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शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

मैदान मिलते ही हॉकी का क्रेज बढ़ा

राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज में हॉकी का मैदान मिलते ही खिलाड़ियों की भीड़ जुटने लगी है। इस समय 50 बालिकाएं और 70 बालक प्रशिक्षण ले रहे हैं।

रायपुर के हॉकी खिलाड़ी राज्य बनने के एक दशक बाद भी हॉकी मैदान के लिए तरस रहे थे। ऐसे में इन खिलाड़ियों को मैदान की सौगात देने का काम खेल विभाग ने साइंस कॉलेज में किया है। अभी तो यहां पर अस्थाई मैदान ही बनाया गया है, पर इस मैदान पर ही प्रशिक्षण लेने बहुत ज्यादा खिलाड़ी आने लगे हैं। सबसे पहले मैदान पर बालिका खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने का काम एनआईएस प्रशिक्षक रश्मि तिर्की ने किया था। बालिका खिलाड़ियों को खेलते देखकर आस-पास के स्कूलों में पढ़ने वाले बालक खिलाड़ी भी खेलने आने लगे। आज स्थिति यह है कि स्कूली बच्चों के साथ पढ़ाई न भी करने वाले बच्चे प्रशिक्षण लेने आ रहे हैं। बालकों के कोच राकेश टोपो बताते हैं कि बालक खिलाड़ियों में प्रशिक्षण लेने का एक जुनून है। खिलाड़ियों को शाम के सत्र में चार बजे बुलाया जाता है, लेकिन बहुत से खिलाड़ी दोपहर दो बजे ही आ जाते हैं और खेल भवन से स्टिक और बॉल लाकर खेलने लगते हैं।

श्री टोपो और सुश्री तिर्की ने बताया कि जब मैदान स्थाई बन जाएगा तो प्रशिक्षण लेने आने वाले खिलाड़ियों का ट्रायल करके अच्छे खिलाड़ियों को चुना जाएगा और उनको नियमित रुप से साल भर प्रशिक्षण देकर तैयार किया जाएगा। इन्होंने बताया कि ज्यादा खिलाड़ी होने से परेशानी तो नहीं है, लेकिन ज्यादा खिलाड़ियों को प्रशिक्षण देने से स्तर नहीं पाएगा, यही वजह है कि कुछ समय बाद ट्रायल का आयोजन करेंगे।

रविवार, 17 जुलाई 2011

मिला मैदान, अब नहीं होंगे परेशान

राजधानी की हॉकी खिलाड़ियों को दस साल के इंतजार के बाद अंतत: साइंस कॉलेज के मैदान में एक स्थाई हॉकी मैदान मिल गया है। मैदान मिलने से खुश खिलाड़ी कहती हैं कि अब मैदान से बाहर होने का डर नहीं है। पुलिस मैदान से तो हमें कभी भी बाहर कर दिया जाता था जिसके कारण हम अभ्यास नहीं कर पाती थीं।
ये बातें साइंस कॉलेज के मैदान में शाम को अभ्यास में जुटीं खिलाड़ियों राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकीं मोनिका, दीपिका वैरागड़े, शोभा वर्टी, वंदान ध्रुव, धनलक्ष्मी आचार्य, निकिता धनगर, चन्द्रकांता साहू और शैल साहू ने कहीं। इन्होंने एक स्वर में बताया कि पहले ये सभी पुलिस मैदान में अभ्यास करती थीं। कई बार ऐसा हुआ कि राष्ट्रीय स्पर्धा में जाने के समय ही मैदान नहीं मिल पाता था जिसके कारण हम लोग अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाती थीं। लेकिन अब खेल विभाग ने एक स्थाई मैदान यहां दिला दिया है तो हमें इस बात की खुशी है कि अब यह हमारा अपना मैदान है और हमें इससे कोई बेदखल नहीं कर सकेगा।
पुरानी खिलाड़ियों के साथ कई नई खिलाड़ी भी नियमित अभ्यास के लिए मैदान आ रही हैं। इन खिलाड़ियों में दुर्गा सेठी, रानी साहू, आशा पाल, सुमित्रा साहू शामिल हैं। बालिका खिलाड़ियों को अभ्यास करते देखकर गुरुवार से ही कुछ बालक खिलाड़ी जिनमें आनंद सिंह, पोमेश चन्द्राकर, सुखविंदर सिंग और किशन नेताम शामिल हैं, हॉकी खेलने आए। ये खिलाड़ी पहले साफ्टबॉल और क्रिकेट खेलते थे। लेकिन अब इन्होंने भी हॉकी खेलने का मन बनाया है और कहते हैं कि हम नियमित रुप से हॉकी खेलेंगे। यहां वैसे भी एक और मैदान बनाया जाना है जिसमें बालक खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मैदान सुरक्षित होने से ज्यादा खिलाड़ी आएंगी
एनआईएस कोच रश्मि तिर्की का कहना है कि अभी मैदान खुला होने के कारण परेशानी हो रही है। सुबह के समय बहुत ज्यादा परेशानी होती है। इस मैदान को लंबे समय से आप-पास के लोगों से ओपन शौचालय बना रखा है जिसकी वजह से सुबह के समय अभ्यास में परेशानी होती है। उन्होंने बताया कि खेल विभाग से मैदान को सुरक्षित रखने के लिए एक प्रस्ताव खेल मंत्रालय गया है। वहां से मंजूरी मिलने पर मैदान में चारों तरफ बाऊंड्री बन जाएगी तो और खिलाड़ी आने लगेंगी। रश्मि ने बताया कि इस समय 45 खिलाड़ी सुबह और शाम के सत्र में आ रही हैं। अब स्कूल प्रारंभ हो गए हैं तो हम सभी स्कूलों में जाकर बता रहे हैं कि खेल विभाग ने हॉकी का नियमित प्रशिक्षण केंद्र प्रारंभ कर दिया है जो बच्चे आना चाहते हैं आ सकते हैं, यहां नि:शुल्क प्रशिक्षण के साथ खिलाड़ियों को सामान भी नि:शुल्क दिया जाएगा।

शुक्रवार, 12 नवंबर 2010

स्कूली खेलों की सीधे राज्य स्पर्धा होगी

छत्तीसगढ़ ओलंपिक में स्कूल वर्ग की अब सीधे राज्य स्पर्धा ही होगी। स्कूली शिक्षा विभाग के संचालक ने इसका आदेश भी जारी कर दिया है। हरिभूमि ने ही अपने २७ अक्टूबर के अंक में इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था कि स्कूली वर्ग में सीधे राज्य स्पर्धाओं का आयोजन होना चाहिए क्योंकि जिला और जोन स्तर की स्पर्धाएं पहले ही हो चुकी हैं इनको फिर से करवाने का मतलब पैसों की बर्बादी है।
लोक शिक्षण विभाग के संचालक केआर पिस्दा ने एक आदेश जारी करते हुए सभी जिलों को सूचित किया है कि छत्तीसगढ़ ओलंपिक के लिए स्कूलों की अंडर १९ की खेलों की स्पर्धाओं के लिए अलग से जिला और जोन स्तर पर आयोजन करने की जरूरत नहीं है। जोन स्तर की जो टीमें पहले से बन गई हैं उन्हीं टीमों को सीधे राज्य स्पर्धा के लिए भेजना है। राज्य स्तर की स्पर्धाओं के लिए बजट खेल विभाग देगा।
श्री पिस्दा ने इस बात का खुलासा नए विश्राम गृह में सभी जिलों के बीओ के सामने एक कार्यशाला में भी किया और उन्होंने बताया कि पूर्व में भ्रम की स्थिति निर्मित हो गई थी कि क्या करना है। कई जिलों ने जहां सीधे खेल विभाग के पास योजना बनाकर बजट की मांग की थी, वहीं कुछ जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी उनसे जानने के लिए फोन करते रहे कि जिलों के आयोजन के लिए कौन बजट देगा। उन्होंने कहा कि हमने खेल विभाग के साथ मिलकर यह फैसला किया है कि जब हमारा जिला और जोन स्तर का आयोजन हो चुका है तो इसको फिर से करने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने सभी से कहा कि अब स्थिति पूरी तरह से साफ है कि हमें कोई आयोजन नहीं करना है बस खेल विभाग को जोन की टीमें दे देनी है। उन्होंने बताया कि १४ खेलों जिनमें तीरंदाजी, एथलेटिक्स, बास्केबॉल, फुटबॉल, हैंडबॉल, हॉकी, कबड्डी, खो-खो, नेटबॉल, वालीबॉल, भारोत्तोलन, थ्रोबाल, साफ्टबॉल औ३र जूडो की टीमें शामिल हैं, इनकी टीमों खेल विभाग को देनी है, खेल विभाग की राज्य स्पर्धा का आयोजन करेगा।
यहां यह बताना लीजिमी होगा कि हरिभूमि ने ही जहां रायपुर जिले के ४५ लाख के जम्बो बजट की खबर २६ अक्टूबर को प्रमुखता से प्रकाशित की थी, वहीं २७ अक्टूबर को यह खबर प्रकाशित की थी कि स्कूली खेलों की सीधे राज्य स्पर्धा हो। और अब शिक्षा विभाग के साथ खेल विभाग ने भी इस बात को माना है कि जिलों और जोन स्तर के आयोजन का मतलब पैसों की बर्बादी है। ऐसे में अब सीधे राज्य स्तर की स्पर्धाएं ही करवाने का फैसला किया गया है।

