भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई की योजना है कि भले ही हर खेल को पूरी मदद न मिल सके लेकिन राज्य के पदक विजेता खिलाड़ियों को जरूर खेल सामान दिए जाएंगे। खिलाड़ियों को सामान मिलने से उनके खेल में भी जान आएगी। साई जहां प्रदेश में यह काम करेगा, वहीं राजनांदगांव में 40 करोड़ की लागत से एक बड़ा खेल परिसर भी बनाने जा रहा है। इस खेल परिसर में एक दर्जन से ज्यादा खेलों को रखा जाएगा। इसी के साथ यहां पर 100 खिलाड़ियों के रहने की भी व्यवस्था रहेगी। साई छत्तीसगढ़ में खेलों के विकास में हर तरह की मदद करने को तैयार है। यहां कई खेलों के डे बोर्डिंग सेंटर भी खोले जाएंगे। ये बातें साई के क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडू ने कहीं। उन्होंने बताया कि उनका यह पहला छत्तीसगढ दौरा है और इस दौरे में यह बात सामने आई है कि यहां पर खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है। ऐसे में साई इन सभी प्रतिभाओं को सामने लाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगा। उन्होंने बताया कि उनके दौरे का मुख्य मकसद राजनांदगांव में बनने वाले खेल परिसर के लिए जमीन का अधिग्रहण करना था। यह काम सोमवार को पूरा हो गया है। सरकार ने साई को वहां पर 15 एकड़ जमीन दे दी है।
एस्ट्रो टर्फ सिन्थॆटिक ट्रेक लगेगा:- खेल परिसर के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि इस परिसर में जहां हॉकी का सुपर एस्ट्रो टर्फ लगाया जाएगा, वहीं एथलेटिक्स के लिए 400 मीटर का सिन्थॆटिक ट्रेक भी लगाया जाएगा। इन दोनों योजनाओं पर करीब 8 से 10 करोड़ का खर्च आएगा। इसके अलावा परिसर में एक मल्टीप्लेक्स हॉल बनेगा। इस हाल में कई बास्केटबॉल, हैंडबॉल, वालीबॉल,जूडो, कुश्ती, जिम्नास्टिक, बैडमिंटन, टेबल टेनिस, कबड्डी के साथ मार्शल आर्ट से जुड़े खेलों के लिए मैदान रहेंगे। उन्होंने बताया कि इंडोर में इन मैदान के साथ ही आउटडोर में भी बास्केटबॉल और वालीबॉल के अलावा फुटबॉल के मैदान बनाए जाएंगे। उन्होंने पूछने पर बताया कि छत्तीसगढ़ के 15 खेलों ने राष्ट्रीय खेलों में खेलने की पात्रता प्राप्त की है, उन खेलॊ का समावेश तो यहां रहेगा ही इसके अलावा उन खेलों पर भी ध्यान दिया जाएगा जिनमें पदक की संभावना है। इस पूरी योजना पर करीब 40 करोड़ खर्च आएगा जो साई करेगा। तीरंदाजी की विशेष योजना:- श्री नायडू ने बताया कि परिसर में तीरंदाजी को लेकर विशेष योजना प्रारंभ की जाएगी। उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी में है कि इस खेल में छत्तीसगढ से काफी अच्छे खिलाड़ी निकल सकते हैं। यहां के आदिवासी क्षेत्र बस्तर और सरगुजा में इन खेलॊ की प्रतिभाएं हैं। उन्हॊंने बताया कि साई चाहता है कि ओलंपिक में देश के तीरंदाज पदक दिलाने का काम करें। इसके लिए लिम्बाराम को प्रशिक्षक बनाया गया है। उनको यहां प्रशिक्षण देने के लिए भेजा जाएगा। डे बोर्डिंग सेंटर भी खोलेंगे:- श्री नायडू ने बताया कि जहां एक तरफ राजनांदगांव में खेल परिसर की योजना है, वहीं प्रदेश में कई स्थानों पर डे बोर्डिंग की भी योजना है। इसके तहत सेंटर ऑफ एक्सलेंसी योजना में बास्केटबॉल में लड़कियों के लिए भिलाई और लड़कॊ के लिए राजनांदगांव, हैंडबॉल में दोनों वर्गों के लिए सेंटर भिलाई में रहेगा। रायपुर में वालीबॉल का सेंटर रहेगा। जूडो का सेंटर भिलाई में रखा जाएगा। इसी तरह से फुटबॉल के सेंटर के लिए दिल्ली पब्लिक स्कूल रायपुर से बात चल रही है। तैराकी, तीरंदाजी और एथलेटिक्स के लिए बस्तर, कबड्डी, हॉकी और वालीबॉल के लिए जशपुर, जिम्नास्टिक, ताइक्वांडो के लिए बिलासपुर को प्राथमिकता में रखा गया है। इन सेंटरों में 14 से 18 साल तक के खिलाड़ी शामिल हो सकेंगे। इस योजना पर पांच से छह करोड़ खर्च आएगा। स्कूलों को भी लिया जाएगा गोद:- श्री नायडु ने बताया कि साई की एक नई योजना के तहत छत्तीसगढ़ के 18 जिलों के एक-एक स्कूल को गोद लेने की योजना है। जिस स्कूलों में जिन खेलों की सुविधाएं हैं वहां पर उन खेलों के डे