शुक्रवार, 3 जून 2011

छत्तीसगढ़ खिताब से चूका


राष्ट्रीय यूथ बास्टकेबॉल के खिताबी मुकाबले में छत्तीसगढ़ को कांटे के संघर्ष में केरल से 70-61 से हार का सामना करना पड़ा। केरल की अनुभवी खिलाड़ियों के सामने छत्तीसगढ़ की खिलाड़ी ठहर नहीं पाई और केरल ने लगातार दूसरी बार खिताब जीत लिया। छत्तीसगढ़ पिछले साल सातवें स्थान पर रहा था, लेकिन इस बार वह उपविजेता रहा।
नागपुर में खेले गए फाइनल में केरल और छत्तीसगढ़ के बीच पहले क्वार्टर से ही जोरदार मुकाबला देखने को मिला। इस क्वार्टर में एक समय स्कोर 12-12 से बराबर हो गया था, लेकिन केरल की अनुभवी खिलाड़ियों ने अंतत: छत्तीसगढ़ को इस क्वार्टर में 16 अंकों पर रोक दिया और अपने 21 बनाकर पांच अंकों की बढ़त ले ली। यह बढ़त अंत तक कम नहीं हो सकी। दूसरे क्वार्टर में केरल ने 15 अंक जुटाकर अपना स्कोर 36 कर लिया, जबकि छत्तीसगढ़ की टीम 9 अंक ही जुटा सकी। मध्यांतर में केरल की टीम 36-25 से आगे रही।
तीसरे क्वार्टर में छत्तीसगढ़ ने वापसी का एक प्रयास किया और इस क्वार्टर में उसने 17 अंक बनाने दिए जबकि उसने 20 अंक बनाए। यह क्वार्टर केरल के पक्ष में 53-45 से रहा। आठ अंकों की बढ़त को पाटने का प्रयास छत्तीसगढ़ के खिलाड़ियों ने अंतिम और निर्णायक क्वार्टर में किया, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल सकी। अंतिम क्वार्टर में केरल ने 17 अंक बनाकर अपना स्कोर 70 कर लिया, छत्तीसगढ़ की टीम ने 16 अंक जुटाए लेकिन तीसरे क्वार्टर की आठ अंकों की बढ़त उस पर भारी पड़ी और 9 अंकों से हार के साथ खिताब खोना पड़ा। विजेता टीम के लिए पूजा मल ने सबसे बेहतरीन खेल दिखाया। छत्तीसगढ़ की खिलाड़ियों में साढ़े छह फीट की पूनम चतुर्वेदी का खेल दर्शनीय रहा, लेकिन वह ज्यादा अंक बनाने में सफल नहीं हुईं। अंजना डेजी एक्का के साथ टीम की कप्तान संगीता दास का खेल भी सराहनीय रहा, लेकिन इन खिलाड़ियों ने भी बास्केट करने के कई मौके गंवाए जिसके कारण छत्तीसगढ़ के हाथ खिताब नहीं लग सका। छत्तीसगढ़ के लिए एक सुखद बात यही रहा कि उसे पिछले साल सातवां स्थान मिला था, इस बार उसे फाइनल खेलने का मौका मिला। छत्तीसगढ़ अब तक 11 चैंपियनशिप में से 10 बार फाइनल में पहुंचा है और 6 बार खिताब जीते हैं। यह चौथा मौका है जब उसे उपविजेता के खिताब से संतोष करना पड़ा।


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