गुरुवार, 21 जुलाई 2011

सिर चढ़कर बोलेगा ट्रायथलान का रोमांच

नई राजधानी में बहुत जल्द ट्रायथलान के रोमांचक मुकाबले होने वाले हैं। खेलों में एक तरह से राजा खेल ट्रायथलान के जब यहां मुकाबलों होंगे तो सबको एक अलग तरह का रोमांच नजर आएगा। इस खेल में सबसे पहले खिलाड़ी को डेढ़ किलो मीटर तैरना पड़ता है। तैराकी का सफर तय करते ही पास में पड़ी साइकिल उठाकर 40 किलो मीटर तक दौड़नी पड़ती है, साइकिल का सफर पूरा होते ही 10 किलो मीटर की दौड़ लगानी पड़ती है। जिस खिलाड़ी का समय सबसे कम होता है, वहीं बनता है राष्ट्रीय चैंपियन।
प्रदेश ट्रायथलान संघ ने पहली बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप की मेजबानी ली है। यहां पर एक साथ तीन वर्गाें के मुकाबले होंगे। सब जूनियर, जूनियर और सीनियर वर्ग में देश भर के 400 से ज्यादा खिलाड़ी जुटेंगे। चूंकि यह खेल बहुत ज्यादा कठिन है और इस खेल के लिए पूरी तरह से अलग वातावरण की जरूरत है, यही वजह है कि चार माह पहले से ही इसकी तैयारी प्रारंभ कर दी गई है।
नई राजधानी ही उपयुक्त
स्पर्धा का आयोजन कहां किया जाए, यह प्रदेश संघ के लिए सबसे अहम मुद्दा है। इसलिए एक निरीक्षण समिति बनाई गई है। यह समिति मुख्य रूप से नई राजधानी का लगातार दौरा कर रही है और देख रही है कि कहां का स्थान सबसे बेहतर होगा। संघ के सचिव विष्णु श्रीवास्तव ने बताया कि नई राजधानी क्षेत्र में दो डेम एक कुर्रा और दूसरा खांडवा है। इसी के साथ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के पास एक झील और नवागांव में एक बड़ा तालाब है। इनमें से किसी एक का चयन किया जाएगा। जिस डेम या तालाब का चयन तैराकी के लिए किया जाएगा, वहां यह बात भी देखने वाली होगी कि उससे लगा हुआ रोड़ होना चाहिए। रोड़ भी वह जहां से साइक्लिंग की दौड़ हो सके। गांवों के लोगों से बात करके डेम और तालाब के बारे में जानकारी भी जुटाई जा रही है कि वह कैसा है, कभी कोई घटना तो नहीं हुई, उसकी गहराई कितनी है।
70 की रफ्तार से चलती हैं साइकिलें
विष्णु श्रीवास्तव बताते हैं कि सीनियर वर्ग में डेढ़ किलो मीटर का सफर जैसे ही पूरा होता है, खिलाड़ी वहां से निकल कर सीधे साइकिल उठाते हैं और निकल पड़ते हैं। यह खिलाड़ी पर निर्भर होता है कि वह चाहे तो ड्रेस बदले और जुते पहन ले। जो खिलाड़ी जितना समय खराब करता है उसको उतना ही नुकसान होता। बकौल श्री श्रीवास्तव साइकिलें ऐसी होती हैं कि 60 से 70 किलो मीटर की रफ्तार से चलती हैं। ऐसे में नई राजधानी की सड़कें ही ठीक लग रही हैं। साइक्ंिलग के लिए सड़क की चौड़ाई कम से कम 40 से 50 फीट होनी चाहिए। साइक्लिंग के तुरंत बाद खिलाड़ी को 10 किलो मीटर की दौड़ लगानी पड़ती है।
किस वर्ग में कितनी दूरी
सीनियर वर्ग में ट्रायथलान के मुकाबलों में डेढ़ किलो मीटर तैराकी, 40 किलो मीटर साइक्लिंग और 10 किलो मीटर की दौड़। जूनियर वर्ग में 750 मीटर तैराकी, 20 किलो मीटर साइक्लिंग और 5 किलो मीटर की दौड़। सब जूनियर वर्ग में साइक्लिंग नहीं होती। इसे एक्वाथलान कहा जाता है। इसमें 350 मीटर तैराकी और तीन किलो मीटर की दौड़ होती है। इस वर्ग के जूनियर वर्ग में 500 मीटर तैराकी और पांच किलो मीटर की दौड़ होती है।


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