मंगलवार, 3 फ़रवरी 2009

सुविधाएं देने का जो वादा, अब पदक मिलेंगे ज्यादा

प्रदेश की खेल बिरादरी के सुझावों पर खेल विभाग ने सुविधाएं देने का जो वादा रविवार को संगोष्ठी में किया है, उसके बाद अब यह उम्मीद हो गई है कि राष्ट्रीय चैंपियनशिप में प्रदेश को ज्यादा पदक मिलेंगे। प्रदेश को ज्यादा पदक दिलाने की मंशा को लेकर ही खेल विभाग ने एक संगोष्ठी का आयोजन यहां किया था। प्रदेश को खेलों में नंबर वन बनाने की मंशा के लिए आयोजित की गई संगोष्ठी में कई सुझाव आए इन सुझावों पर खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी के साथ खेल विभाग के सचिव सुब्रत साहू ने अमल करने की बात कही और यह भी बताया कि ज्यादातर सुझावों पर खेल विभाग पहले से काम कर रहा है। सबसे पहले ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान ने अपनी बात रखते हुए कहा कि खेल संघों को मान्यता देने वाले नियमों में और शिथिलता लाने की जरूरत है। इसी के साथ उन्होंने कहा किस खेल विभाग राष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतने वालों खिलाड़ियों को तो नगद राशि देकर सम्मानित करता है, पर प्रशिक्षकों को नगद राशि का इनाम नहीं दिया जाता है। उन्होंने प्रशिक्षकों को नगद राशि इनाम देने की वकालत करने के साथ ही खेल पत्रकारों और खेलों को बढ़ावा देने वालों के लिए भी पुरस्कार देने की बात कही। पदकॊं की बरसात हो खेल संचालक जीपी सिंह ने कहा कि उनका विभाग चाहता है कि प्रदेश को ज्यादा से ज्यादा खेलॊं में पदक मिलें। उन्होंने बताया कि अनुदान नियमों में संशोधन के साथ खेलों को उद्योगों को गोद दिलाने की पहल के साथ प्रशिक्षकों की भर्ती भी की जा रही है। खेल नीति की समीक्षा की भी योजना है। प्रदेश में एक खेल अकादमी भी बनाई जा रही है, इसी के साथ भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) का एक बड़ा सेंटर भी राजनांदगांव में बनाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि राज्य बनने के बाद 10 खेलों में ही 109 पदक मिले हैं। खेलों की श्रोणियां तय हों केन्द्र सरकार द्वारा खेलों की जिस तरह से श्रोणियां तय की गई हैं, उसी तरह से प्रदेश में भी श्रोणियां तय करने की बात पूर्व ओलंपियन राजेन्द्र प्रसाद ने कहीं। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे खेलों का ध्यान देना चाहिए जिनसे पदकों की ज्यादा उम्मीद है। इसके विपरीत ट्रायथलान संघ के विष्णु श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश सरकार को ऐसे खेलों पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है जिन खेलों के संघ काफी कम सुविधाओं के साथ मान्यता के बिना ही अच्छा कर रहे हैं। उन्होंने खेल पर्यटन की बात करते हुए कहा कि आज जमाना एडवेंचर स्पोट्र्स का है। उन्हॊंने पुलिस में भी खेलों की नीति बनाने की बात के साथ पुलिस विभाग में खिलाड़ियों को नौकरी देने की बात कही। नेटबॉल संघ के संजय शर्मा ने भी खिलाड़ियों को नौकरी देने की बात कही। उन्होंने खेलों को बढ़ाने के लिए प्रदेश को तीन जोन में बांटकर खेलों का आयोजन करने की बात की। पूर्व मंत्री और नेटबॉल संघ के अध्यक्ष विधान मिश्रा ने भी खेलों को श्रोणियों में बांटने की बात के साथ राजधानी के इंडोर स्टेडियम को नगर निगम से लेकर खेल विभाग को बनाने का सुझाव दिया। 10वीं कक्षा तक खेल जरूरी हों फुटबॉल संघ के अध्यक्ष रामविनास ने कहा कि प्रदेश में 10वीं कक्षा तक खेलों को अनिवार्य किया जाए और इसको एक विषय के रूप में पाठयक्रम में शामिल करके इसकी परीक्षा ली जाए। पूर्व अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी नीता डुमरे ने स्कूली खिलाड़ियों की फीस माफ करने की बात कही। पुराने मैदानों को ठीक किया जाए क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया ने प्रदेश में खेल मैदानॊं की कमी को दूर करने के लिए सबसे पहले उन मैदानों को ठीक करने की बात कही जो मैदान आज रखरखाव के अभाव में काम के नहीं रह गए हैं। उन्होंने खिलाड़ियॊं के लिए प्रशिक्षक उपलब्ध भी कराने की बात कही। उन्होंने खेल संघों की मानिटरिंग करने के लिए एक समिति बनाने का भी सुझाव दिया। वालीबॉल संघ के मो.अकरम खान ने कहा कि हर जिले में प्रशिक्षक होने चाहिए। उन्होंने खेल विभाग को सीनियर वर्ग की चैंपियनशिप का भी आयोजन अपने हाथ में लेने का सुझाव दिया। उन्होंने राजधानी में एक स्पोट्र्स हास्टल बनाने की बात कही ताकि खेलों के आयोजन में खिलाड़ियों को ठहराने में परेशानी न हो। कराते संघ के विजय अग्रवाल ने राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने की बात कहते हुए कहा कि रायपुर और भिलाई के बीच में मैदान बनाने चाहिए। तीरंदाजी संघ के कैलाश मुरारका ने अनुदान के लिए होने वाली कागजी कार्रवाई को कम करने की बात की तो लॉन टेनिस संघ के गुरचरण सिंह होरा ने अनुदान खेल संघों का अग्रिम देने की वकालत की। सरकार मदद करेगी कार्यक्रम के अंत में खेल मंत्री लता उसेंडी ने जहां कहा कि सभी सुझावों पर ध्यान दिया जाएगा और सरकार खेल संघों को हरसंभव मदद करेगी। इधर खेल सचिव सुब्रत साहू ने सुझावों को सुनने के बात सिलेसिलेवार बताया कि ज्यादातर सुझावों पर पहले से ही अमल हो रहा है। इसी के साथ उन्होंने कहा कि जो भी सुङााव आएं हैं उन पर नियमानुसार अमल किया जाएगा। नहीं मिला सुझाव देने का मौका बैठक में 30 से ज्यादा खेल संघों के अध्यक्ष‍सचिवॊं आए थे, इनमें से चंद लोगों को ही बोलने का मौका दिया गया। जिनको बोलने का मौका नहीं मिला वो मन मारकर रह गए। कई संघों के पदाधिकारी यह भी कहते रहे कि ओलंपिक संघ और खेल विभाग के अधिकारियॊं ने केवल उनको बोलने का मौका दिया जो उनकी मंशा के अनुरूप बोलते। वैसे खेल विभाग ने सभी से लिखित में भी सुझाव मांगे हैं। लेकिन कई लोगों संगोष्ठी में बोलने के इच्छुक थे, पर समय कम होने की बात कहते हुए काफी कम लोगों को बोलने दिया गया।

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