राजधानी रायपुर के साथ प्रदेश में एथलीटों का बहुत ज्यादा टोटा है। इस बात का खुलासा साई सेंटर के लिए चुने गए प्रदेश के महज दो खिलाड़ियों से हुआ है। पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी, प्रशिक्षक और जिला एथलेटिक्स संघ के संरक्षक रवि धनकर का कहना है कि एथलेटिक्स में बहुत ज्यादा मेहनत लगती है इसलिए खिलाड़ी अब इस खेल से कतराते हैं।
रायपुर में खुलने वाले साई सेंटर में मदर गेम के रूप में जाने वाले एथलेटिक्स को भी शामिल किया गया है। लेकिन इस खेल में चयन ट्रायल के बाद खिलाड़ियों की जो सूची जारी की गई है, उस सूची तीन खिलाड़ी चुने गए हैं। इनमें से दो खिलाड़ी उप्र के हैं और एक मात्र खिलाड़ी बोर्डिंग के लिए मनोज कुमार भिलाई के हैं। डे बोर्डिंग में एक मात्र खिलाड़ी रायपुर का गणेश राम चुना गया है। राजधानी को देखते हुए साई ने इस खेल के लिए डे बोर्डिंग की भी सुविधा दी थी, लेकिन राजधानी में तो एथलेटिक्स के खिलाड़ी ही नहीं हैं। एक तरफ जहां साई सेंटर के लिए खिलाड़ी नहीं मिले हैं, वहीं खेल विभाग द्वारा लगाए गए 20 खेलों के प्रशिक्षण शिविर में भी एथलेटिक्स के खिलाड़ी न मिलने के कारण इस खेल का शिविर नहीं लगाया गया है।
खिलाड़ियों के न मिलने का कारण जानने जब प्रशिक्षक रवि धनगर से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि एथलेटिक्स ही ऐसा खेल है जिसमें सबसे ज्यादा मेहनत लगती है। यही वजह है कि इस खेल में पालक अपने बच्चों को भेजना नहीं चाहते हैं। आज के बच्चे भी कम मेहनत वाले खेलों से जुड़ना ज्यादा पसंद करते हंै। इसी के साथ एक बात यह भी है कि इस खेल का अपने यहां कोई एनआईएस कोच भी नहीं है। एक जो सबसे बड़ी कमी है, वह है मैदान की। एथलेटिक्स के लिए सिंथेटिक ट्रेक जरूरी होता है, ऐसा ट्रेक रायपुर क्या पूरे प्रदेश में कहीं नहीं है।
रायपुर में खुलने वाले साई सेंटर में मदर गेम के रूप में जाने वाले एथलेटिक्स को भी शामिल किया गया है। लेकिन इस खेल में चयन ट्रायल के बाद खिलाड़ियों की जो सूची जारी की गई है, उस सूची तीन खिलाड़ी चुने गए हैं। इनमें से दो खिलाड़ी उप्र के हैं और एक मात्र खिलाड़ी बोर्डिंग के लिए मनोज कुमार भिलाई के हैं। डे बोर्डिंग में एक मात्र खिलाड़ी रायपुर का गणेश राम चुना गया है। राजधानी को देखते हुए साई ने इस खेल के लिए डे बोर्डिंग की भी सुविधा दी थी, लेकिन राजधानी में तो एथलेटिक्स के खिलाड़ी ही नहीं हैं। एक तरफ जहां साई सेंटर के लिए खिलाड़ी नहीं मिले हैं, वहीं खेल विभाग द्वारा लगाए गए 20 खेलों के प्रशिक्षण शिविर में भी एथलेटिक्स के खिलाड़ी न मिलने के कारण इस खेल का शिविर नहीं लगाया गया है।
खिलाड़ियों के न मिलने का कारण जानने जब प्रशिक्षक रवि धनगर से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि एथलेटिक्स ही ऐसा खेल है जिसमें सबसे ज्यादा मेहनत लगती है। यही वजह है कि इस खेल में पालक अपने बच्चों को भेजना नहीं चाहते हैं। आज के बच्चे भी कम मेहनत वाले खेलों से जुड़ना ज्यादा पसंद करते हंै। इसी के साथ एक बात यह भी है कि इस खेल का अपने यहां कोई एनआईएस कोच भी नहीं है। एक जो सबसे बड़ी कमी है, वह है मैदान की। एथलेटिक्स के लिए सिंथेटिक ट्रेक जरूरी होता है, ऐसा ट्रेक रायपुर क्या पूरे प्रदेश में कहीं नहीं है।
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