बुधवार, 15 दिसंबर 2010

राष्ट्रीय खेलों की अभी से तैयारी करें

छत्तीसगढ़ राज्य खेल महोत्सव में प्रदेश के खिलाडिय़ों ने यह दिखा दिया है कि उनमें कितनी प्रतिभा है। अब राज्य के खिलाडिय़ों को छत्तीसगढ़ की मेजबानी में होने वाले ३७वें राष्ट्रीय खेलों की तैयारी अभी से करनी चाहिए। अभी से तैयारी करने से ही मेजबान को पदक तालिका में अच्छा स्थान मिल पाएगा।
ये बातें यहां पर राज्य खेल महोत्सव के समापन अवसर पर राज्यपाल शेखर दत्त ने कहीं। उन्होंने कहा कि जिस तरह का जोश राज्य के खिलाडिय़ों में दिख रहा है उससे यह बात तय है कि छत्तीसगढ़ में २०१३ में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ को पदक तालिका में अच्छा स्थान मिल सकता है, लेकिन इसके लिए अभी से तैयारी करनी होगी। खिलाडिय़ों के लिए अच्छे प्रशिक्षकों की व्यवस्था भी खेल विभाग को अभी से करनी चाहिए। राज्यपाल ने कहा कि यह देश के लिए गर्व की बात है भारत की बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल विश्व की नंबर वन खिलाड़ी बन गई हैं। साइना की खबर को पूरे देश के मीडिया ने पहले पेज पर स्थान दिया है।
इसके पूर्व विधानसभा अध्यक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा कि राष्ट्रीय खेलों के लिए राज्य के खिलाडिय़ों को प्रशिक्षक उपलब्ध करवा कर अब राष्ट्रीय खेलों के लिए तैयार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि खेल के माध्यम से देश को यह बताना है कि छत्तीसगढ़ कितना विकसित राज्य है। शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने कहा कि अब समय आ गया है कि राज्य के खिलाड़ी देश और दुनिया में राज्य का नाम रौशन करें। खेलमंत्री लता उसेंडी ने कहा कि आने वाले समय में हमारा प्रयास होगा कि हम राष्ट्रीय खेलों में शामिल सभी ३४ खेलों को राज्य खेल महोत्सव में शामिल कर सकें। इस बार १८ खेलों को ही इसलिए शामिल करना पड़ा क्योंकि यही खेल राज्य के १८ जिलों में खेले जाते हैं। उन्होंने कहा कि उम्मीद है कि आने वाले समय में राज्य के सभी जिलों में ३४ खेल खेल जाएंगे। कार्यक्रम के अंत में अतिथियों ने विजेता टीमों और खिलाडिय़ों को पुरस्कार बांटे। इस अवसर पर संसदीय सचिव विजय बघेल, विधायक देवजी पटेल, जिला पंचायत की अध्यक्ष लक्ष्मी वर्मा, निगम के सभापति संजय श्रीवास्तव, पूर्व महापौर सुनील सोनी के साथ खेल संघों के पदाधिकारी उपस्थित थे।
दुर्ग और रायपुर का दबदबा
१८ खेलों की स्पर्धा में टीमों खेलों की १० स्पर्धाओं में सबसे ज्यादा खिताब दुर्ग के खाते में गए। ओपन और स्कूली वर्ग को मिलाकर दुर्ग ने सबसे ज्यादा १३ खिताब जीते। दुर्ग के खिलाड़ी ११ वर्गों में उपविजेता रहे। दुर्ग ने वालीबॉल में में एक, बास्केटबॉल में दो, हैंडबॉल और खो-खो में तीन, फुटबॉल में दो, कबड्डी और हॉकी में एक-एक खिताब जीता। मेजबान रायपुर ने नेटबॉल में सभी चारों खिताब, वालीबॉल, साफ्टबॉल दो-दो, थ्रोबॉल, हैंडबॉल और फुटबॉल में एक-एक खिताब जीता। राजदगांव में बास्केटबॉल में दो, कबड्डी और हॉकी में एक-एक खिताब मिला। सरगुजा को हॉकी और