गुरुवार, 10 दिसंबर 2009

मिली मेजबानी-बदलेगी खेलों की जिंदगानी

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ खेल मंत्री लता उसेंडी की पहल ने रंग दिखाया है और छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय खेलों २०१३-१४ की मेजबानी मिल गई है। इसी के साथ प्रदेश की खेल बिरादरी में खुशी की लहर है कि अब सभी खेलों की जिंदगानी बदल जाएगी, क्योंकि हर खेल के मैदान मेजबानी के कारण प्रदेश में बन जाएंगे।
दिल्ली में ओलंपिक संघ की बैठक में जैसे ही छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिलने की खबर यहां आई, पूरी खेल बिरादरी में मानो एक नई जान आ गई। सभी ने इस मेजबानी के लिए मिलकर प्रयास किया था। सभी खेल संघों ने इसके लिए एकजुटता दिखाई थी। अब सारे खेल संघों के पदाधिकारियों और खिलाडिय़ों में उत्साह है कि उनके खेलों की जीवन बदल जाएगा।

डाक्यूमेंट्री के किया कमाल


छत्तीसगढ़ को मेजबानी मिलने के पीछे खेल विभाग द्वारा बनाई गई डाक्यूमेंट्री का बहुत बड़ा हाथ है। इस महज ६ मिनट की डाक्यूमेंट्री में छत्तीसगढ़ के पूरे विकास के साथ यहां के खेल मैदानों की पूरी जानकारी के साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह, खेल मंत्री लता उसेंडी, नेता प्रतिपक्ष रवीन्द्र चौबे, ओलंपिक संघ के आजीवन अध्यक्ष विद्याचरण शुक्ल के साथ प्रदेश ओलंपिक संघ के सचिव बशीर अहमद खान, अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी राजेश चौहान, नीता डुमरे, ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष विष्णु श्रीवास्तव के साथ कुछ और खिलाडिय़ों के विचार हैं जिसमें मेजबानी लेने के लिए पूरा उत्साह दिखाया गया है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा है कि छत्तीसगढ़ मेजबानी लेने तैयार है और मेजबानी मिलने पर एक ऐेतिहासिक आयोजन किया जाएगा। अब मेजबानी मिल गई है और आयोजन को ऐतिहासिक बनाने का काम मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के साथ पूरा खेल जगत करेगा।

नई राजधानी में बनेगा खेल गांव

नई राजधानी में ३०० एकड़ जमीन में खेल गांव बनाने की योजना है। इसका मास्टर प्लान भी बना लिया गया है। खेल गांव बनाने में जहां ५०० करोड़ का खर्च आएगा, वहीं राष्ट्रीय खेलों के आयोजन पर भी ५०० करोड़ का खर्च होगा। राष्ट्रीय खेलों के लिए जो भी मैदान प्रदेश में बनाए जाएंगे, सभी अंतरराष्ट्रीय स्तर के होंगे। यही नहीं ये सारे मैदान देश के नंबर वन बनाए जाएंगे। जितने भी नए मैदानों का निर्माण होगा सभी राजधानी में बनाए जाएंगे।
३६ खेलों को रखा जाएगा

प्रदेश ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष मो. अकरम खान ने मेजबानी मिलने की खुशी जाहिर करते हुए बताया कि वर्तमान में राष्ट्रीय खेलों में ३४ खेल शामिल हैं। इन खेलों में दो और नए खेलों को जोड़कर खेलों की संख्या ३६ कर दी जाएगी ताकि ३६ गढ़ में ३६ खेलों का आयोजन करके एक अलग इतिहास बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय खेलों का छत्तीसगढ़ में ऐसा आयोजन किया जाएगा जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की होगी। उन्होंने कहा कि मेजबानी मिलने के पहले ही सभी खेल संघ एक हो गए थे यह एकता का ही परिणाम है जो मेजबानी मिली है। सभी खेल संघ अपने-अपने खेलों के बारे में खेल विभाग को जानकारी उपलब्ध कराएंगे कि उनके पास कितने अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय खिलाडिय़ों के साथ कोच, रेफरी और निर्णायक हैं। इसी के साथ सभी खेल संघ वाले अपने-अपने खेलों के मैदानों के बारे में जानकारी देंगे।

