बुधवार, 4 फ़रवरी 2009

आईसीसी जोकरों का समूह

अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट कोसिल ने भारत के स्टार खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर को सर्वकालिक महान खिलाडिय़ों की सूची से बाहर रखने का काम किया है। आईसीसी की इस हरकत से जहां देश का पूरा क्रिकेट जगत हैरान है, वहीं आईसीसी के व्यवहार को कोई भी नया-पुराना खिलाड़ी पचा नहीं पा रहा है। ऐसे में भारत के पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मनिन्दर सिंह ने आईसीसी पर बरसते हुए कहा कि आईसीसी तो जोकरों कासमूह है। अगर ऐसा नहीं होता तो सचिन तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ी को कभी भी सर्कलिक महान खिलाडिय़ों की सूची में टॉप 20 से बाहर नहीं रखा जाता। सचिन को इस सूची में सम्मानजन· स्थान दिया जाना था। आईसीसी ने जब से महान खिलाडिय़ों की सूची जारी की है, तब से इस सूची को लेकर विवाद हो रहा है। विवाद का एक बड़ा कारण भी है। आज पूरे विश्व में अपने नाम का डंका बजवाने वाले सचिन को आईसीसी ने टॉप में 20 में स्थान देना जरूरी ही नहीं समझा। जैसे ही आईसीसी की सूची जारी हुई, पूरे देश में इस बात को लेकर आक्रोश फैल गया। ऐसे में जिस भी क्रिकेटर को जैसी प्रतिक्रिया देने का मौका मिला उन्होंने दे डाली। इसी बाच जाने माने स्पिन के जादूगर और कमेंट्रेटर मनिंदर सिंह का रायपुर आना हुआ तो उन्होंने आईसीसी के आकाओं को जोकरों का समूह कह दिया। मनी का बयान कुछ वैसा ही है जैसे आज से करीब दो दशक पहले मो अमरनाथ ने बीसीसीआई के चयनकर्ताओं के बारे में दिया था। तब अमरनाथ ने चयनकर्ताओं को जोकरों का समूह कहा था। मनी यह मानते हैं कि अमरनाथ ने ऐसा कहा था तो गलत भी नहीं कहा था तब उनके साथ चयनकताओं ने काफी गलत किया था। बहरहाल मनी ने अपने रायपुर प्रवास में कहा कि यह बात तय है कि आईसीसी की कमान जिनके हाथों में हैं वो जोकर हैं। उन्होंने कहा कि यह कैसे संभव है कि सचिन जैसा एक खिलाड़ी जो टेस्ट में सबसे ज्यादा रन बनाता है और जिनके खाते में दुनिया का हर रिकार्ड है वह महान खिलाडिय़ों में शामिल नहीं है। उन्होंने आईसीसी की सूची को मजाक करार दिया और कहा कि ऐसी सूची का क्या ओचित्य है। उन्होंने कहा क्रिकेट को राष्ट्रीय खेल बनाने की मांग करना गलत नहीं है। मनिंदर की नजर में राष्ट्रीय खेल तो क्रिकेट ही है। उन्होंने कहा कि हॉकी का आज देश में क्या मतलब रह गया है। उन्होंने कहा कि जब भारतीय हॉकी फेडरेशन की कमान के पीएस गिल के हाथों में थी तो लगा था कि इस खेल का जरूर कुछ भला होगा लेकिन श्री गिल भी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरे। उन्होंने कहा क्रिकेट आज अगर नंबर वन है तो इसके पीछे भारतीय क्रिकेट बोर्ड की योजनाएं हैं। उनका कहना है कि किसी भी खेल को आगे बढ़ाने में उसके संघ का सबसे बड़ा हाथ होता है। उन्होंने कहा कि हॉकी को बढ़ाने के लिए उसको क्रिकेट की तरह बेचना होगा। उन्होंने कहा कि अगर किसी के पास 100 करोड़ रुपए होंगे तो वह क्रिकेट में लगाना चाहेगा, हॉकी में नहीं। उन्होंने हॉकी को कचरा करार देते हुए कहा कि कोई भी अपना पैसा कचरे में डालना नहीं चाहता है। असली क्रिकेट तो टेस्ट ही है: - एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा की वनडे के बाद आज 20-20 क्रिकेट आ गया है, इसके बाद 10-10 ओवरों के क्रिकेट की बात की जा रही है, लेकिन असली क्रिकेट की जहां तक बात है तो वह तो टेस्ट क्रिकेट ही है। उन्होंने सलाह देते हुए कहा की कभी भी बच्चों को 10-10 ओवर के मैच नहीं खिलाने चाहिए। उन्होंने कहा की आज टेस्ट में जिस तरह से नतीजे आने लगे हैं उससे रोमांच बढ़ गया है। धोनी सफल कप्तान:- मनिन्दर सिंह की नजर में इस समय सबसे सफल और अच्छे कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी हैं। उनका कहना है कि धोनी एक ऐसे कप्तान हैं जो हर खिलाड़ी की भावनाओं को समझते हैं। अगर कोई गेंदबाज उनके पास जाकर कहता है कि वह आगे ओवर नहीं करना चाहता है तो वे उनकी बात मानते हैं। बकौल मनिन्दर खिलाडिय़ों के साथ धोनी का ताल-मेल बेजोड़ है। पूछने पर उन्होंने कहा कि राहुल द्रविड़ को वास्तव में अब संन्यास के बारे में सोचना चाहिए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि विज्ञापन में काम करना गलत नहीं है। उन्होंने कहा कि खिलाड़ी के पास जो समय रहता है उसका उपयोग कर लेना चाहिए। एक उम्र के बाद तो खिलाड़ी के पास कुछ नहीं बच जाता है। उन्होंने कहा कि आज देश में कई खेलों के खिलाड़ी ऐसे हैं जिनको खाने के लाले पड़ जाते हैं। अगर क्रिकेटर विज्ञापन करके अपना भविष्य सुरक्षित करना चाहते हैं इसमें गलत क्या है। उन्होंने बीसीसीआई की तारीफ करते हुए कहा कि आज बीसीसीआई ने क्रिकेटरों को इस मुकाम तक पहुंच दिया है कि उनके कभी फाके खाने नहीं पड़ेंगे। छत्तीसगढ़ में क्रिकेट अकादमी बने :- मनिंदर सिंह ने पूछने पर कहा कि उन्होंने छत्तीसगढ़ में बना क्रिकेट स्टेडियम तो नहीं देखा है, पर इसकी तारीफ जरूर सुनी है। उन्होंने कहा कि यहां की प्रतिभाओं को बढ़ाने के लिए महज स्टेडियम बना देने से काम नहीं चलेगा इसके लिए क्रिकेट की अकादमी खोलनी होगी। उन्होंने कहा की कई एनआईएस कोच है जिनकी सेवाएं लेकर यहां की प्रतिभाओं को निखारा जा सकता है। उन्होंने कहा कि अगर मेरी मदद की जरूरत पड़ेगी तो मैं भी मदद करने तैयार हूं।

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