गुरुवार, 11 नवंबर 2010

जांजगीर की जीत में संगीता की हैट्रिक

राज्य महिला खेलों की हॉकी के पहले मैच में जांजगीर चांपा ने संगीता चौरसिया की हैट्रिक की मदद से कोरबा को परास्त कर सेमीफाइनल में स्थान बना लिया। जांजगीर चांपा की हैंडबॉल टीम ने भी पहले मैच में शानदार खेल दिखाते हुए कोरबा को मात दी। मेजबान रायपुर ने हॉकी के पहले मैच में बिलासपुर को ३-० से हराया।
राज्य महिला खेलों का प्रारंभ बुधवार को डंगनिया के विद्युत मंडल के मैदान में हुआ। हॉकी का पहला मैच जांजगीर-चांपा का कोरबा के साथ खेला गया। यह मैच एकतरफा रहा। मैच में पहला तीन गोल हुए और तीनों गोल जांजगीर की संगीता चौरसिया ने किए। पहला गोल १९वें मिनट में और बाकी दो गोल खेल के दूसरे हॉफ में ३१वें और ३३वें मिनट में हुए। दूसरा मैच रायपुर का बिलासपुर से हुआ। इस मैच में रायपुर ने दीपिका वैरागढ़े के दो गोलों के साथ किरण के एक गोल की मदद से जीत प्राप्त की। तीसरे मैच में दुर्ग ने बस्तर को ३-० से हराया। दो गोल रंजनी सेंगर और एक गोल हीरा ने किया।
हैंडबॉल के पहले मैच में जांजगीर चांपा ने कोरबा को ३-१ से हराया। इस मैच में रमा मिर्जा ने दो और नम्रता ने एक गोल किया। अन्य मैचों में रायपुर ने बीजापुर को ४-० से हराया। मैच के चारों गोल पूनम यादव ने किए। महासमुन्द ने सोनिया और दामिनी को दो-दो गोलों की मदद से दंतेवाड़ा को ४-१ से और जगदलपुर ने राजनांदगांव को ८-५ से मात दी।

कोई नहीं मिला तो मुङो बुला लिया
स्पर्धा का उद्घाटन करते हुए रायपुर के पुलिस अधीक्षक दीपांशु काबरा ने कहा कि आज स्पर्धा का उद्घाटन करवाने के लिए खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे को कोई नहीं मिला तो मुजे बुला लिया। वे इस बात को लेकर परेशान रहे कि उद् घाटन किससे करवाया जाए क्योंकि कोई मिल नहीं रहा था। श्री डेकाटे के अनुरोध पर मुङो आना पड़ा। वैसे मैं मेजबान भी हूं और मुख्यअतिथि भी। इतना जलवा तो चलता है। एसपी के साथ रायपुर के जिला खेल प्रभारी श्री काबरा ने खिलाडिय़ों से कहा कि वे मेहनत करके प्रदेश की टीम में स्थान बनाए और राष्ट्रीय स्पर्धाओं में राज्य का नाम रौशन करें। उन्होंने पुराने दिनों को याद करते हुए बताया कि जब वे नागपुर के सरस्वती विद्यालय में पढ़ते थे, तो उनके मित्र हॉकी और हैंडबॉल खेलते थे, लेकिन मैं पढ़ाई की तरफ ध्यान देता था इसलिए स्कूल के बाद घर चला जाता था। बाद में अकाकमी में हॉकी और हैंडबॉल खेलने का मौका मिला। खेल से जुड़े अपने मित्रों की रफ्तार और फिटनेस देखकर मैं दंग रह जाता था।

उद्घाटन से पहले तक मैदान ठीक करने की होती रही मशक्कत
स्पर्धा में उद्घाटन के पहले तक हॉकी के मैदान को ठीक करने के लिए मशक्कत होती रही। यह नौबत इसलिए आई क्योंकि एक दिन पहले ही यह मालूम हुआ कि पुलिस लाइन के मैदान को दूसरे कार्यक्रम के लिए दे दिया गया है। इसके पहले वहां पर मैदान तैयार कर लिया गया था। हॉकी के एक मात्र स्टेडियम में नेताजी स्टेडियम में इस समय एक धार्मिक कार्यक्रम चल रहा है जिसकी वजह से उसका मिलना संभव नहीं था। वैसे भी राजधानी के ज्यादातर मैदानों का हाल बुरा है। इनका उपयोग खेल के आयोजनों के लिए कम और दूसरे आयोजनों के लिए ज्यादा होता है। डंगनिया के मैदान के बारे में जहां एक तरफ खुद उद्घाटन समारोह में पुलिस अधीक्षक दीपांशुं काबरा ने कहा कि अचानक इस मैदान में मैच करवाने का फैसला करने की वजह से मैदान ठीक ने नहीं बन पाया है, वहीं वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने भी खिलाडिय़ों ने मैदान पर ध्यान न देते हुए खेल पर ध्यान देने की बात कही। पहले मैच के बाद मैदान को पूरी तरह से ठीक कर दिया गया था।

