मंगलवार, 7 दिसंबर 2010

नियमों में उलझे ३४ खेलों के मंसूबे

छत्तीसगढ़ राज्य खेल महोत्सव में ३४ खेलों के आयोजन का खेलमंत्री लता उसेंडी का मंसूबा नियमों में उलझ कर रह गया है। खेलमंत्री लता उसेंडी ने माना कि वह तो चाहती थीं कि ३४ खेलों का आयोजन किया जाए, लेकिन विभाग ने जो नियम बनाए उसकी वजह से ऐसा नहीं हो सका है। उनका कहना है कि पुरस्कार राशि बढ़ाई जा सकती है। अभी साढ़े तीन करोड़ के बजट में एक हजार की ही पुरस्कार राशि दी जा रही है।
छत्तीसगढ़ राज्य खेल महोत्सव के आयोजन की तैयारी में खेल विभाग जुटा है। इसमें राज्य स्तर पर १८ खेलों को ही शामिल किया गया है। वैसे खेलमंत्री लता उसेंडी ने प्रारंभ से ही यह मंशा जताई थी कि राज्य खेल महोत्सव में ३४ खेल होने चाहिए। ३४ खेल इसलिए कि इतने ही खेल राष्ट्रीय खेलों में शामिल हैं, और ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी छत्तीसगढ़ ने ली है। राज्य खेल महोसत्व में राष्ट्रीय खेलों का ही पूर्वाभ्यास माना गया है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने जब इन खेलों की घोषणा की थी, तब उन्होंने साफ कहा था कि राज्य खेल महोत्सव को हम राष्ट्रीय खेलों की तैयारी की रूप में प्रारंभ कर रहे हैं।
खेलमंत्री लता उसेंडी से पूछा गया कि आपकी मंशा के अनुरूप क्यों कर ३४ खेलों का आयोजन नहीं हो पा रहा है, तो उन्होंने बताया कि खेल विभाग ने यह नियम बनाए हैं जिन जिलों में किसी भी खेल की कम से कम चार टीमें खेलेंगी और व्यक्तिगत खेलों में कम से कम ८ खिलाड़ी होंगे, उन्हीं खेलों को शामिल किया जाएगा। ऐसे में जिन १८ खेलों को शामिल किया गया है, वही खेल नियमों पर खरे उतरे हैं। जब उनसे पूछा गया कि ऐसे में कैसे राष्ट्रीय खेलों का पूर्वाभ्यास होगा, तो उनके पास कोई जवाब नहीं था।
मुख्यमंत्री की मंशा भी अधूरी ?
राज्य खेल महोत्सव के लिए मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा था कि यह आयोजन लगातार एक माह तक चलेगा और लगेगा कि राज्य में खेलों का कोई आयोजन हो रहा है, लेकिन खेल विभाग ऐसा कुछ नहीं कर पाया है। खेलमंत्री लता उसेंडी से जब इस बारे में पूछा गया कि मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप आयोजन क्यों नहीं हो रहा है तो उन्होंने कहा कि एक माह का आयोजन कैसे संभव था, उन्होंने कहा कि अलग-अलग हिस्सों में आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पहले विकासखंडों में आयोजन किए गए, इसके बाद जिलों में और अब पहले कलस्टर स्तर के आयोजन हो रहे हैं, इसके बाद राज्य स्तर का आयोजन होगा।
खेल संघ चुनेंगे प्रतिभाएं
राष्ट्रीय खेलों की तैयारी के लिए राज्य खेल महोत्सव से किस तरह से प्रतिभाओं का चयन किया जाएगा, जबकि इसके लिए कोई समिति ही नहीं बनी है, के सवाल पर खेलमंत्री ने कहा कि प्रतिभाओं के चयन का जिम्मा खेल संघों को दिया गया है। खेल संघों के तकनीकी जानकारी ही आयोजन कर रहे हैं, ऐसे में उनसे कहा गया कि वे प्रतिभाओं का चयन करके खेल विभाग को इसकी जानकारी दें। खेल संचालक जीपी सिंह ने इस बारे में कहा कि हमने नोडल अधिकारियों को ये निर्देश दिए हैं कि वे तकनीकी अधिकारियों को प्रतिभाओं के चयन के लिए कहे।
एक-एक पैसे का हिसाब देंगे
खेलमंत्री लता उसेंडी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि आयोजन के लिए जो साढ़े तीन करोड़ का बजट मिला है, उस बजट का सही उपयोग किया जाएगा, कहीं भी कोई फिजूलखर्ची नहीं होगी। हमारा विभाग एक-एक पैसे का हिसाब देगा। उन्होंने पूछने पर कहा कि अगर लगता है कि एक हजार की पुरस्कार राशि कम है तो उसे बढ़ाया जा सकता है। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि राज्य की खेल बिरादरी में इस बात को लेकर लगातार चर्चा चल रही है कि साढे तीन करोड़े के बजट में खिलाडिय़ों को बहुत कम इनामी राशि दी जा रही है। बजट का ज्यादातर पैसा ताम-ङााम पर खर्च किया जा रहा है। खेल के जानकारों को कहना है कि ताम-ङााम से किसका भला होना है। खिलाडिय़ों को अगर इनाम सही नहीं मिलेगा तो उनमें उत्साह कैसे आएगा। जानकार कहते हैं कि टीम खेलों में प्रथम पुरस्कार ३० हजार, द्वितीय २० हजार और तृतीय कम से कम १० हजार होना चाहिए। व्यक्तिगत खेलों में पांच हजार प्रथम, तीन हजार द्वितीय और दो हजार रुपए तृतीय पुरस्कार होना चाहिए।

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