बुधवार, 25 फ़रवरी 2009
रेलवे है खिलाड़ी नंबर वन
छत्तीसगढ़ के 100 से ज्यादा खिलाड़ी इस समय रेलवे में नौकरी कर रहे हैं देश में रेलवे ही एक ऐसा विभाग है जो देश के हर राज्य के प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को तुरंत नौकरी देने का काम करता है। रेलवे के 16 जोनों में हर साल 48-48 खिलाड़ियों को नौकरी में रखा जाता है। कुल मिलाकर हर साल रेलवे 768 खिलाड़ियॊ को नौकरी में रखता है। प्रदेश के जो खिलाड़ी रेलवे में काम कर हैं उनका एक स्वर में मानना है कि रेलवे जैसी सुविधाएं और किसी विभाग में मिल ही नहीं सकती हैं। इन खिलाड़ियों का ऐसा भी मानना है कि देश में खेलों को बढ़ाने में रेलवे का सबसे बड़ा हाथ है। रेल का बजट शुक्रवार को जब रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने पेश किया तो इसी के साथ रेलवे से जुड़े खेलों की याद भी आई। रेलवे ने हमेशा से खेलों के लिए काफी काम किया है। रेलवे ही इस समय देश में एक ऐसी बड़ी संस्था है जिसके खाते में खिलाड़ियों को सबसे ज्यादा नौकरी देने का रिकॉर्ड दर्ज है। छत्तीसगढ में ही रेलवे ने 100 से ज्यादा खिलाड़ियों को नौकरी में रखा है। इन खिलाड़ियों में प्रदेश के नंबर वन खेलॊ बास्केटबॉल और हैंडबॉल के ही 50 खिलाड़ी शामिल हैं। बास्केटबॉल के 38 और हैंडबॉल के 12 खिलाड़ी रेलवे में हैं। इनमें से ज्यादातर द.पू. मध्य रेलवे में कार्यरत हैं। इन खेलों के अलावा वेटलिफ्टिंग, पावरलिफ्टिंग, मुक्केबाजी, बैडमिंटन, फुटबॉल, हॉकी, खो-खो, क्रिकेट, तैराकी, तीरंदाजी के खिलाड़ी नौकरी में हैं। यहां के खिलाड़ियों को टीसी के साथ क्लास थ्री और क्लास फोर में रखा गया है। इसके अलावा सीनियर क्लर्क के पद में भी खिलाड़ी रखे गए हैं। पदक जीतते ही मिलती है पदोन्नति:- रेलवे में कार्यरत बास्केटबॉल की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी अंजू लकड़ा बताती हैं कि वह रेलवे में 2002 से काम कर रही हैं। उनको सात साल में तीन बार पदोन्नति मिली है और आज वह हेड टीसी बन गई हैं। उन्होंने बताया कि रेलवे में खेलते हुए उन्होंने जहां राष्ट्रीय चैंपियनशिप में तीन बार स्वर्ण पदक जीते हैं, वहीं रेलवे की चैंपियनशिप में अपने क्षेत्र की टीम को स्वर्ण दिलाया है। छत्तीसगढ़ की एक और अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सीमा सिंह बताती हैं कि उनकी भी पदोन्नति होने वाली है और वह भी अब हेड टीसी बन जाएंगी। भारती नेताम ने बताया कि रेलवे में पदक जीतने पर तुरंत पदोन्नति मिल जाती है। इनके साथ रेलवे में काम करने वाले छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी एम. पुष्पा, अनामिका जैन, आरती सिंह, कविता अम्बिलकर, मृदुला आडिल, रूपाली पात्रो, राधा सोनी, जे. वेणु, राजेश्वरी ठाकुर, कुमारी सरिता, आकांक्षा सिंह, एम. पुष्पा, नवनीत कौर, वी. निशा, टीएस प्रकाश राव, शिवेन्द्र निषाद, देवेन्द्र यादव, निर्मल सिंहा, ए. संतोष कुमार और आशुतोष सिंह का मानना है कि रेलवे में जैसी सुविधाएं हैं वैसी सुविधाएं कहीं नहीं हैं। कम उम्र के खिलाड़ियों के लिए खुले हैं दरवाजे:- रेलवे में जहां सीनियर खिलाड़ियों को नौकरी आसानी से मिल जाती है, वहीं जूनियर खिलाड़ियों को भी नौकरी मिलने में परेशानी नहीं होती है। इन जूनियर खिलाड़ियों को स्पोट्र्स टेलेंट के तहत नौकरी दी जाती है। 16 साल से 18 साल के इन खिलाड़ियों का चयन रेलवे बोर्ड की एक समिति राष्ट्रीय चैंपियनशिप में जाकर ही करती है। ऐसे खिलाड़ियों की भर्ती के लिए कोई विज्ञापन नहीं निकाले जाते हैं। ऐसे ही टेलेंट सर्च के तहत छत्तीसगढ़ की अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी सबा अंजुम को नौकरी मिली थी। एक साथ 11 इंक्रीमेंट:- रेलवे में काम करने वाले खिलाड़ी बताते हैं कि रेलवे एक ऐसा विभाग है जहां पर चार से लेकर 11 इंक्रीमेंट एक साथ मिल जाते हैं। कोई खिलाड़ी अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीत जाता है तो उनको एक साथ 11 इंक्रीमेंट मिल जाते हैं। ऐसे में खिलाड़ी का वेतन तीन हजार रुपए ज्यादा हो जाता है। राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक विजेता खिलाड़ियों को चार से सात इंक्रीमेंट एक साथ वेतन में जोड़कर देने का प्रावधान है। शिविर के लिए भी छुट्टी मिले:- एक तरफ जहां खिलाड़ी रेलवे में मिलने वाली सुविधाओं को बखान करते नहीं थकते हैं, वहीं उनको इस बात का जरूर मलाल है कि प्रशिक्षण शिविरों के लिए उनको छुट्टी नहीं मिल पाती है। खिलाड़ियॊ का एक स्वर में ऐसा मानना है कि शिविरों के लिए भी छुट्टी देनी चाहिए। वैसे चैंपियनशिप में जाने के लिए हमेशा छुट्टी मिल जाती है। खिलाड़ी बताते हैं कि ज्यादातर जोन में खिलाड़ियों को आधे समय ही काम करना पड़ता है बाकी का समय अभ्यास के लिए मिलता है। इस समय दुर्ग में कार्यरत खिलाड़ियों को ही ज्यादा परेशानी हो रही है।
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2 टिप्पणियां:
छत्तीसगढ़ से खेल पत्रकारिता के एक और राजकुमार हुआ करते थे, राजकुमार भावनानी। क्या आप उनको जानते हैं, अगर हां तो मुझे उनका नंबर उपलब्ध कराने की मेहरबानी करें। 20 साल हुए उनसे बात किये। धन्यवाद
अजय शर्मा, नई दिल्ली
9811846468 (मोबाइल)
सिर्फ खिलाडियों को ही नहीं .... हर क्षेत्र के विशेषज्ञों को सरकारी नौकरियों में रखा जाना चाहिए .... ताकि भारत की कोई प्रतिभा सिर्फ पेट पालने के चक्कर में न समाप्त हो जाए .... जिस दिन ऐसा होगा देश का चहुंमुखी विकास निश्चित है।
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