सोमवार, 4 अक्टूबर 2010

पायका में हॉकी पर लगा ब्रेक

भारत के राष्ट्रीय खेल हॉकी का छत्तीसगढ़ में क्रेज न होने के कारण इस खेल को पायका से अलग करना पड़ा है। इसके स्थान पर तैराकी और हैंडबाल के स्थान पर सायक्लिंग को शामिल किया गया है। राष्ट्रीय खेल की आज इसलिए दुर्गति हो रही है क्योंकि पिछले तीन साल से राष्ट्रीय फेडरेशन में विवाद चल रहा है। हॉकी को पायका से बाहर करने का अहम कारण यह है कि केन्द्र सरकार के नए निर्देशों के कारण अब किसी भी जिले में ८ टीमों का बन पाना संभव नहीं है।
केन्द्र सरकार ने इस बार पायका योजना में शामिल खेलों के लिए एक नया फरमान जारी किया है कि किसी भी खेल में जब तक जिला स्तर पर ८ टीमें खेलने नहीं आएंगी, वह खेल स्पर्धा में शामिल नहीं किया जाएगा। इस नए फरमान के बाद प्रदेश के सभी १८ जिलों के खेल अधिकारी परेशानी में पड़ गए और उन्होंने साफतौर पर खेल संचालक से बैठक में कह दिया था कि अगर इस फरमान पर अमल किया गया तो कई खेल बंद करने पड़ेंगे। ऐसे में खेल संचालक जीपी सिंह ने खेल बंद करने के स्थान पर खेलों को बदलने का सुझाव दिया था। इसी सुझाव पर अमल करते हुए रायपुर में हॉकी के स्थान पर तैराकी और हैंडबॉल के स्थान पर सायक्लिंग को रखा गया है। रायपुर के साथ राज्य के बाकी जिलों में भी हॉकी और हैंडबॉल को हटा दिया गया है। इस बारे में जिलों के खेल अधिकारी कहते हैं कि अब जिस खेल में ८ टीमें नहीं बन पाएगी तो उन खेलों को बदलने के अलावा हमारे पास चारा क्या है।
चार टीमें का पैमाना रखना था
खेलों के जानकारों का कहना है कि केन्द्र सरकार ने हर खेल के लिए ८ टीमों का पैमाना तय किया है जो कि सही नहीं है। इनका कहना है कि एक तो अपने राज्य में कई जिले ऐसे हैं जिन जिलों में ८ विकासखंड ही नहीं हैं, ऐसे में किसी भी खेल की ८ टीमें कैसे बन सकती है। यहां पर खेलों के जानकार छत्तीसगढ़ ओलंपिक के लिए तय किए गए पैमाने का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि इसके लिए यह तय किया गया है कि जिस जिले में किसी भी खेल की चार टीमें होंगी, उन खेलों को शामिल किया जाएगा। चार टीमें बनाना भी वैसे आसान नहीं होता है, लेकिन फिर भी इतनी टीमें बन जाती है।
ग्रामीण स्तर पर ८ टीमें संभव नहीं
खेलों के जानकार साफ कहते हैं कि पायका योजना ग्रामीण क्षेत्र के लिए हैं, ऐसे में हॉकी में भी ८ टीमों का बन पाना संभव नहीं है। इनका कहना है कि अगर शहरी खिलाडिय़ों को रखने की छूट होती तो एक बार जरूर ८ तो नहीं लेकिन चार टीमें जरूर बन जाती। लेकिन शहरी खिलाड़ी पायका में पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं। यह योजना ग्रामीण खिलाडिय़ों को आगे लाने के लिए बनाई गई है।
फेडरेशन के विवाद का असर
छत्तीसगढ़ में आज अगर हॉकी पूरी तरह से खत्म नजर आ रही है तो इसके पीछे सबसे बड़ा कारण राष्ट्रीय फेडरेशन का विवाद बताया जा रहा है। पिछले तीन साल से राष्ट्रीय स्तर पर विवाद चल रहा है और आज तक इस विवाद का हल नहीं निकल पाया है। जिस राष्ट्रीय संघ को केन्द्र सरकार ने मान्यता दी है, उसे विश्व फेडरेशन से मान्यता नहीं है और जिसे विश्व फेडरेशन मान रहा है, उसे केन्द्र सरकार नहीं मान रही है। ऐसे में भला अपना राष्ट्रीय खेल का कैसे भला हो सकता है। हॉकी से जुड़े लोग साफतौर पर कहते हैं कि एक तो स्कूली स्तर पर ही इस खेल की तरफ ध्यान नहीं दिया जाता है ऐसे में कहां से टीमें निकलेंगी। यह बात को सच है कि स्कूल स्तर पर ही नहीं बल्कि कॉलेज स्तर पर भी हॉकी का बुरा हाल है। जब स्कूली टीमों का चयन करने के लिए ट्रायल होता है को मुश्किल से रायपुर जिले में ही चार टीमें नहीं आ पाती हैं, यही हाल कॉलेज स्तर का रहता है। कॉलेज में दो-तीन टीमों से ज्यादा टीमें नहीं आ पाती हैं।

शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

हॉकी को मजबूत करने छत्तीसगढ़ की एक पहल

डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि आज जबकि राष्ट्रीय खेल हॉकी आर्थिक अभाव के कारण संकट में है तो ऐसे में छत्तीसगढ़ की तरफ से एक छोटी सी पहल करके राष्ट्रीय हॉकी को संवारने का काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जब पुरुष हॉकी खिलाडिय़ों द्वारा पुणे में भारतीय हॉकी टीम के शिविर का बहिष्कार करने के बाद भोपाल में विश्व कप की तैयारी में जुटी महिला टीम ने भी अपने भुगतान के लिए विरोध स्वरूप काली पट्टी लगाकर शिविर में अपना विरोध जताया और इसी के साथ भोपाल में एक खाता खोलकर देश से आर्थिक मदद का अनुरोध किया तो छत्तीसगढ़ के उद्योगपति वीरसेन सिंधु ने इस दिशा में पहल करते हुए हमसे बात करके खिलाडिय़ों की मदद करने के लिए १० लाख की राशि देने की मंशा जाहिर की। ऐसे में मैंने सबसे पहले खेल संचालक जीपी सिंह से संपर्क किया और इसके बाद संयुक्त रूप से भारतीय हॉकी टीम से बात की गई। इसके बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह और खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी से चर्चा की गई तो इनके निर्देश पर यह तय किया गया कि केवल १० लाख की सम्मान राशि खिलाडिय़ों को भेजने की बजाए उनको अपने राज्य में ससम्मान आमंत्रित करके एक आयोजन किया जाए। ऐसे में इस आयोजन की योजना बनी और यह तय किया गया कि खिलाडिय़ों को छत्तीसगढ़ बुलाकार जन सामान्य से जोडऩे के लिए एक मैच का आयोजन किया जाए।
श्री द्विवेदी ने कहा कि यहां पर हॉकी के प्रदर्शन मैच को करवाने का मकसद जन सामान्य में हॉकी के प्रति ललक पैदा करना है। उन्होंने बताया कि यह पहला मौका है जब छत्तीसगढ़ बनने के बाद छत्तीसगढ़ की जमीं पर हॉकी टीम की खिलाडिय़ों को बुलाया गया है। उन्होंने कहा कि यह तो महज एक शुरुआत है हॉकी को एक नया जीवन देने की। इसके आगे अपने राज्य के दूसरे उद्योगपति भी चाहे तो हॉकी की मदद करने आगे आ सकते हैं। उन्होंने कहा कि इस आयोजन ने जरूर दूसरे राज्यों को भी प्ररेणा मिलेगी। इसी के साथ छत्तीसगढ़ में हॉकी के प्रति रूङाान भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में हॉकी के विकास के लिए एस्ट्रो टर्फ भी जरूरी है। श्री द्विवेदी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में हॉकी खिलाडिय़ों को बुलाकर सम्मान करने के पीछे एक कारण यह भी है कि इन खिलाडिय़ों को इस बात का अफसोस नहीं होना चाहिए कि उन्होंने हॉकी स्टिक क्यों थामी थी।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हॉकी की स्थिति के लिए मीडिया को दोष देना गलत है। मीडिया ने हॉकी को भी उतना ही महत्व दिया है जितना क्रिकेट को दिया जाता है। हॉकी में जब भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता मिली है, उसको भी पहले पेज में स्थान जरूर मिला है।
एक सवाल के जवाब में खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि नेताजी स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ तकनीकी खामी के कारण नहीं लग पा रहा है। उन्होंने पूछने पर कहा कि खेल विभाग हर खेल को बराबरी की नजर से देखता है और सभी खेल संघों को समान रूप से अनुदान दिया जाता है।
प्रेस क्लब के अध्यक्ष अनिल पुसदकर ने कहा कि अपना छत्तीसगढ़ ऐसा पहला राज्य है जिसने हॉकी को मजबूत करने की दिशा में ऐसी पहल की है।

बुधवार, 10 जून 2009

एस्ट्रो-टर्फ के लिए साइंस कॉलेज ही उपयुक्त



प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह द्वारा राजधानी में एस्ट्रो टर्फ के लिए साइंस कॉलेज मैदान को मंजूरी देने का हॉकी बिरादरी ने एक स्वर में स्वागत करते हुए कहा कि साइंस कॉलेज ही उपयुक्त स्थान है एस्ट्रो टर्फ लगाने के लिए। साइंस कॉलेज के मैदान में पार्किंग से लेकर मैदान के रखरखाव में कोई समस्या आने वाली नहीं है।


