मंगलवार, 1 दिसंबर 2009

राष्ट्रीय स्पर्धा से दूर रखने से नाराजगी

खेल अधिकारियों का सवाल-क्या विभाग सक्षम नहीं है?

प्रदेश के खेल विभाग द्वारा पहली बार आयोजित किए जाने वाले राष्ट्रीय शालेय खेलों के आयोजन से खेल विभाग के अमले को दूर रखने के कारण सभी खेल अधिकारियों के साथ विभाग का पूरा अमला नाराज है। सारे अधिकारी एक स्वर में कहते हैं कि हम लोगों ने राज्य बनने के बाद चार बड़े राष्ट्रीय आयोजन सफलता पूर्वक किए हैं, इसके बाद भी हम लोगों के स्थान पर आयोजन का जिम्मा साई के राजनांदगांव के सेंटर को देना समङा से परे है। अगर आयोजन में कोई भी गड़बड़ी हुई तो बदनामी तो खेल विभाग की होगी।

भारतीय खेल प्राधिकरण यानी साई ने पहली बार स्कूली स्तर के लिए भी कई खेलों का आयोजन किया है। ऐसे में छत्तीसगढ़ को पांच खेलों बास्केटबॉल, हॉकी, तीरंदाजी, एथलेटिक्स और बैडमिंटन के समूह के राष्ट्रीय आयोजन की जिम्मेदारी दी गईन है। यह जिम्मेदारी खेल विभाग को सितंबर में ही मिल गई थी। यह जिम्मेदारी मिलने के बाद विभाग में इसकी कोई चर्चा किए बिना ही आयोजन की जिम्मेदारी राजनांदगांव के साई सेंटर को दे दी गई। इसके लिए साई सेंटर से पूछा गया तो उसने आयोजन करने के लिए सहमति दे दी। इसके बाद आयोजन उसके हवाले कर दिया गया। इस आयोजन का जिम्मा साई को देने से खेल विभाग के छोटे से लेकर बड़े सभी अधिकारियों में भारी नाराजगी है। सभी का एक स्वर में कहना है कि क्या हम लोग इस लायक नहीं हैं कि एक छोटा सा आयोजन कर सके। इनका कहना है कि स्कूली खेलों का आयोजन तो एक छोटा सा आयोजन है, इससे बड़े-बडे चार आयोजन हम लोग करवा चुके हैं और हर आयोजन की यहां से देश भर के खिलाड़ी तारीफ करके लौटे हैं।
चार बड़े आयोजन किए हैं

यहां यह बताना लाजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ बनते ही सबसे पहले खेल विभाग ने जगदलपुर में २००१ में राष्ट्रीय महिला खेलों का आयोजन किया था। वास्तव में ऐसा आयोजन प्रदेश में नहीं हो सका है। बस्तर जैसे आदिवासी क्षेत्र में ऐसे आयोजन की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, यहां से देश भर के खिलाड़ी इतने ज्यादा खुश होकर लौटे थे कि उनका कहना था कि जब भी यहां फिर से आयोजन होगा वे जरूर आना चाहेंगे। जगदलपुर में खिलाडिय़ों ने वहां के खेल प्रेमियों की जो दीवानगी देखी तो देखते ही रह गए। खिलाडिय़ों को बस्तरवासियों ने सर-आंखों पर बिठाया था। इस आयोजन के बाद कोरबा में राष्ट्रीय ग्रामीण खेल, फिर बिलासपुर में राष्ट्रीय महिला खेल और एक बार राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय महिला खेलों का आयोजन खेल विभाग के अमले ने किया। इन चारों आयोजनों के बारे में सभी अधिकारी कहते हैं कि इन आयोजनों को यादगार बनाने में विभाग में कोई कसर नहीं छोड़ी थी विभाग का छोटे से लेकर बड़ा अधिकारी सारे आयोजनों में जी-जान से जुटा था। इतने अच्छे आयोजन करने के बाद हम लोगों को एक राष्ट्रीय खेलों के आयोजन से अलग रखने के कारण हम लोग शर्म भी महसूस कर रहे हैं। इनका कहना है कि हमें नहीं मालूम क्यों कर हमें इस आयोजन से अलग रखा गया है।
इधर इस आयोजन के बारे में जानकारों का साफ कहना है कि सितंबर से आयोजन मिल जाने के बाद अब तक कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है। सारा जिम्मा राजनांदगांव के साई सेंटर के पास है। आयोजन के लिए महज चार दिन बचे हैं और तैयारी कुछ भी नजर नहीं आ रही है। अगर आयोजन को लेकर बाहर से आए खिलाडिय़ों और अधिकारियों की किसी भी तरह की परेशानी या समस्या होती है तो इसमें बदनामी खेल विभाग की होनी है।

बजट कम-निकल न जाए खेलों का दम

इस आयोजन के लिए साई से खेल विभाग को १० लाख का बजट मिला है। चार लाख मिल गए हैं बाकी के ६ लाख और मिलने हैं। एक खेल ेके लिए दो लाख के हिसाब से बजट दिया गया है। इतने कम बजट में आयोजन का होना संभव नहीं है। ऐसे में समस्या हो सकती है। जानकार बताते हैं कि आयोजन के लिए राजनांदगांव में बाहर से मदद ली जा रही है। अगर बाहर से कोई मदद नहीं मिली तो खेलों का दम निकल सकता है। खेल विभाग के अधिकारी कहते हैं कि आयोजन का जिम्मा खेल विभाग को दिया गया है तो विभाग से बजट की कुछ व्यवस्था की जा सकती है, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है। राष्ट्रीय आयोजन से पहले खेल विभाग ने राजनांदगांव में ही जो राज्य स्तर का आयोजन प्रदेश की टीमें बनाने के लिए किया है उसके लिए करीब ९ लाख का खर्च किया गया। ऐसे में यह बात अपने आप समङाी जा सकती है कि जब राज्य स्तरीय आयोजन में ९ लाख का खर्च हुआ है तो राष्ट्रीय आयोजन में जबकि २५ से ज्यादा राज्यों की टीमें आएंगी तो कितना खर्च होगा।

मेजबान के हाथ खाली न रह जाएं

मेजबान छत्तीसगढ़ के हाथ कोई सफलता लगेगी इसको संदेह है। खेलों के जानकारों का साफ कहना है कि राष्ट्रीय स्पर्धा की तिथि जब पहले से मालूम थी और आयोजन का जिम्मा कम से कम तीन माह पहले ही मिल गया था तो फिर राज्य स्पर्धा का आयोजन राष्ट्रीय स्पर्धा से एक माह करके सभी खेलों की टीमों का प्रशिक्षण शिविर क्यों नहीं लगाया गया। बिना प्रशिक्षण शिविर के प्रदेश की टीमों को कैसे सफलता मिल सकती है। राज्य स्पर्धा अभी एक सप्ताह पहले ही करवाई गई है और टीमों का प्रशिक्षण शिविर नहीं लगाया गया है।

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