बुधवार, 16 दिसंबर 2009

एनआईटी रायपुर को दोहरा खिताब

अखिल भारतीय एनआईटी हैंडबॉल और हॉकी में मेजबान रायपुर ने दोनों खिताबों पर कब्जा कर लिया। हैंडबॉल में महज दो टीमें होने के कारण बेस्ट ऑफ थ्री में मुकाबला करवाया गया। स्पर्धा में देश की तीन टीमों ने हिस्सा लिया, जबकि देश में १६ एनआईटी हैं। कम टीमों के कारण यह बात साबित होती है कि एनआईटी में खेलों के प्रति ध्यान ही नहीं दिया जाता है। इस बात को प्रशिक्षकों और खिलाडिय़ों ने भी कबूल किया कि एनआईटी में खेलों की टीमों का टोटा है।
एनआईटी रायपुर के मैदान में आयोजित स्पर्धा में हॉकी में एक मात्र टीम राउरकेला एनआईटी और हैंडबॉल में सूरत की टीम ही आई। इधर मेजबान रायपुर ने दोनों खेलों में अपनी टीमें तैयार की थीं। ऐसे में हॉकी में तो रायपुर और राऊरकेला के बीच एक ही मुकाबले से खिताब की फैसला किया गया। इस मैच में रोमांचक मुकाबला हुआ और दोनों ही टीमें पहले हॉफ में काफी प्रयासों के बाद गोल नहीं कर सकी। इस हॉफ में रायपुर को तीन पेनाल्टी कॉर्नर मिले लेकिन किसी को भी गोल में नहीं बदला जा सका। दूसरे हॉफ में भी जब लगने लगा था कि मैच में कोई गोल नहीं हो पाएगा और टाईबेकर की तैयारी की जा रही थी, तभी रायपुर के विशाल रावत ने मैच समाप्त होने के दो मिनट पहले गोल दागकर रायपुर की जीत तय कर दी। अंत में रायपुर ने यह मैच १-० से जीत कर खिताब अपने नाम कर लिया।
हैंडबॉल में मेजबान रायपुर और सूरत की ही टीमें होने के कारण दोनों टीमों के खिलाडिय़ों और प्रशिक्षकों से बात करके तय किया गया कि विजेता का फैसला करने के लिए तीन मैच करवाए जाएं जिसके खाते में दो मैच जाएंगे वह विजेता रहेगा। सुबह के सत्र में पहले मैच में रायपुर ने १४-१० से जीत प्राप्त की। इस मैच में रायपुर के आदित्य रेवरी ने जहां सबसे ज्यादा ६ गोल किए, वहीं रायपुर के गोलकीपर भवानी सिंह ने अच्छा बचाव किया। शाम के सत्र में भी इन्ही दोंनों के खेल की मदद से रायपुर ने मैच ११-८ से जीत कर खिताब जीत लिया। इस मैच में आदित्य ने ५ गोल किए। क्रीड़ा अधिकारी आलोक दुबे ने बताया कि हैंडबॉल में तीसरा मैच कल खेला जाएगा। यह मैच महज औपचारिक होगा क्योंकि खिताब पहले ही रायपुर के नाम हो चुका है।
टीमों का टोटा

स्पर्धा में कम टीमों के आने का कारण जानने पर खिलाडिय़ों और प्रशिक्षकों ने एक स्वर में बताया कि देश में यूं तो १६ एनआईटी है, पर ज्यादातर में खेलों की टीमें बनती ही नहीं है। जिन एनआईटी में क्रीड़ा अधिकारी सक्रिय हैं, टीमें वहीं बनती हैं। इनका मानना है कि सभी एनईटी में टीमें बननी चाहिए ताकि खेलों के विकास में एनआईटी का भी नाम हो सके। खिलाडिय़ों ने कहा कि पहले जब इंजीनियरिंग कॉलेज थे तो बहुत टीमें बनती थी।

1 टिप्पणी:

शरद कोकास ने कहा…

शानदार रपट है ..बधाई।

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