प्रदेश के खेल विभाग ने एक नई योजना के तहत राजधानी में नेताजी स्टेडियम और कोटा स्टेडियम में बनने वाले एस्ट्रो टर्फ का स्थान बदल कर साइंस कॉलेज कर दिया है। ऐसा करने के पीछे कारण यह रहा है कि जहां नेताजी स्टेडियम तकनीकी रूप से गलत बना है और छोटा है वहीं कोटा स्टेडियम में जमीन का विवाद चल रहा है, साथ ही रविशंकर विवि उसका उपयोग बीपीएड और एमपीएड के लिए करना चाहता है। ऐसे में खेल विभाग ने साइंस कॉलेज में पड़ी खेल विभाग की ३४ एकड़ जमीन पर ही एस्ट्रो टर्फ लगाने की योजना बनाकर इसके लिए मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह से मंजूरी ले ली है। मुख्यमंत्री की मंजूरी से हॉकी खिलाड़ी काफी खुश हैं। हालांकि कुछ खिलाड़ी नेताजी स्टेडियम में भी एस्ट्रो टर्फ लगाने के पक्ष में हैं, लेकिन सरकार के फैसले का सबने स्वागत ही किया है। हॉकी से बरसों से जुड़े रहने वाली कोच मुश्ताक अली प्रधान के साथ पूर्व राष्ट्रीय खिलाड़ी शेख समीर, कोच नजीर अहमद, पूर्व खिलाड़ी नासीर अली, रवि राज पिल्ले, शहनवाज सुल्तान, परवेज शकीलुद्दील, अरूण शर्मा के अलावा एथलेटिक क्लब के सचिव मंसूर अहमद खान का एक स्वर में कहना है कि खेल विभाग का फैसला स्वागत योग्य है। इनका साफ तौर पर कहना है कि जब आज की तारीख में नेताजी स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ नहीं लगा है तो इसका रखरखाव नहीं हो पा रहा है। नगर निगम इस दिशा में ध्यान ही नहीं देता है। स्टेडियम को कभी भी किसी भी आयोजन के लिए दे दिया जाता है, इसको जब मर्जी हो अस्थाई जेल बना दिया जाता है। ऐसे में अगर यहां पर एस्ट्रो टर्फ लगा दिया गया तो फिर क्या गारंटी है कि इसका उपयोग अन्य किसी कार्य के लिए नहीं किया जाएगा। इनका कहना है कि एक तो मैदान की दिशा भी गलत है और मैदान काफी छोटा भी है। ऐसे में साइंस कॉलेज का मैदान ज्यादा उपयुक्त है। इसका चयन किया गया है तो यह बिलकुल सही फैसला है। हॉकी के राष्ट्रीय अंपायर नोमान अकरम हामिद कहते हैं कि साइंस कॉलेज में एस्ट्रो टर्फ लगाने का फैसला सही है, पर नेताजी स्टेडियम को भी इस सुविधा ने वंचित नहीं करना चाहिए। इनका कहना है कि अगर थोड़ी सी मेहनत की जाए तो दिशा को ठीक किया जा सकता है।


महिला खिलाड़ी ज्यादा खुश- साइंस कॉलेज में एस्ट्रो टर्फ लगने की खबर से महिला खिलाड़ी ज्यादा खुश हैं कारण यह कि इनके पास आज तक एक मैदान नहीं है खेलने के लिए अभी महिला खिलाड़ी पुलिस मैदान में अभ्यास करती हैं लेकिन यह मैदान इनको नियमित नहीं मिल पाता है। एनआईएस कोच रश्मि तिर्की के साथ पुलिस मैदान में अभ्यास करने वाली खिलाडिय़ों चन्द्रकांता साहू, ललिता जांगड़े, रूचि बुंदेल, पूजा गिरी, निकिता धनकर, संध्या पाल उषा गिरी, वंदना ध्रुव, अंकिता पांडे, किरण यदु, लता जांगड़े, धनलक्ष्मी आचार्य, गायत्री धनकर ने एक स्वर में कहा साइंस कॉलेज में एस्ट्रो टर्फ लगने के बाद उनकी मैदान की समस्या का अंत हो जाएगा ऐसा उनको लगता है। इन्होंने एक स्वर में कहा कि सरकार का फैसला सही है, हम सब इसका स्वागत करती हैं।

सोमवार, 13 अप्रैल 2009

गए गिल-हॉकी गई खिल

भारतीय हॉकी के लिए रविवार का दिन स्वर्णिम दिन था जब भारत ने 13 साल बाद अजलान शाह कप जीता। यह सब तब हुआ है जब भारतीय हॉकी संघ से केपीएस गिल हटे हैं। इस समय भारतीय महासंघ की कमान पांच सदस्यों वाली एक कमेटी के पास है और इस कमेटी में पूरी तरह से पूर्व ओलंपिक खिलाडिय़ों का कब्जा है। कमेटी की कमान खिलाडिय़ों के हाथ में जब से आई है तभी से हॉकी फिर से शिखर की तरफ लौट रही है। सबका एक स्वर में मानना है कि गिल का जाना भारतीय हॉकी के लिए सुखद रहा है। खिलाडिय़ों की भावना को खिलाड़ी प्रशासक ही समझ सकते हैं।
अजलान शाह कप हॉकी का खिताब उड़ाकर भारतीय हॉकी टीम से यह बता दिया है कि भारत हॉकी अभी चूकी नहीं है। भारत की इस जीत से पूरे देश में उत्साह है। हर कोई इस जीत को अमूल्य बता रहा है। भारत की जीत पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पांच सदस्यों की कमेटी के एक सदस्य हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के पुत्र पूर्व ओलंपियन अशोक कुमार ने कहा कि वास्तव में यह खुशी की बात है कि भारत के हाथ १३ साल बाद इतनी बड़ी सफलता लगी है। उन्होंने कहा हमारी कमेटी तो हॉकी को निखारने के लिए हर संभव प्रयास रही है। उन्होंने कहा कि इस जीत से जरूर टीम का उत्साह बढ़ेगा और टीम आगे ज्यादा अच्छा करेगी। पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी नीता डुमरे ने कहा कि भारतीय टीम के कप्तान संदीप ने जो कहा वह कर दिखाया। उन्होंने कहा कि लंबे समय बाद अजलान शाह कप जीतना सुखद है। उन्होंने कहा कि यह जीत भारतीय हॉकी के लिए आक्सीजन का काम करेगी। बकौल नीता हॉकी को जिंदा रखने के लिए अब लगातार जीत जरूरी है। उन्होंने कहा कि वैसे भी अब भारतीय टीम का प्रदर्शन लगातार निखर रहा है। इसके पीछे उन्होंने भी भारतीय संघ का खिलाडिय़ों के हाथ में आना माना।
जूनियर विश्व कप की संभावित टीम में शामिल छत्तीसगढ़ के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मृणाल चौबे ने कहा कि भारत की जीत से सभी खिलाडिय़ों में उत्साह है। उन्होंने कहा कि सीनियर खिलाडिय़ों की यह जीत हम जूनियर खिलाडिय़ों को प्रेरणा देगी और हमारी टीम जून में होने वाले विश्व कप में कमाल करने का प्रयास करेगी। उन्होंने बताया कि अजलान शाह कप जीतने वाली टीम से ही हमारी जूनियर टीम का भोपाल में एक मैच होने वाला है। यह टीम वहां से सीधे यहां आने वाली है। मृणाल के भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविर में शामिल टीम के कप्तान उत्तर प्रदेश के दिवाकर राम के साथ जय करण और उड़ीसा के अमददीप इक्का ने कहा कि भारत की जीत ने साबित कर दिया है कि भारतीय हॉकी में अभी बहुत दम है।
हॉकी के कोच और राष्ट्रीय अंपायर नोमान अकरम हामिद ने कहा कि अब यह बात साबित हो गई है कि भारतीय संघ की कमान पांच सदस्यों जफर इकबाल, अशोक कुमार, धनराज पिल्ले, अजीत पाल सिंह और असलम शेर खान के हाथों में आने से ही हॉकी फिर से निखरने लगी है। उन्होंने कहा कि होना तो यही चाहिए कि भारतीय संघ खिलाडिय़ों के पास ही रहे। इसी तरह की बातें हॉकी के कोच मुश्ताक अली प्रधान ने भी कहीं। उन्होंने कहा कि वास्तव में भारत की जीत हॉकी खिलाडिय़ों की जीत है। इस जीत के लिए संघ की कमान संभाल रहे उन खिलाडिय़ों को बधाई देनी चाहिए जिनके कारण आज भारतीय टीम के चयन में राजनीति नहीं हो रही है। अगर सही खिलाडिय़ों का चयन होगा तो भारतीय हॉकी को आगे बढऩे से कोई नहीं रोक सकता है।