हर खेल के लिए हो जाएंगे मैदान

प्रदेश में इस समय सबसे ज्यादा टोटा खेल मैदानों का है। इस टोटे को पूरा करने के लिए ही खेल विभाग ने राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने का मन बनाया था। अब जबकि राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिल गई है तो खेल मैदान बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने ७५ प्रतिशत से भी ज्यादा मदद मिलेगी। मेजबानी का दावा करने से पहले खेल विभाग ने जहां अपने संसाधनों को टटोलने का काम किया है, वहीं जिन राज्यों में इस समय राष्ट्रीय खेल होने हैं उन राज्यों से भी जानकारी मंगाई जा रही थी।
अगले राष्ट्रीय खेल ङाारखंड में होने वाले हैं। ऐसे में वहां पर कितने मैदान बनाए गए हैं और केन्द्र सरकार से कितनी मदद मिली है इसकी जानकारी लेने के लिए विभाग ने सहायक संचालक ओ. पी. शर्मा को वहां भेजा था। खेल संचलक जीपी सिंह ने गोवा के खेल संचालक से बात की थी। वहां पर २०१०-११ में राष्ट्रीय खेल होंगे। गोवा के खेल संचालक ने श्री सिंह को बताया था कि केन्द्र सरकार से ८० से ९० प्रतिशत तक मदद मिल जाती है। राष्ट्रीय खेलों का आयोजन करने वाले ङाारखंड को जहां केन्द्र सरकार से १७० करोड़ की मदद मिल चुकी है, वहीं असम में हुए आयोजन में केन्द्र सरकार ने ३०० करोड़ और हैदराबाद में २०० करोड़ की मदद की थी। केन्द्र सरकार से करीब ४०० करोड़ की मदद मिलने की बात प्रदेश ओलंपिक संघ के महासचिव बशीर अहमद खान कहते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा था जरूर लें मेजबानी

राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने की योजना के साथ जब खेल मंत्री लता उसेंडी के साथ खेल बिरादरी मुख्यमंत्री डॉ . रमन सिंह के सामने पूरी योजना रखी और उनसे इसके लिए मंजूरी मांगी थी तो खेलों में विशेष रूचि लेने वाले मुख्यमंत्री ने योजना की जानकारी होने पर मेजबानी लेने के लिए मंजूरी दे दी थी। तब मुख्यमंत्री ने कहा कि खेलों के लिए विकास के लिए कुछ भी करें कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने कहा कि मेजबानी जरूर लें।

मेजबानी मिलने का भरोसा जताया था बशीर ने

प्रदेश ओलंपिक संघ के महासचिव बशीर अहमद खान ने कहा उन्होंने पहले ही यह भरोसा जताया था कि मेजबानी मिल जाएगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश में २००२ में ओलंपिक संघ बनने के बाद से राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने के प्रयास किए जा रहे थे। एक बार अजीत जोगी के शासन काल में कोशिश की गई थी, पर सरकार ने इस दिशा में गंभीरता से ध्यान नहीं दिया। लेकिन अब युवा खेल मंत्री लता उसेंडी के साथ खेल सचिव सुब्रत साहू और संचालक जीपी सिंह खेलों के लिए काफी गंभीरता से काम हुआ जिसके फलस्वरूप मेजबानी मिली है। इन्होंने काफी कम समय में राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी पर मुख्यमंत्री से सहमति लेकर एक अच्छी पहल की थी।

जोगी सरकार नहीं ले पाई थी मेजबानी

छत्तीसगढ़ के अलग बनने के बाद प्रदेश में अजीत जोगी की सरकार बनी थी। उस समय जोगी सरकार ने भी एक प्रयास किया था कि राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिल जाए। पहले खेल मंत्री शंकर सोढ़ी ने इसके लिए ओलंपिक संघ के पास आवेदन भी भेजा था, लेकिन आवेदन के साथ भेजी जानी वाली राशि सरकार ने नहीं भेजी थी जिसके कारण मेजबानी नहीं मिल पाई थी। तब २००९-१० की मेजबानी मांग गई थी।

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