गुरुवार, 16 दिसंबर 2010

खेल शिक्षकों की भर्ती में आयु सीमा बढ़ाने की मांग

प्रदेश के खेल जगत से जुड़े बीपीएड और एमपीएड से जुड़े लोगों ने मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह को एक ज्ञापन सौंपकर खेल शिक्षकों के पद के लिए आयु सीमा बढ़ाने की मांग की है।
संभागीय शारीरिक शिक्षा संघ के रामप्रताप सिंह ने बताया कि मप्र के समय से १९९८ से खेल शिक्षकों की भर्जी बंद थी जिसे मुख्यमंत्री की पहल पर प्रारंभ किया गया है। मुख्यमंत्री की इस पहल का फायदा नए लोगों को तो मिल रहा है, लेकिन अपने प्रदेश में ऐसे कई खेल के जानकार हैं जो बीपीएड और एमपीएड करने के बाद ज्यादा उम्र होने की वजह से इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ये सभी पिछले डेढ़ दशक से भी ज्यादा समय से खेल की सेवा कर रहे हैं। ऐसे में इनकी मंशा खेल शिक्षक बनकर खेलों को आगे बढ़ाने की है, लेकिन ज्यादा उम्र की वजह से ये नौकरी से वंचित हो जा रहे हंै। उन्होंने बताया कि पूर्व में खेल शिक्षकों की आयु सीमा ३७ साल की गई थी, लेकिन अब फिर से ३५ साल कर दी गई है। उन्होंने बताया कि हमारे संघ ने मुख्यमंत्री से शिक्षा कर्मी में खेल शिक्षकों की भर्ती में पांच साल की छूट देने की मांग की है।
इसी के साथ मुख्यमंत्री से यह भी मांग की गई है कि खेलों के जानकारों को मप्र की तर्ज पर प्रशिक्षक बनाने की पहल की जाए। मप्र ने एक साथ १२ सौ प्रशिक्षकों की भर्ती की है। ऐसे करने से वहां पर खेलों का तेजी से विकास हो रहा है। श्री सिंह ने कहा कि ऐसे में जबकि छत्तीसगढ़ की मेजबानी में ३७वें राष्ट्रीय खेल होने हैं तो यह और भी जरूरी हो जाता है कि अपने राज्य में ज्यादा से ज्यादा प्रशिक्षकों की भर्ती की जाए। छत्तीसगढ़ में वैसे भी जहां प्रशिक्षकों की कमी है, वहीं खेल शिक्षकों की भी बहुत कमी है। अगर राज्य में खेल शिक्षक और प्रशिक्षक हो जाए तो यहां भी तेजी से खेलों का विकास होगा।

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