शुक्रवार, 6 मार्च 2009

मेजबान एथलेटिक क्लब की ऐतिहासिक जीत

दर्शकों से खचा-खचे भरे नेताजी स्टेडियम में एक तरफ गोलों की बारिश हो रही थी तो दूसरी तरफ हर गोल पर ढोल बज रहे थे। ये ढोल और किसी के लिए नहीं बल्कि मेजबान एथलेटिक क्लब की उस टीम के लिए थे जो टीम मौजूदा चैंपियन पाम्पोस हास्टल सुंदरगढ़ से लोहा ले रही थी। चैंपियन टीम को मेजबान टीम ने तो मजाक बनाकर रख दिया और उसको 4-1 से मात देकर पहली बार सेमीफाइनल में स्थान बनाने का ऐतिहासिक कारनामा कर दिया। मेजबान टीम की इस जीत से सारे दर्शकों के साथ क्लब के बुजुर्ग सदस्य भी झुम उठे। स्टेडियम में हर तरफ बस और बस अपनी टीम की जीत की चर्चा में सब लगे रहे।
नेताजी स्टेडियम में जब मेजबान एथलेटिक क्लब की टीम पिछले साल की चैंपियन पाम्पोस हास्टल सुंदरगढ़ के साथ मैच खेलने उतरी तो इस टीम से एक ऐतिहासिक जीत की उम्मीद के साथ मैदान में ढोल मंगा लिए गए थे। अपनी टीम का हौसला बढ़ाने के लिए मंगाए गए ढोल वास्तव में टीम को एक नई जान देने में सफल रहे। वैसे इस मैच के बारे में किसी ने नहीं सोचा था कि मैच मेजबान टीम जीत जाएगी और वो भी इतने बड़े अंतर से। मैच का पहला गोल पहले हॉफ के 17वें मिनट में मेजबान टीम के आमिर ने किया। यही एक गोल पहले हॉफ में हुआ। दूसरे हॉफ के प्रारंभ होने पर चैंपियन पाम्पोस हास्टल के खिलाड़ियों ने मैच में बराबरी पाने के लिए अपनी पूरी ताकत झॊक दी। अपने खिलाड़यों के खेल से पाम्पोस हास्टल के कोच भारी खफा नजर आ रहे थे और लगातार खिलाड़ियों को दिशा-निर्देश दे रहे थे। मैच के 45वें मिनट में अंतत: पाम्पोस हास्टल को बराबरी दिलाने का काम विक्टर मिंज ने किया। अभी पाम्पोस की टीम बराबरी पाने का जश्न भी नहीं मना पाई थी कि अगले ही मिनट में इरशाद ने एक शानदार गोल करके मेजबान टीम को फिर से आगे कर दिया। इधर गोल हुआ इधर दर्शक मैदान में घुस गए। दर्शकॊं को बाहर करके मैच प्रारंभ किया गया। रायपुर की टीम के 2-1 से आगे होने के बाद टीम ने हमलों में तेजी लाई और मैच समाप्त होने के तीन मिनट पहले एक और गोल आमिर ने कर दिया। इस गोल के होते ही चैंपियन टीम के कोच ने बाकी का मैच खेलने से मना दिया।
खेल भावना दिखाए कोच साहब :- पाम्पोस हास्टल के कोच द्वारा टीम को बाहर कर लिए जाने के बाद जहां टीम के कोच को आयोजकों ने समझ‌ाने का प्रयास किया, वहीं दर्शकों ने भी उनसे कहा कि कोच साहब खेल भावना दिखाएं और मैच में बिना वजह विवाद पैदा न करें। कोच का कहना था कि अंपायर सही फैसला नहीं कर रहे हैं। उनको मैच में एक बार फाउल न दिए जाने की शिकायत थी। अंत में कोच ने सबका आग्रह माना और मैच प्रारंभ किया गया। मैच प्रारंभ होने पर मैच के अंतिम मिनट में इरशाद ने एक गोल और कर दिया। मैच में रायपुर के गोलकीपर ओएस बारी का खेल लाजवाब रहा। उन्होंने कई गोल बचाए।
कोच से नहीं हो रही थी हार बर्दाश्त :- मेजबान टीम ने जिस तरह से लगातार गोल करने का काम किया उससे पाम्पोस हास्टल के कोच लगातार उतेजित होते रहे। उनको अपनी उस चैंपियन टीम की हार मंजूर नहीं हो रही थी जिस टीम ने पिछले साल यहां खिताब जीता था। कोच लगातार अपने खिलाड़ियों पर बरसते रहे और बीच-बीच में अंपायरों के बारे में कहते रहे कि वे गलत कर रहे हैं। मैच के 12 मिनट पहले कोच ने गोलकीपर को भी बदला। जब पहला गोलकीपर वापस आया तो उस पर कोच बरस पड़े और उसको यहां तक कहा कि वह अपनी टीम के लिए खेल रहे थे या विपक्षी टीम के लिए।
एथलेटिक क्लब से अब खिताब की उम्मीद :- मेजबान टीम की आज की जीत के बाद इस टीम से खिताब जीतने की उम्मीद की जा रही है। टीम के कोच अजीज यजदानी के साथ मैनेजर मो. अमीनुद्दीन काफी खुश है। इन्होंने कहा यह तो सोचा ही नहीं थी कि टीम इतना बड़ा कमाल कर सकती है। इन्होंने कहा कि जब टीम ने पिछले मैच में धनराज पिल्ले और आशीष बल्लाल अकादमी की टीम को मात दी थी तब जरूर लगा था कि अब टीम और अच्छा प्रदर्शन करेगी लेकिन टीम सेमीफाइनल में पहुंचकर इतिहास रच देगी इसकी संभावना कम थी। टीम की जीत से क्लब सारे पुराने सदस्य खुश हैं। सबका मानना है कि टीम में चैंपियन बनने की क्षमता है। सबका ऐसा सोचना है कि टीम को अब खिताब उड़ाने का कमाल करना ही चाहिए। आज मेजबान टीम का मैच देखने के लिए जहां दर्शकॊं की भारी भीड़ रही, वहीं पार्षद लाल बादशाह के आग्रह पर नगर निगम के आयुक्त अमित कटारिया भी मैच देखने आए। क्लब के पुराने सदस्य कुतबुद्दीन के साथ कई सदस्यों ने पूछने पर बताया कि इससे पहले कभी एथलेटिक क्ल ब की टीम सेमीफाइनल में नहीं पहुंची है।
नागपुर-भोपाल भी अंतिम चार में :- चैंपियनशप में गुरुवार को पहला मैच सेंट्रल रेलवे नागपुर और ईस्ट-पोस्ट रेलवे भुवनेश्वर के बीच खेला गया। यह मैच काफी रोमांचक रहा। मैच में निर्धारित समय तक मुकाबला 2-2 से बराबर रहने पर मैच का फैसला सडनडेथ से किया गया। मैच का पहला गोल खेल के दूसरे ही मिनट में नागपुर के रासिद अली ने किया। इसके बाद दूसरा गोल नागपुर के राजीव भटकर ने दागा। इसके तीन मिनट बाद ही भुवनेश्वर के संदीप कुलू ने गोल करके स्कोर 1-2 कर दिया। भुवनेश्वर को बराबरी पाने का मौका तब मिला जब 31वें मिनट में उसे पेनाल्टी शूट का मौका मिला। इसे गोल में बदलने में बरनू लूगुन ने कोई गलती नहीं की। मैच के दूसरे हॉफ में कोई गोल न होने पर फैसले के लिए टाईब्रेकर का सहारा लिया गया। यहां पर नागपुर के लिए राजीव भटकर, एजाज कुरैशी, धीरज वॉग और अजहर हुसैन ने गोल किए। भुवनेश्वर के लिए संदीप कुलू, आनंद तिर्की, ए. तिर्की और एस. बारला ने गोल किए। ऐसे में सडनडेथ में धीरज वॉग ने गोल करके अपनी टीम को जीत दिला दी। दूसरे मैच का फैसला भी टाईब्रकेर में हुआ। यह मैच साई भोपाल और बीआरसी दानापुर के बीच खेला गया। इस मैच में निर्धारित समय तक कोई भी टीम गोल नहीं कर सकी। टाईब्रेकर में साई के लिए अफाजुद्दीन, सतीश लामा, शेख शाहिद और आजम बेग ने गोल किए। दानापुर के लिए एक मात्र गोल देवा आइंड ही कर सके।

