रविवार, 19 दिसंबर 2010

अधिकारियों को स्मृति चिन्ह, कर्मकारियों को कुछ नहीं

छत्तीसगढ़ राज्य खेल महोत्सव में खेल विभाग के पक्षपात से काम करने वाले कर्मचारी आहत हैं। एक तरफ तो खेल विभाग राज्य के हर जिले के जिलाधीश, पुलिस अधीक्षकों और जिला पंचायत के सीओ को स्मृति चिन्ह भेज रहा है, दूसरी तरफ दिन रात काम करके आयोजन को सफल बनाने वाले कर्मचारियों को कुछ नहीं दिया गया है। इसी बात की नाराजगी कर्मचारियों में है। कर्मचारियों की मेहनत को समङाने का काम खेलमंत्री लता उसेंडी ने जरूर किया जिन्होंने सभी को अपने बंगले पर चाय पार्टी देकर धन्यवाद दिया।
राज्य खेल महोत्सव के निपटने के बाद अब खेल विभाग राजधानी के कई अधिकारियों के साथ सभी जिलों के जिलाधीशों, पुलिस अधीक्षकों के साथ पंचायन के सीओ को स्मृति चिन्ह भेजने में जुटा है। विभाग में थोक के भाव में स्मृति खरीदे गए हैं और सभी को खेल संचालक के एक धन्यवाद पत्र के साथ स्मृति चिन्ह भेजने का सिलसिला चल रहा है। स्मृति चिन्ह भेजे जाने के बारे में खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि यह जरूरी है ताकि इनको याद रह सके कि उन्होंने आयोजन में योगदान दिया है। उनकी बात ठीक तो है, लेकिन विभाग के कर्मचारी सवाल करते हैं कि क्या स्मृति चिन्ह के हकदार केवल अधिकारी हैं? क्या आयोजन को सफल बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करने वाले कर्मचारी किस स्मृति चिन्ह या एक टी-शर्ट के भी हकदार नहीं हैं। सबका एक स्वर में ऐसा कहना है कि क्या छोटे कर्मचारी विभाग के कर्मचारी होने के नाते सिर्फ काम करने के लिए होते हैं, क्या उनका कोई मान-सम्मान नहीं होता है। इसके पहले बैटन रिले में भी कर्मचारियों के साथ ऐसा ही पक्षपात किया गया था। बैटन रिले में अधिकारियों को ट्रेक शूट से नवाजा गया था और काम करने वाले कर्मचारियों को एक टी-शर्ट भी नहीं दी गई थी।
खेलमंत्री की चाय ने दी ताजगी
खेल विभाग के कर्मचारियों को कम से कम इस बात की खुशी है कि उनको भले खेल संचालक ने किसी लायक नहीं समङाा लेकिन खेलमंत्री ने जरूर उनकी मेहनत की कदर की और राज्य के आयोजन के बाद अपने बंगले में बुलाकर न सिर्फ चाय पिलाई बल्कि सभी को धन्यवाद दिया कि उनके सहयोग के कारण ही आयोजन सफल हुआ है। खेलमंत्री की चाय से कर्मचारियों को ताजगी का अहसास हुआ है।

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