प्रदेश तीरंदाजी संघ ने एक कड़ा फैसला करते हुए अपने खिलाडिय़ों को चेताया है कि अगर उनके निशाने राष्ट्रीय स्पर्धा में क्वालीफाई करने के लायक नहीं होंगे तो अगली बार से टीम ही नहीं भेजी जाएगी। तीरंदाजी संघ ने इस बार काफी विचार-विमर्श के बाद टीम को राष्ट्रीय स्पर्धा में भेजने का फैसला किया है। यह खिलाडिय़ों के लिए एक तरह से अंतिम मौका है। इसके बाद खिलाडिय़ों ने मेहनत नहीं की तो उनको राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने से वंचित होना पड़ेगा।
यह जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के सचिव कैलाश मुरारका ने बताया कि राष्ट्रीय सीनियर तीरंदाजी का आयोजन गुवाहाटी में २३ से २७ अप्रैल तक किया गया है। इसमें खेलने जाने वाली प्रदेश की टीम बना ली गई है जिसका प्रशिक्षण शिविर भी यहां ११ अप्रैल से चल रहा है। शिविर में जितने भी खिलाड़ी शामिल हैं उनमें से किसी भी खिलाड़ी की क्षमता उतने अंक बनाने की नहीं है जितने अंकों से क्वालीफाइंग होता है। उन्होंने बताया कि हमारे खिलाड़ी ११५० अंक ही बना पा रहे हैं जबकि क्वालीफाई करने के लिए १२०० अंकों की जरूरत होती है और पदक तक पहुंचने के लिए १३०० से १४०० अंक बनाने होते हैं। उन्होंने कहा कि जब हमारे खिलाड़ी क्वालीफाइंग चक्र ही पार नहीं कर पाएंगे तो ऐसे में टीम को भेजने का औचित्य नहीं है। यही सोचते हुए हमने राष्ट्रीय फेडरेशन के सहायक सचिव गुंजन एम्बराल से बात की तो उन्होंने कहा कि टीम को भेजने में बुराई नहीं है, टीम को भेजने से खिलाडिय़ों को अनुभव मिलता है। श्री मुरारका ने कहा कि टीम को तो १० साल से भेज ही रहे हैं, महज अनुभव के लिए बार-बार टीम को भेजना ठीक नहीं लगता है।
उन्होंने बताया कि टीम को भेजा जाए या नहीं इसके बारे में कोलकाता के अंतरराष्ट्रीय कोच रूपेश कर से भी चर्चा की तो उन्होंने सुङााव दिया कि खिलाडिय़ों से स्पर्धा के लिए बचे समय में ज्यादा से मेहनत करने के लिए कहा जाए और उनको सुबह के समय में दो घंटे अभ्यास करवाया जाए तो ५० अंकों की खाई को भरा जा सकता है। श्री मुरारका ने बताया कि इसी के साथ प्रदेश ओलंपिक संघ के पदाधिकारियों के अलावा कई खेल संघों के पदाधिकारियों से भी चर्चा करने के बाद अंत में यह फैसला किया गया है कि इस बार तो टीम को भेजा जाए, लेकिन अगली बार खिलाडिय़ों ने अपना प्रदर्शन नहीं सुधारा तो टीम को भेजा नहीं जाएगा।
1 टिप्पणी:
इस तरह के कड़े फैसले अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं के लिए भी लिए जाने चाहिए।
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