बुधवार, 9 दिसंबर 2009

छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी

भारतीय ओलंपिक संघ की बैठक में छत्तीसगढ़ को २०१३-१४ के राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी देने का फैसला किया गया। छत्तीसगढ़ के अलावा उप्र और हिमाचल प्रदेश ने भी दावा पेश किया था, पर छत्तीसगढ़ में मैदानों की ज्यादा अच्छी स्थिति को देखते हुए छत्तीसगढ़ को मेजबानी देने का निर्णय किया गया।

यह जानकारी देते हुए खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संचालक जीपी सिंह ने बताया कि दिल्ली में भारतीय ओलंपिक संघ की बैठक में सबसे पहले २०१३-१४ के राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी का फैसला किया गया। छत्तीसगढ़ की तरफ से छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के महासचिव बशीर अहमद खान ने यह दावा पेश किया। इस फैसले के पहले छत्तीसगढ़ द्वारा बनाई गई छह मिनट की डाक्यूमेन्ट्री पेश की गई। इसमें छत्तीसगढ़ के विकास के साथ खेल मैदानों की पूरी जानकारी दी गई है। इस डाक्यूमेंट्री को देखने के बाद ओलंपिक संघ ने सर्वसमति से मेजबानी छत्तीसगढ़ को देने का फैसला सुना दिया। छत्तीसगढ़ को दावा करते देख अचानक उप्र और हिमाचल प्रदेश ने भी अपना दावा पेश कर दिया। लेकिन जहां इन दोनों राज्यों में खेल मैदानों की सुविधाएं कम हैं, वहीं इन राज्यों ने मेजबानी का दावा करने के लिए ५० लाख की सुरक्षा राशि भी जमा नहीं की थी। छत्तीसगढ़ यह राशि काफी पहले जमा कर चुका है। इसी के साथ छत्तीसगढ़ ने यह राशि जमा करने के समय ओलंपिक संघ के सामने अपने राज्य के खेल मैदानों की सारी स्थिति स्पष्ट करने वाला एक ब्रोशर भी सभी सदस्यों को दिया था। प्रदेश का खेल विभाग लगातार यहां के ओलंपिक संघ के साथ मिलकर भारतीय ओलंपिक संघ से संपर्क कर रहा था। जितनी तेजी से छत्तीसगढ़ ने राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी लेने की तैयारी की और ५० लाख की राशि जमा की है, उतनी तेजी से और किसी राज्य में काम नहीं हुआ है।
प्रदेश ओलंपिक संघ ने साथ मिलकर खेल विभाग ने मेजबानी लेने की योजना बनाई थी और सबसे पहले इसकी जानकारी खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी को दी गई थी। उनके नेतृत्व में ही खेल बिरादरी का एक प्रनिनिधि मंडल मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह ने मिला था और उनसे मेजबानी लेने का आग्रह किया था। मुख्यमंत्री ने तब मेजबानी लेने के लिए सहमति देते हुए विधानसभा में मेजबानी के लिए ५० लाख का बजट भी दिलवा दिया था। इसके बाद से ही खेल विभाग तेजी से मेजबानी लेने की दिशा में जुट गया था।

मेजबानी मिलने के बाद अब छत्तीसगढ़ को उतनी ही तेजी से मैदान बनाने का काम करना होगा जितनी तेजी मेजबानी लेने में दिखाई गई है। राष्ट्रीय खेल लगातार पीछे चल रहे हैं। ङाारखंड में होने वाले राष्ट्रीय खेल २००७-८ के हैं जो अब तक नहीं हो सके हैं। इसके बाद केरल और फिर गोवा में राष्ट्रीय खेल होंगे। राष्ट्रीय खेलों के आयोजन में करीब एक हजार करोड़ का खर्च होगा। मैदान बनाने के लिए केन्द्र सरकार ने मदद मिलेगी।

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