गुरुवार, 5 मार्च 2009

एथलेटिक क्लब की धमाकेदार जीत

अखिल भारतीय स्वर्ण कप नेहरू हॉकी में मेजबान एथलेटिक क्लब ने अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों धनराज पिल्ले और आशीष बल्लाल की टीम को कड़े मुकाबले में 2-1 से मात देकर धमाका कर दिया। विजेता टीम पहले हॉफ में 0-1 से पीछे थी। अन्य मैचों में ईएमई जालंधर और इंडियन नेवी मुबंई की टीम ने अपने-अपने मैच जीते।
नेताजी स्टेडियम में मंगलवार की शाम को तीसरा मैच मेजबान एथलेटिक क्लब और धनराज पिल्ले-आशीष बल्लाल अकादमी बेंगलूर की टीम के बीच खेला गया। यह मैच काफी रोमांचक रहा। मैच के पहले हॉफ में एक मात्र गोल 20वें मिनट में बेंगलूर के नईमुद्दीन ने किया। दूसरे हॉफ में खेल प्रारंभ होने पर मेजबान टीम ने लगातार हमले किए, लेकिन अनुभव की कमी के कारण टीम गोल करने में सफल नहीं हो रही थी। इधर मेजबान टीम की जीत पर क्लब के अध्यक्ष गजराज पगारिया ने जहां पांच हजार रुपए देने की घोषणा की थी, वहीं बराबरी का गोल करने वाले खिलाड़ी के लिए एक हजार पांच सौ रुपए के इनाम की भी घोषणा की गई। इन इनामों को लेकर मैदान में यही कयास लगाया जा रहा था कि चूंकि मेजबान टीम का जीतना आसान नहीं है ऐसे में इनाम घोषित कर दिए गए हैं। लेकिन मेजबान खिलाड़ियों ने भी दिखा दिया कि उनमें जीतने का कितना जज्बा है। मैच के 48वें मिनट में गुनेन्द्र ने गोल करके अपनी टीम को बराबरी पर ला खड़ा किया। इस गोल के बाद जहां मेजबान खिलाड़ियों का हौसला और बढ़ गया, वहीं बेंगलूर के खिलाड़ी हताश हो गए। जब ऐसा लगने लगा था कि अब मैच का फैसला करने के लिए टाईब्रेकर का सहारा लेना पड़ेगा तभी आशा के विपरीत खेल समाप्त होने के सात मिनट पहले रिजवान ने गोल करके मेजबान टीम को 2-1 से आगे कर दिया। मैच समाप्त होने के एक मिनट पहले बेंगलूर को पेनाल्टी कॉर्नर मिला इसको गोल में बदलने का मौका नवीन शेखर के पास था, पर उसका निशाना चूक गया और एथलेटिक क्लब ने मैच 2-1 से जीत लिया। इसके पहले पहला मैच बीईजी रूढ़की और ईएमई जालंधर के बीच खेला गया। यह मैच जालंधर ने 2-1 से जीता। मैच का पहला गोल रूढ़की के सुशील मिंज ने पहले हॉफ के 28वें मिनट में पेनाल्टी कॉर्नर से किया। खेल का दूसरा हॉफ जालंधर के नाम रहा। 43वें मिनट में पेनाल्टी कॉर्नर को अमृत तिर्की ने गोल में बदलकर पहले अपनी टीम को बराबरी दिलाई। इसके पांच मिनट बाद मिले पेनाल्टी कॉर्नर को सुरेन्द्र मुंड़ा ने गोल में बदलकर अपनी टीम को 2-1 से आगे कर दिया। इसी स्कोर पर जालंधर ने मैच जीता। दूसरा मैच साई लखनऊ और इंडियन नेवी मुंबई के बीच खेला गया। इस मैच का फैसला टाईब्रेकर में हुआ। निर्धारित समय तक मुकाबला 2-2 से बराबर रहा। मैच का पहला गोल 41वें मिनट में नेवी के ललित ने किया। इसके एक मिनट बाद ही शशिकांत के गोल से साई ने बराबरी प्राप्त कर ली। 46वें मिनट में हरिकेश प्रताप ने गोल करके साई को 2-1 से आगे कर दिया। नेवी को बराबरी दिलाने का काम प्रदीप कुलू के गोल ने किया। निर्धारित समय में मुकाबला 2-2 से बराबर रहा। टाईब्रेकर में नेवी के लिए ललित, अरूप किरो, सुरेन्द्र कुमार, सजीत लकड़ा और अमृत किरो ने गोल किए। साई के लिए अभिषेक मिंज, संकल्प राघव, और फरदीन खान ही गोल कर सके। यह मैच नेवी ने 5-3 से जीता।