बोर्डिंग सेंटर प्रारंभ किए जाएंगे। हर स्कूल में दो से तीन खेलॊं को रखा जाएगा। इसी के साथ यह भी देखा जाएगा कि किसी भी खेल का पदक विजेता खिलाड़ी किसी सुविधा से वंचित न हों। हर खेल के पदक विजेता को साई एक तरह से गोद लेकर उनको खेलने का सामान देगा। उन्होंने बताया कि साई के सेंटर से जुड़ने वाले खिलाड़ियों को जहां सुविधाएं मिलेंगी, वहीं उनको विदेश खेलने जाने का मौका मिलता है तो उसका भी सारा खर्च साई करेगा। इस योजना में 14 से 16 साल के खिलाड़ियों को शामिल किया जाएगा, यहां से निकलने वाले प्रतिभाशाली खिलाड़ी खेल परिसर में स्थान प्राप्त कर लेंगे। तीन चरणों में बनेगा खेल परिसर:- श्री नायडु ने पूछने पर बताया कि राजनांदगांव के खेल परिसर का काम मई तक प्रारंभ हो जाएगा। इस परिसर के पूरा करने के लिए तीन चरणों में काम होगा। पहले चरण में एस्ट्रो टर्फ के साथ अन्य मैदानों को बनाने की योजना है ताकि प्रशिक्षण का काम प्रारंभ हो सके। पहला चरण अगले साल के अंत तक पूरा हो जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण सिन्थॆटिक ट्रेक के साथ मल्टीप्लेक्स को पूरा किया जाएगा। तीसरे और अंतिम चरण में वहां के रहने के लिए मकानों का निर्माण होगा। उन्होंने कहा कि जल्द से जल्द इसको पूरा करना ही हमारा लक्ष्य होगा। उन्हॊंने कहा कि पहले चरण का काम तो 18 माह में पूरा हो जाएगा। इसके बाद अगले चरणों के लिए भी एक समय सीमा तय की जाएगी। सभी कोच स्थानीय हॊंगे:- खेल परिसर में रखे जाने वाले प्रशिक्षकों के बारे में उन्होंने पूछने पर खुलासा किया कि सभी प्रशिक्षक स्थानीय होंगे। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ में कई खेलों के एनआईएस कोच हैं। जिन खेलों में नहीं हैं उनमें अगर छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी एनआईएस बन जाते हैं तो उनको पहली प्राथमिकता मिलेगी। मुख्यमंत्री खेलॊं को बढ़ाने गंभीर:- श्री नायडु ने प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के बारे में कहा कि वे तो उनसे महज पांच मिनट के लिए ही मिलने गए थे, पर उनसे खेलों पर आधे घंटे से भी ज्यादा समय तक चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री की सोच जिस तरह से खेलों को बढ़ाने की है, उससे यह तय है छत्तीसगढ़ को खेलों में आगे बढ़ाने से कोई नहीं रोक सकता है। उन्हॊंने बताया कि उनको मुख्यमंत्री से ही इस बात की जानकारी हुई है कि राजधानी के बूढा तालाब के पास एक स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स बन रहा है। इसी के साथ बिलासपुर में एक बड़ा खेल परिसर बन रहा है। इन दोनों में साई से जो भी मदद सरकार चाहेगी वह की जाएगी। इन परिसरों को बनाकर अगर साई को दे दिया गया तो बाकी सारा काम हमारा होगा। उन्हॊंने खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी के बारे में भी कहा कि उनका रुझान भी खेलों के प्रति नजर आया। इसी के साथ यहां की सरकार जिस तरह से खिलाड़ियों को पुरस्कार में भारी राशि दे रही है और यहां की खेल नीति जिस तरह से बनी है उससे जरूर छत्तीसगढ़ काफी आगे जाएगा। पदक जीतने वाले खिलाड़ी तो गरीब होते हैं:- श्री नायडू ने कहा कि इसमें कोई दो मत नहीं कि पदक जीतने वाले खिलाड़ी गरीब और मध्यम वर्ग के होते हैं। उन्होंने कहा कि पदक जीतने केलिए भारी मेहनत की जरूरत होती है और ऐसी मेहनत को गरीब ही कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि चूंकि वे खुद एक खिलाड़ी रहे हैं इसलिए हर बात को अच्छी तरह से समङा सकते हैं। उनका कहना है कि छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्र में ऐसी मेहनत करने वाले खिलाड़ियों की कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि बस्तर और सरगुजा से अच्छे तीरंदाज और एथलीट निकल सकते हैं। इनके अगर सही प्रशिक्षण मिले तो ये छत्तीसगढ़ के साथ देश का नाम रौशन कर सकते हैं। ऐसी प्रतिभाओं को खेल परिसर में लाकर निखारने का काम साई करेगा।
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