सोमवार, 27 दिसंबर 2010

खेल पुरस्कारों की संख्या बढ़ेगी

प्रदेश के खिलाडिय़ों को दिए जाने वाले खेल पुरस्कारों की संख्या बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है ताकि ज्यादा से ज्यादा खेलों के खिलाडिय़ों को फायदा हो सके। खेल पुरस्कारों के नियमों को भी सरल बनाने का काम खेल विभाग करने में जुटा है ताकि खिलाडिय़ों को नियमों की वजह से हो रही परेशानी से मुक्ति मिल सके।
प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा राज्य के जूनियर और सीनियर खिलाडिय़ों के लिए राज्य के खेल पुरस्कार दिए जाते हैं। हर साल दिए जाने वाले पुरस्कारों में दोनों वर्गों के साथ शहीद पंकज विक्रम पुरस्कार में भी पांच-पांच खेलों के खिलाडिय़ों को ही पुरस्कार के लिए चुना जाता है। इस बारे में खेल संचालक जीपी सिंह का मानना है कि पांच खेलों के पुरस्कार होने से कई खेलों के खिलाड़ी पुरस्कार से वंचित हो जाते हैं। लगातार खिलाडिय़ों और खेल संघों से मिल रहे सुङाावों को ध्यान में रखते हुए अब विभाग यह विचार कर रहा है कि क्यों न पुरस्कारों की संख्या बढ़ा दी जाए। पूछने पर उन्होंने कहा कि हर पुरस्कार के लिए कम से कम १० की संख्या तय की जा सकती है। किसी भी तरह का फैसला करने से पहले खेल संघों से भी चर्चा की जाएगी।
कम हो सकती है राशि
खेल पुरस्कारों की संख्या बढ़ाए जाने की स्थिति में खेल पुरस्कार में मिलनी वाली राशि में कमी आने की संभावना है। इस समय सीनियर खिलाडिय़ों को दिए जाने वाले शहीद राजीव पांडे पुरस्कार में दो लाख पच्चीस हजार, जूनियर खिलाडिय़ों को दिए जाने वाले शहीद कौशल यादव पुरस्कार में एक लाख और शहीद पंकज विक्रम पुरस्कार में २५ हजार की राशि दी जाती है। राजीव पांडे और शहीद कौशल यादव पुरस्कारों की संख्या में इजाफा होता है तो पुरस्कार की राशि के आधे होने की संभावना है। इस दिशा में अभी खेल विभाग के आला अधिकारी खुलासा नहीं कर रहे हैं, लेकिन जिस तरह की चर्चा खेल विभाग में चल रही है उससे यही मालूम होता कि पुरस्कार राशि में कमी आएगी।
अंकों पर आधारित होंगे नियम
पुरस्कारों को लेकर होने वाले विवादों से बचाने के लिए अब खेल विभाग ने मप्र की तर्ज पर पुरस्कारों के लिए अंक प्रणाली अपनाने का फैसला किया है। इसकी रुपरेखा भी तैयार कर ली गई है। नियमों को लागू करने से पहले खेल संचालक जीपी सिंह लगातार सुङााव ले रहे हैं कि कैसे नियमों को इतना मजबूत बनाया जाए कि खिलाडिय़ों को इसका फायदा मिल सके और किसी भी तरह के विवाद से बचा जा सके। मप्र की तरह पुरस्कारों में स्कूलों की राष्ट्रीय स्पर्धा के भी अंक जोडऩे की बात की जा रही है।

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