मंगलवार, 3 मार्च 2009

लो ब्रेक- हॉकी हो जाएगी सेफ

हॉकी को क्रिकेट की तरह बेचे बिना इसका भविष्य संवर नहीं सकता। आज इस बात की जरूरत है कि हॉकी में भी उसी तरह से ब्रेक लिया जाए जिस तरह से क्रिकेट में ब्रेक मिलते हैं। भले क्रिकेट की तरह हॉकी में इतने ब्रेक संभव नहीं हैं लेकिन एक घंटे 10 मिनट के खेल में प्रीमियर लीग की तरह चार ब्रेक भी ले लिए जाएं तो हॉकी पूरी तरह से सेफ हो जाएगी और इसको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं पाएगा।
अंतरराष्ट्रीय अंपायर चेन्नई के मो. मुनीर ने कहीं। उन्होंने कहा कि आज वास्तव में यह दुखद है कि राष्ट्रीय खेल हॉकी की र्दुदशा हो गई है। इसके पीछे कारण वे क्रिकेट को नहीं मानते। उनका कहना है कि क्रिकेट आज अगर इतना लोकप्रियता है तो उससे पीछे उसकी मार्केटिंग है। अगर हॉकी में भी सही मार्केटिंग की जाए तो क्यों नहीं इसको आगे किया जा सकता। उनका कहना है कि हॉकी के लिए आज यह जरूरी हो गया है कम से कम चार बार ब्रेक लिया जाए ताकि जब किसी मैच का सीधा प्रसारण हो तो बीच में विज्ञापन दिखाने का मौका मिल सके। उन्होंने कहा कि देश में प्रीमियर लीग में इसका प्रयोग भी किया जा चुका है। लीग में 35 मिनट के पहले हॉफ में खेल को एक बार रोका जाता है। 17.5 मिनट के खेल के बाद एक ब्रेक होता है। यानी दो हॉफ के खेल को चार हिस्सों में बांटकर मैच कराया जाता है। हॉकी लीग को इसके कारण लोकप्रियता मिली है, लेकिन अभी इसको अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता नहीं दी जा रही है। लेकिन जब तक ब्रेक के लिए हॉकी को मान्यता नहीं मिलेगी इसका भविष्य सुरक्षित नहीं रहेगा। रायपुर में लगना चाहिए एस्ट्रो टर्फ :- अखिल भारतीय स्वर्ण कप नेहरू हॉकी में चैंपियनशिप के निर्देशक के रूप में काम कर रहे मो. मुनीर ने पूछने पर कहा कि यह जरूरी है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में एस्ट्रो टर्फ लगे। उन्होंने नेताजी स्टेडियम के बारे में कहा कि यहां पर आसानी से एस्ट्रो टर्फ लगाया जा सकता है। बकौल मुनीर इस मैदान में दिशा गलत है तो क्या हुआ एस्ट्रो टर्फ लगाने के बाद यहां पर फ्लड लाइट में मैच करवाने से कोई परेशानी नहीं होगी। उन्होंने नेताजी स्टेडियम के मैदान की तारीफ करते हुए कहा ऐसा चट मैदान तो देश में और कहीं नहीं है। उन्होंने कहा कि इस मैदान को तैयार करने के लिए आयोजक काफी मेहनत करते हैं। श्री मुनीर ने बताया कि वे जब यहां 2003 में जूनियर राष्ट्रीय हॉकी चैंपियनशिप के समय आए थे तो प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी से मुलाकात हुई थी, तो उनके सामने यह बात रखी गई थी कि छत्तीसगढ में एस्ट्रो टर्फ जरूरी है। तब उन्होंने कहा था कि जशपुर में एस्ट्रो-टर्फ लगाया जा रहा है। श्री मुनीर ने पूछने पर बताया कि वे जरूर अपने अंयापर साथियों के साथ मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मिलेंगे और उनको रायपुर में एस्ट्रो-टर्फ लगाने के लिए कहेंगे। मई से नए नियम आएंगे :- श्री मुनीर ने बताया कि हॉकी में और तेजी लाने के साथ इसको सुरक्षित करने के लिए नियमॊ में बदलाव किए गए हैं। ये नए नियम मई से लागू होंगे। इन नियमॊं के बारे में उन्होंने बताया कि अब फ्री हिट मिलने पर खिलाड़ी जहां गेंद को खुद ही लुढ़काकर खेल सकते हैं, वहीं फ्री हिट को 23 मीटर की दूरी से सीधे डी के अंदर नहीं मारा जा सकेगा। उन्होंने बताया कि सीधे डी के अंदर फ्री हिट मारने से किसी खिलाड़ी के साथ अंपायर को भी चोट लगने की संभावना रहती है क्योंकि फ्री हिट के समय 9 खिलाड़ी डी के अंदर रहते हैं, लेकिन इस नए नियम से अब यह खतरा समाप्त हो जाएगा। स्कूल स्तर से ध्यान देना होगा :- नौ साल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अंपायरिंग करने वाले श्री मुनीर का कहना है कि हॉकी को आगे बढ़ाने के लिए स्कूल स्तर से ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने कहा कि स्कूल स्तर पर हॉकी खेली तो जाती है लेकिन वैसा प्रशिक्षण नहीं मिल पाता जैसा मिलना चाहिए। अपने देश में अच्छे प्रशिक्षकों की कमी नहीं है। इसको अगर स्कूली खिलाड़ियों का तैयार करने में लगाया जाए तो खेल आगे बढ़ सकता है। उन्होंने छत्तीसगढ़ के बारे में कहा कि यहां पर आदिवासी क्षेत्र में काफी प्रतिभाएं हैं इन पर ध्यान दिया जाए तो छत्तीसगढ़ हॉकी में बहुत आगे बढ़ सकता है।

रामगढ़ की अचानक मौत

अखिल भारतीय स्वर्ण कप नेहरू हॉकी में सोमवार के दिन भी टाईब्रेकर का जादू कायम रहा और पहले मैच का फैसला टाईब्रेकर के बाद सडनडेथ में हुआ। यह मैच सिवनी ने सीआरसी रामगढ़ को 6-5 से मात देकर जीता। एक अन्य मैच में बीईसी रूढ़की ने स्पोट्र्स हॉस्टल चेन्नई को 1-0 से हराया।
नेताजी स्टेडियम में चल रही चैंपियनशिप में पहला मैच व्वायज क्लब सिवनी और सीआरपी रामगढ़ के बीच खेला गया। यह मैच काफी रोमांचक रहा। मैच निर्धारित समय तक 1-1 से बराबर रहा। मैच का पहला गोल खेल के तीसरे ही मिनट में सिवनी के अब्दुल वाहिद ने किया। पहले हॉफ में सिवनी की टीम इस गोल से ही आगे रही। दूसरे हॉफ में रामगढ़ के लिए बराबरी का गोल खेल के छठे मिनट में ही शमशेर खान ने किया। इसके बाद कोई भी टीम गोल नहीं कर सकी। मैच का फैसला करने के लिए पहले टाईब्रेकर का सहारा लिया गया। यहां पर सिवनी के लिए असब खान को छोड़कर राहुल सूर्यवंशी, आसिफ खान, बासित खान और रितेश ने गोल किए। इधर रामगढ़ के लिए जगजीत सिंग को छोड़कर हरजीत सिंग, गुरविंदर, एम. तिर्की और हरविंदर सिग ने गोल किए। ऐसे में मुकाबला 5-5 से बराबरी पर आ गया। अब सडनडेथ का सहारा लिया गया तो यहां पर सिवनी के लिए जहां असब खान गोल करने में सफल रहे, वहीं रामगढ़ हरविंदर सिंग का गोल रोककर सिवनी के गोलकीपर ने अपनी टीम को जीत दिला दी। दूसरा मैच स्पोट्र्स हॉस्टल चेन्नई और बीईसी रूढ़की के बीच खेला गया। इस मैच का फैसला एक मात्र गोल से हुआ। यह विजयी गोल रूढ़की के लिए पहले हॉफ के 10वें मिनट में कृपाल सिंग ने किया। मैचों के अंपायर थंबू राज, मनीष गौर, जावेद खान, देवेश शुक्ला थे। टेबल जज डॉ. क्यूए वाहिद और निधि गुप्ता, तीसरे अंपायर इंसान अली थे।

सोमवार, 2 मार्च 2009

जोरदार मुकाबला- टाईब्रेकर में फैसला

अखिल भारतीय स्वर्ण कप नेहरू हॉकी में रविवार का दिन टाईब्रेकर का रहा। चैंपियनशिप में हुए सभी चारों मैचों के फैसलों के लिए टाईब्रेकर का सहारा लिया गया। इन मैचों में सेंट्रल रेलवे नागपुर, एसआरसी रामगढ़, डीबीएचए बेंगलूर के साथ मेजबान एथलेटिक क्लब की टीम ने अपने-अपने मैच जीते।

