शनिवार, 5 दिसंबर 2009

ग्रामीण फुटबॉलरों को भी मिल रहा है मौका

प्रदेश फुटबॉल संघ प्रदेश के ग्रामीण बालक और बालिका खिलाडिय़ों को पूरा मौका देकर उनको राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका दे रहा है। प्रदेश में सब जूनियर वर्ग से लेकर सीनियर वर्ग में ग्रामीण खिलाड़ी प्रदेश की टीमों में स्थान बना रहे हैं। खेल विभाग की पहल पर सब जूनियर और जूनियर वर्ग की राज्य चैंपियनशिप से पहले जिलों में चयन ट्रायल किया जाता है। खेल विभाग ने खिलाडिय़ों का खर्च उठाने का जिम्मा जब से लिया है, तभी से ग्रामीण खिलाडिय़ों को खेलने का ज्यादा मौका मिल रहा है।

प्रदेश में इस समय सबसे ज्यादा खेले जाने वाले खेलों में फुटबॉल का नाम भी है। वैसे तो कबड्डी और वालीबॉल का खेल सबसे ज्यादा खेला जाता है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र में फुटबॉल खेलने वाले खिलाडिय़ों की भी कमी नहीं है। इधर ग्रामीण खिलाडिय़ों को भरपूर मौका देने का काम प्रदेश का फुटबॉल संघ भी कर रहा है। इस बारे में जानकारी देते हुए प्रदेश संघ के जोनल सचिव मुश्ताक अली प्रधान के साथ कोषाध्यक्ष दिवाकर थिटे ने बताया कि प्रदेश में फुटबाल संघ का गठन २००१ में किया गया। इसके बाद से ही प्रदेश में सभी १८ जिले सक्रिय हैं। इसके पहले जब १६ जिले थे तो शुरू से ही यहां पर जिला संघ बना दिए गए थे, इसके बाद दो और जिले बने तो वहां भी संघों का गठन कर दिया गया। इन्होंने बताया कि हर जिले में फुटबॉल के एक दर्जन से ज्यादा क्लब हैं। संघ के पास प्रदेश के ४०० से ज्यादा फुटबॉल क्लबों का पंजीयन है। इन्होंने बताया कि सबसे ज्यादा क्लब आदिवासी जिलों कोरिया, सरगुजा, बस्तर में हैं। कोरिया और सरगुजा जिलों में तीन-तीन दर्जन से ज्यादा क्लब हैं। इसी तरह से कोरबा, दुर्ग, रायपुर कांकेर में कम से कम २०-२० क्लब हैं।

हर वर्ग की होती है चैंपियनशिप

चैंपियनशिप का जहां तक सवाल है तो हर आयु वर्ग की चैंपियनशिप का आयोजन प्रदेश संघ राज्य स्तर के साथ जिला स्तर पर करता है। फुटबॉल ही एक ऐसा खेल है जिसमें अंडर बालिका वर्ग में अंडर १४, १७,एवं १९ साल की चैंपियनशिप के साथ सीनियर वर्ग की चैंपियनशिप होती है। बालक वर्ग में अंडर १४, १६, १९ और २१ साल के साथ सीनियर वर्ग की चैंपियनशिप होती है। इन सभी वर्गों की राज्य चैंपियनशिप के बाद राष्ट्रीय चैंपियनशिप में खेलने जाने से पहले टीमों का प्रशिक्षण शिविर अनिवार्य रूप से लगाया जाता है। प्रदेश की कोई भी टीम २१ दिनों के प्रशिक्षण शिविर के बिना बाहर खेलने नहीं जाती है। आज यही वजह है कि प्रदेश की टीमों को लगातार सफलता मिल रही है। टीम अभी तक भले राष्ट्रीय स्तर पर कोई पदक नहीं सकी है, लेकिन बालिका वर्ग में सब जूनियर टीम सेमीफाइनल तक पहुंचने में सफल रही है।

खेल विभाग की मदद से निखर रहा है खेल

मुश्ताल अली प्रधान ने बताया कि प्रदेश में फुटबॉल का खेल विभाग की मदद के कारण निखर रहा है। उन्होंने बताया कि विभाग जहां सब जूनियर के साथ जूनियर वर्ग की राज्य चैंपियनशिप का आयोजन कर रहा है, वहीं जिला टीमों को आने-जाने का खर्च मिलने के कारण ही अब जिलों से ग्रामीण अंचल के खिलाड़ी खेलने आने लगे हैं। ग्रामीण खिलाडिय़ों के चैंपियनशिप में आने के कारण प्रदेश की टीम में स्थान बनाने के लिए मुकाबाल कड़ा हो जाता है। ग्रामीण खिलाडिय़ों के फिटनेस के आगे बाकी खिलाड़ी ठहर नहीं पाते हैं। उन्होंने बताया कि अब खेल विभाग ने सीनियर वर्ग की चैंपियनशिप करवाने की जो घोषणा की है उससे खेल में और निखार आएगा।

मैदान और अकादमी जरूरी है

श्री प्रधान कहते हैं कि फुटबॉलरों को और निखारने के लिए मैदान के साथ अकादमी जरूरी है। वैसे शेरा क्लब ने एक फुटबॉल स्कूल प्रारंभ कर दिया है, लेकिन खिलाडिय़ों के खेलने के लिए राजधानी में मैदान नहीं है। स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के मैदान से जरूर कुछ राहत मिलेगी, लेकिन इस मैदान के बनने से पहले ही इसको दूसरे आयोजनों के लिए देने के कारण इस मैदान के भविष्य पर भी संकट नजर आने लगा है। उन्होंने कहा कि सरकार की मदद से राज्य में एक फुटबॉल अकादमी बनानी चाहिए।

1 टिप्पणी:

शरद कोकास ने कहा…

फुटबाल सचमुच उपेक्षित ही रहा है इस देश में । शायद मोहन बगान और प.बंगाल नही होता तो अब तक यह खेल क्रिकेट के आगे बलि चढ़ा दिया जाता ।इसके संवर्धन की ज़रूरत है ।

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