वालीबॉल में एक-एक खिताब मिला। जशपुर के हाथ स्कूली फुटबॉल में बालिका वर्ग का खिताब लगा। बिलासपुर को कबड्डी, हॉकी में एक-एक खिताब मिला। बस्तर की बालिका खिलाडिय़ों ने स्कूली खो-खो का खिताब जीता। स्कूली एथलेटिक्स के बालिका वर्ग में जहां बस्तर की रमावती बेस्ट एथलीट बनीं, वहीं बस्तर ने ही एथलेटिक्स में ओवरआल चैंपियनशिप जीती। पुरुष वर्ग में दुर्ग के रणजीत पटेल बेस्ट एथलीट और दुर्ग की टीम ने ओवरआल चैंपियनशिप जीती।
खाने की तारीफ करते लौटे खिलाड़ी
खिलाडिय़ों को जहां इस बात की शिकायत रही कि खेल विभाग ने उनके रहने की व्यवस्था ठीक नहीं की थी, वहीं खिलाड़ी इस बात से खुश थे कि उनको खाना सबसे अच्छा मिला। स्कूली खिलाडिय़ों में खासकर इस बात की खुशी थी कि इतने कम पैसों में कैसे इतना अच्छा खाना मिला। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि खेल विभाग ने जो टेंडर दिया है उसमें ८९ रुपए में खाना दिया जाता है। इसमें सुबह का नाश्ता और दोनों समय का खाना शामिल है। स्कूली खिलाडिय़ों को १०० रुपए खाना का मिलता है, लेकिन इसके बाद भी वहां स्तरीय खाना नहीं मिलाता है। ८९ रुपए में न सिर्फ खिलाडिय़ों को अच्छा खाना मिला, बल्कि नाश्ता मैदानों में पहुंचा कर दिया गया। टेंडर में यह शर्त न होने के बाद भी राज्य में हो रहे इतने बड़े आयोजन को देखते हुए ही खाने का टेंडर लेने वालों ने खिलाडिय़ों की सुविधाओं को देख्रते हुए खेल विभाग की मदद की।
राज्यपाल से पुरस्कार न मिलने का अफसोस
राज्यपाल से जिन खिलाडिय़ों को पुरस्कार नहीं मिल पाया, वे अफसोस करते रहे कि काश उनको भी उनके हाथों सम्मानित होने का मौका मिलता। ज्यादा खेल होने की वजह से खेल विभाग से जहां कई खेलों के पुरस्कार मैदानों में ही वितरित करवा दिए, वहीं कई खेलों के पुरस्कार खासकर व्यक्तिगत खेलों के राज्यपाल के आने से पहले वनमंत्री विक्रम उसेंडी और खेलमंत्री लता उसेंडी के साथ खेल संघों के पदाधिकारियों के वितरित करवाए।
पुरस्कार राशि और ज्यादा होनी थी
खिलाडिय़ों को जो पुरस्कार राशि दी गई, उससे खिलाड़ी संतुष्ठ नहीं दिखे, ज्यादातर खिलाडिय़ों का कहना था कि ऐसे आयोजन में पुरस्कार राशि ज्यादा होनी चाहिए थी। पहले स्थान के खिलाडिय़ों को एक हजार पांच सौ रुपए और दूसरे स्थान के खिलाडिय़ों को एक हजार और तीसरे स्थान के खिलाडिय़ों को सात सौ पचास रुपए दिए गए। टीम खेलों में हो ही पुरस्कार दिए गए। इसमें भी तीसरे स्थान की टीमों को पुरस्कार देने की बात खिलाडिय़ों ने कही।

1 टिप्पणी:

ZEAL ने कहा…

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राजकुमार जी ,
आपने एक बहुत ही जानकारीपरक लेख लिखा है । इसके लिए आभार । शेखर दत्त जी बात सही है, खेलों की तैय्यारी पहले से ही होनी चाहिए तभी पदक तालिका में नाम शीर्ष पर दिखेगा। खिलाड़ियों को खाना अच्छा मिला ये जानकार अति प्रसन्नता है लेकिन पुरस्कार राशि निश्चय ही बढ़ानी चाहिए। इससे खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ता है ।
आभार।

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