नेताजी स्टेडियम में रविवार का दिन होने की वजह से जहां आयोजकों ने चार मैच करवाए, वहीं दर्शकों ने भी मैच का आनंद लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी। भारी दर्शकों के बीच पहला मैच सेंट्रल रेलवे नागपुर और सीएमपी बेंगलूर के बीच खेला गया। यह मैच कांटे का रहा निर्धारित समय में मुकाबला 1-1 से बराबर रहा। मैच का पहला गोल 8वें मिनट में बेंगलूर के सबासतीन ने किया। नागपुर को 19वें मिनट में बराबरी दिलाने का काम रशीद अली ने किया। इसके बाद कोई गोल नहीं हो सका। मैच का फैसला करने के लिए टाईब्रेकर का सहारा लिया गया तो यहां भी मुकाबला बराबरी पर आकर अटक गया। टाईब्रेकर में नागपुर के धीरज बॉग, एजाज कुरैशी, कासिफ कुरैशी और रशीद अली ने गोल किए। राजबीर गोल करने से चूक गए। इधर बेंगलूर के लिए जी.रंजीत मिंज, सुशील डूंगडूंग, मनोज तिर्की और कमल होरो ने गोल किए। ऐसे में सडनडेथ मैच का फैसला किया गया। यहां पर नागपुर के धीरज, एजाज, कासिम और राजबीर ने गोल किए। बेंगलूर की तरफ से मनोज तिर्की, सुशील और जगदीप ही गोल कर सके। मैच 9-8 से नागपुर ने जीता। दूसरा मैच एसआरसी रामगढ़ और आईसीएस चेन्नई के बीच खेला गया। यह मैच भी पहले मैच की राह पर चला और निर्धारित समय में मुकाबला 1-1 से बराबर रहा। मैच का पहला गोल 30वें मिनट में चेन्नई के पान पंडया ने किया। रामगढ़ को दूसरे हॉफ के 57वें मिनट में बराबरी पाने का मौका मिला। ए. कुजूर ने गोल करके अपनी टीम को बराबरी दिलाई। मैच का फैसला करने के लिए जब टाईब्रेकर का सहारा लिया गया तो यहां पर रामगढ़ के बलजीत सिंग, एम. तिर्की, हरजीत सिंग और गुरविंदर सिंग ने गोल किए। चेन्नई के लिए कार्निक और सरवन ही गोल कर सके। यह मैच रामगढ़ ने 5-3 से जीता। तीसरे मैच में पूर्व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों धनराज पिल्ले के साथ गोलकीपर आशीष बलाल की अकादमी की टीम धनराज-बलाल हॉकी अकादमी बेंगलूर का मुकाबला मैकान रांची से हुआ। यह मैच भी काफी रोमांचक रहा। मैच में निर्धारित समय तक मुकाबला 1-1 की बराबरी पर रहा। मैच में दोनों टीमों ने प्रयास किए टाईब्रेकर की नौबत न आए, लेकिन कोई भी टीम अंत तक विजयी गोल करने में सफल नहीं हो सकी। मैच का पहला गोल दूसरे ही मिनट में बेंगलूर के नवीन शेखर ने किया। रांची के लिए बराबरी का गोल पहले हॉफ के 27वें मिनट में दिलीप खाका ने किया। दूसरा हॉफ गोल रहित बराबर रहने पर मैच का फैसला टाईब्रेकर से किया गया। यहां पर बेंगलूर के लिए मुदपा, रफीक, नईमुद्दीन और नवीन शेखर ने गोल किए। रांची के लिए बीके मिंज और ललित एक्का ही गोल कर सके। कमल बरा और दिलीप खाका के स्ट्रोक को गोलकीपर ने रोक लिया। इसी के साथ बेंगलूर की टीम ने मैच 5-3 से जीतकर अगले चक्र में स्थान बना लिया। अंतिम मैच मेजबान एथलेटिक क्लब और साई रांची के बीच खेला गया। इस मैच में ऐसा माना जा रहा था कि यह मैच जरूर एकतरफा रहेगा और साई के सामने मेजबान टीम हार मान लेगी, लेकिन इस मैच ने भी टाईब्रेकर तक का सफर तय करके दशकों के रविवार को खुशनुमा बना दिया। यह मैच आशा के विपरीत मेजबान टीम ने 6-5 से जीता।

शनिवार, 28 फ़रवरी 2009

जिंदल की तीसरी जीत

अखिल भारतीय स्वर्ण कप नेहरू हॉकी में जिंदल स्टील प्लांट रायगढ़ ने एकतरफा मुकाबले में मेजबान एथलेटिक क्लब को 5-0 से मात देकर तीसरी जीत दर्ज की। एक अन्य मुकाबले में ब्वायज सिवनी ने जिम खाना क्लब को कड़े मुकाबले के बाद 6-4 से मात दी। चैंपियनशिप का यह पहला मैच रहा जिसमें इतने ज्यादा गोल हुए। नेताजी स्टेडियम में चल रही चैंपियनशिप में पहला मैच जिंदल और एथलेटिक क्लब के बीच खेला गया। इस मैच में जिंदल की अनुभवी टीम के सामने मेजबान टीम ठहर ही नहीं सकी। मैच पूरी तरह से जिंदल के कब्जे में रहा। मैच का पहला गोल पहले हॉफ के 19वें मिनट में दिलबर एक्का ने पेनाल्टी कॉर्नर से किया। पहले हॉफ में यही एक मात्र गोल हुआ। दूसरे हॉफ में जिंदल ने गोलों की ङाड़ी लगा दी। मैच के प्रारंभ में दूसरे ही मिनट में नामजान की स्टिक से एक गोल निकला। इसके एक मिनट बाद ही विकटर एक्का ने गोल कर दिया। मेजबान टीम अभी इन दो गोलों के सदमे से ऊबर भी नहीं पाई थी कि विकटर एक्का ने ही 40वें मिनट में एक और गोलकर अपनी टीम को 4-0 से आगे कर दिया। यह गोल पेनाल्टी कॉर्नर से किया गया। मैच का पांचवां और अंतिम गोल सुजीत करकटा ने खेल के 42वें मिनट में किया। इस मैच में विजेता टीम को जहां 8 पेनाल्टी कॉर्नर मिले जिसमें से दो को गोल में बदला गया, वहीं पराजित टीम को एक भी पेनाल्टी कॉर्नर नहीं मिला। दूसरा मैच शाम के सत्र में ब्वायज सिवनी और जिम खाना क्लब रायपुर के बीच खेला गया। यह मैच काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा। मैच में पहला गोल खेल के तीसरे मिनट में ही जिम खाना के कंचन ने किया। यह बढ़त 11वें मिनट तक ही कायम रह सकी। मैच के 12वें मिनट में सिवनी ने पेनाल्टी कॉर्नर से बराबरी का गोल कर दिया। यह गोल आर. सूर्यवंशी की स्टिक से निकला। इसके दो मिनट बाद ही अब्दुल वाहिद ने गोल करके अपनी टीम को 2-1 से आगे कर दिया। इसके एक मिनट बाद ही तनवीर कुरैशी ने अपनी टीम के लिए तीसरा गोल दाग दिया। पहले हॉफ के समाप्त होने के दो मिनट पहले जिम खाना के रौशन एक्का ने गोल करके सिवनी की बढ़त को कम कर दिया। पहले हॉफ में सिवनी की टीम 3-2 से आगे रही। दूसरे हॉफ में खेल प्रारंभ होने पर सिवनी से ताबड़तोड़ हमले कर दिए। इसके फलस्वरूप सातवें मिनट में अब्दुल वाहिद ने गोल करके अपनी टीम को 4-2 कर दिया। इसके तीन मिनट बाद ही असद खान ने भी गोल कर दिया और सिवनी की टीम 5-2 से आगे हो गई। सिवनी के लिए छठा गोल इम्तियाज ने खेल के 49वें मिनट में किया। तीन गोलों से पीछे होने के बाद लगा कि अब जिम खाना के खिलाड़ियों ने हार मान ली है। इधर 6 गोल करने के बाद सिवनी के खिलाड़ियों ने अपनी जीत तय मान मैच को गंभीरता से लेना बंद कर दिया। जिम खाना के खिलाड़ियों ने सिवनी के खिलाड़ियों की कमजोरी का फायदा उठाते हुए दो गोल दाग दिए। मैच के 52वें मिनट में रौशन एक्का और 57वें मिनट में विकास एक्का ने गोल करके गोलों के अंतर को 4-6 कर दिया। इसके बाद मैच में जिम खाना के खिलाड़ियों ने पूरा प्रयास किया कि वे दो और गोल करके मैच में बराबरी प्राप्त कर लें, लेकिन इस बार सिवनी की रक्षापंक्ति ने कोई गलती नहीं की और जिम खाना को कोई गोल करने का मौका नहीं दिया। अंत में सिवनी ने मैच 6-4 से जीतकर अपनी तीसरी जीत दर्ज की। आज के मैचों में देवेश शुक्ला, तंबू राज, लोक राज और इंसान अली अंपायर थे। टेबल जज डॉ. क्यूए वाहिद थे।

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