जब नेटबॉल और साफ्ट टेनिस की स्पर्धाएं करवार्इं तो खिलाड़ी स्पर्धा प्रारंभ होने के बाद भी पंजीयन का फार्म भरते नजर आए। इस बारे में खेल विभाग से जुड़े अधिकारी कहते हैं कि अभी पंजीयन करवाने के निर्देश हाल ही में जारी हुए हैं ऐसे में फिलहाल कोई कड़ाई नहीं की जा रही है।
ग्रामीण खिलाडिय़ों को मिलेगा फायदा
खिलाडिय़ों के पंजीयन करवाने का सबसे ज्यादा फायदा अब ग्रामीण खिलाडिय़ों को होने वाला है। ग्रामीण खिलाडिय़ों के लिए होने वाली राज्य स्पर्धा से लेकर राष्ट्रीय स्पर्धा में ग्रामीण खिलाडिय़ों के स्थान पर शहरी खिलाडिय़ों के खेलने की हमेशा से शिकायत रही है। शहरी खिलाड़ी किसी भी ग्राम पंचायत का फर्जी प्रमाणपत्र बनाकर ले आते हैं कि वे उस गांव में रहते हैं, जबकि वे रहते शहर में हंै। ऐसे में खेल अधिकारियों के पास भी उन खिलाडिय़ों को टीम में रखने के अलावा कोई चारा नहीं रहता है। कई बार तो कई खेलों के प्रशिक्षक ही खिलाडिय़ों को गांव के प्रमाणपत्र लाने के लिए कह देते हैं। पिछले साल जब राष्ट्रीय ग्रामीण स्पर्धा में प्रदेश की कुछ टीमें खेलने गईं थीं तो खेल संचालक को बताया गया था इन टीमों में कई खिलाड़ी शहरी हैं। इस बात को गंभीरता से लेते हुए ही खेल संचालक ने इस पर अंकुश लगाने की बात की थी और आज खेल विभाग के पंजीयन के कारण इस पर अंकुश लगने की पूरी संभावना है। एक बार जो अपने को खिलाड़ी शहरी क्षेत्र का बताने के बाद ग्रामीण क्षेत्र से नहीं खेल पाएगा।
ओवरएज पर भी लगेगी लगाम
खिलाडिय़ों के पंजीयन के कारण खिलाडिय़ों के ओवरएज पर भी लगाम लगेगी। पंजीयन न होने के कारण कई खिलाड़ी उम्र कम करवाकर सब जूनियर और जूनियर वर्ग में खेल लेते हैं। कई खिलाड़ी तो सालों एक ही वर्ग में खेलते रहते हैं और उनके साथ खेलने वाले खिलाड़ी सीनियर वर्ग तक पहुंच जाते हैं। ओवरएज के एक नहीं कई मामले सामने आ चुके हैं। ओवरएज का सबसे ज्यादा खेल स्कूली खेलों में होता है। यहां पर तो कई खिलाडिय़ों की चार से पांच उम्र करवा दी जाती है। खिलाडिय़ों को नाम बदलकर भी खिलाने की काम होता है। अब ऐसा भी नहीं हो सकेगा। खिलाडिय़ों के पंजीयन में उनकी फोटो होने के कारण कोई दूसरा खिलाड़ी उसके स्थान पर नहीं खेल पाएगा। कुल मिलाकर खिलाडिय़ों का पंजीयन फर्जीवाड़े पर रोक लगाने में सफल होगा ऐसा कहा जा सकता है।

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

अच्छी खबर है.

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