बुधवार, 1 दिसंबर 2010

रविवि पहली बार बना चैंपियन

उत्तर-पूर्वी अंतर विश्वविद्यालयीन खोखो में मेजबान रविशंकर विश्वविद्यालय ने इतिहास रचते हुए पहली बार खिताब जीत लिया। अंतिम लीग मैच में रविवि ने रोहतक को कड़े मुकाबले में दो अंकों से मात देकर खिताब जीत लिया। रविवि को पहली बार अखिल भारतीय अंतर विवि स्पर्धा में खेलने की पात्रता भी मिली है।
रविवि के मैदान में सुबह के सत्र में अंतिम लीग में रविवि का सामना रोहतक से हुआ। इस मैच में रविवि ने १० अंक बनाए जबकि रोहतक की टीम ८ अंक ही बना सकी। रविवि को दो अंकों के साथ ३.२५ मिनट शेष रहते जीत मिली। विजेता टीम के लिए जफर सिद्दकी, योगेन्द्र कुमार, उमेश कुमार, रामू साय, यशवंत धीवर ने शानदार खेल दिखाया। एक अन्य लीग मैच में कुरूक्षेत्र ने गुरुनानक विवि को १२-१० से मात देकर दूसरा स्थान प्राप्त किया। तीसरे स्थान पर रोहतक और चौथे स्थान पर गुरुनानक विवि की टीम रही।
पदक बरसने लगे: लता उसेंडी
मैचों के बाद हुए पुरस्कार वितरण समरोह की मुख्यअतिथि खेलमंत्री लता उसेंडी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के खिलाड़ी अब राष्ट्रीय के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पदक जीत रहे हैं। जब छत्तीसगढ़ बना था तो पहले साल काफी कम पदक मिले थे, लेकिन अब हर साल हमारे खिलाड़ी पदकों की संख्या में इजाफा करते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि अपने राज्य में साधनों की कमी है। हमारी सरकार खिलाडिय़ों को ज्यादा से ज्यादा अच्छी सुविधाएं दिलाने का प्रयास कर रही हैं। उन्होंने कुलपति की मांग पर कहा कि सरकार को प्रस्ताव बनाकर भेजा जाए जो भी संभव होगी मदद की जाएगी।

कोटा स्टेडियम की संपति रविवि की
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति शिव कुमार पांडे ने खेलमंत्री लता उसेंडी से कोटा स्टेडियम के लिए शासन से मदद दिलाने की मांग की। कुलपति की मांग के बाद मैदान में उपस्थित कॉलेजों के क्रीड़ा अधिकारियों में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी कि कुलपति को राज्य सरकार से मदद मांगने की क्या जरूरत है। यूजीसी से ही इतना ज्यादा पैसा मिलता है कि विवि ले नहीं पाता है। सभी का ऐसा मानना था कि क्या कुलपति इस बात से अंजान हैं। इसी के साथ इस बात को लेकर भी चर्चा होने लगी कि विद्यार्थियों से जो खेलों के नाम से शुल्क लाखों रुपए लिया जाता है, उस शुल्क में से ही लाखों रुपए हर साल विवि के पास बचते हैं फिर उन पैसों का उपयोग क्यों नहीं किया जाता है? कुलपति श्री पांडे से जब इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों से जो शुल्क लिया जाता है, उस शुल्क की राशि खेलों के आयोजन पर खर्च की जाती है। उनसे जब पूछा गया कि हर साल लाखों की जो राशि बचती है उसका उपयोग मैदान बनाने के लिए क्यों नहीं किया जाता है, उन्होंने कहा कि मैदान बनाने के लिए उपयोग करते हैं, पर राशि पर्याप्त नहीं होती है। यूजीसी से मदद लेने के बारे में कहने पर उन्होंने कहा यूजीसी से भी मदद लेने की कोशिश करेंगे। कुलपति ने जिस कोटा स्टेडियम के लिए मदद मांगी है, उससे बारे में उनको जब बताया गया कि उसके जमीन के विवाद के कारण ही सरकार ने वहां पर एस्ट्रो टर्फ लगाना रद्द कर दिया है तो वहां के लिए सरकार से कैसे मदद मिलेगी, तो कुलपति ने कहा कि कोटा स्टेडियम की जमीन का कोई विवाद नहीं है और वह जमीन रविवि की संपति है। उस पर रविवि किसी भी तरह का निर्माण कर सकता है। कुलपति ने इस बात से इंकार किया कि रविवि प्रशासन ने खेल विभाग को ऐसी कोई जानकारी नहीं दी है कि कोटा स्टेडियम विवाद में है। अब खेल विभाग ने किस आधार पर कोटा स्टेडियम में एस्ट्रो टर्फ लगाना रद्द किया है, वही जाने।


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