मंगलवार, 29 दिसंबर 2009

मेजबान को विश्वास-ये सितारे करेंगे कुछ खास


राष्ट्रीय टेबल टेनिस में छत्तीसगढ़ के इन खिलाडिय़ों पर रहेंगी नजरें


राष्ट्रीय जूनियर के साथ यूथ टेबल टेनिस चैंपियनशिप में खेलने वाले छत्तीसगढ़ के २७ खिलाडिय़ों में से करीब आधा दर्जन खिलाडिय़ों से मेजबान को उम्मीद है कि ये सितारे स्पर्धा में कुछ खास करके राज्य का नाम रौशन करेंगे। ये सितारे भी अपने खेल का जलवा दिखाने को बेताब हैं और २१ दिनों के प्रशिक्षण के बाद एक स्वर में कहते हैं कि जरूर हम अपने राज्य के लिए कुछ खास करने की मानसिकता के साथ ही मुकाबलों में उतरेंगे।
राजधानी रायपुर में बस दो दिनों बाद ही देश भर के अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय खिलाड़ी जूनियर वर्ग के साथ यूथ वर्ग के बालकों के साथ बालिका वर्ग के खिताब के लिए मैदान में उतरेंगे। एक तरफ जहां देश भर के खिलाडिय़ों के लिए सप्रे टेबल टेनिस हॉल के साथ बैडमिंटन हॉल को भी सजाया जा रहा है, वहीं अपने राज्य के २७ खिलाडिय़ों को इस जंग के लिए तैयार करने का काम राष्ट्रीय खिलाड़ी विनय बैसवाड़े ने किया है। खिलाडिय़ों को इस तरह से तैयार किया गया है कि ये कुछ कमाल दिखाएं और राज्य को राष्ट्रीय स्तर पर एक अलग पहचान दिलाने का काम करें। जिन सितारों से छत्तीसगढ़ को उम्मीद है, उनसे हरिभूमि ने खास बात करके जानने का प्रयास किया है कि वे किस मानसिकता के साथ मैदान में उतरने की तैयारी में हैं और इसके लिए उनकी क्या तैयारी है।
सुरभि मोदी:- बालिका वर्ग में मेजबान छत्तीसगढ़ की सबसे बड़ी उम्मीद २० बार राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकीं सुरभि मोदी हैं। सुरभि जूनियर के साथ यूथ वर्ग में भी राज्य के लिए खेलेंगी। पूछने पर वह बताती हैं कि हमारी तैयारी है तो जोरदार। २१ दिनों तक गहन प्रशिक्षण भी लिया है। वह बताती हैं कि पिछले साल सूरत में वह जूनियर वर्ग में क्वालीफाइंग चक्र पार करने में सफल रही थीं। इसी के साथ यूथ वर्ग में वह प्रीक्वार्टर तक पहुंचने में कामयाब रही थी। अपने राज्य की मेजबानी में क्या लक्ष्य है के सवाल पर वह कहती हैं कि लक्ष्य तो अच्छे से अच्छा प्रदर्शन करने का है। वैसे दोनों वर्गों में क्वार्टर फाइनल तक पहुंचने का प्रयास होगा। वह कहती हैं कि जिस तरह से स्पर्धा में साल भर अभ्यास करने वाले खिलाड़ी खेलते हैं उनके रहते क्वार्टर फाइनल तक पहुंचना भी आसान नहीं होता है। वह कहती हैं कि साल भर अभ्यास के बाद ही किसी पदक की उम्मीद की जा सकती है। इसी के साथ बाहर से प्रशिक्षक बुलाकर खिलाडिय़ों को प्रशिक्षण देना होगा।
सागर घाटगे:- यूथ वर्ग में मेजबान की उम्मीद सागर घाटगे बताते हैं कि उनकी तैयारी भी क्वार्टर फाइनल तक जाने की है। पिछले साल सूरत में वे प्रीक्वार्टर फाइनल तक पहुंचे थे। प्रशिक्षण के लिए बाहर से कोच बुलाने के पक्षधर सागर भी कहते हैं कि यह बात ठीक है कि अपने राज्य के विनय बैसवोड़े बहुत अच्छे खिलाड़ी और प्रशिक्षक हैं, पर अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर के कोच को अगर बुलाया जाए तो खेल में और निखार आएगा। वे बताते हैं कि प्रशिक्षण में विशेष रूप से फिटनेस पर ध्यान दिया गया है।
सैमित्र तिवारी:- जूनियर के साथ यूथ में भी राज्य का प्रतिनिधित्व करने वाले इस खिलाड़ी का कहना है कि टीम गेम में राज्य की टीम को क्वार्टर फाइनल तक पहुंचाने के साथ व्यक्तिगत मुकाबलों में भी क्वार्टर फाइनल तक खेलना लक्ष्य है। इसके लिए जोरदार तैयारी की है। २००७ में सब जूनियर वर्ग में देश के १९वें नंबर के खिलाड़ी रहे इस खिलाड़ी ने बताया कि वे पिछले साल सूरत की यूथ चैंपियनशिप में पहले चक्र में हार गए थे। इसी के साथ इंदौर की जूनियर स्पर्धा में भी वे पहले चक्र में हारे थे। लेकिन इस बार वे चूकना नहीं चाहते हैं। सौमित्र का भी मानना है कि अच्छे प्रदर्शन के लिए साल पर प्रशिक्षण मिलना जरूरी है।
अंशुमन राय:- यूथ वर्ग में राज्य के नंबर वन इस खिलाड़ी का कहना है कि कोच और अनुभव की कमी के कारण ही हम लोग प्रीक्वार्टर तक पहुंच कर रूक जाते हैं। वे कहते हैं कि इस बार उनका मकसद प्रीक्वार्टर फाइनल से आगे जाने का है। वे बताते हैं कि उनका यह तीसरा यूथ नेशनल है। २००७ में स्कूल नेशनल में कांस्य पदक जीतने वाले इस खिलाड़ी को ओपन वर्ग में पदक न जीत पाने का मलाल है, लेकिन उनको मालूम है कि यहां पर पदक तक पहुंचना आसान नहीं है। वे कहते हैं कि जब २१ दिनों के प्रशिक्षण शिविर से खेल में २० से २५ प्रतिशत निखार आया है तो यह बात तय है कि अगर हम लोगों को साल भर प्रशिक्षण मिले तो हम लोग पदक तक पहुंच सकते हैं।
कुणाल देव:- स्कूल नेशनल में छठा स्थान पाने वाले इस खिलाड़ी को पहली बार यूथ वर्ग में राज्य के लिए खेलने का मौका मिला है। पहली बार खेलने से उत्साहित कुणाल कहते हैं कि वे राज्य की टीम को अपने साथी खिलाडिय़ों के साथ क्वार्टर फाइनल तक ले जाने का पूरा प्रयास करेंगे।
बाहर से कोच बुलाना जरूरी है- विनय
प्रदेश के खिलाडिय़ों को तैयार करने वाले राष्ट्रीय खिलाड़ी विनय बैसवाड़े भी इस बात को मानते हैं कि बाहर से कोच बुलाए बिना प्रदेश के खिलाड़ी पदक तक नहीं पहुंच सकते हैं। वे कहते हैं कि यह जूनियर टीम है, ऐसे में मेरे पास जो भी राष्ट्रीय स्तर का अनुभव रहा है उनके दम पर मैंने खिलाडिय़ों को तैयार किया है। खिलाडिय़ों ने मेहनत की है। उन्होंने बताया कि सुबह के सत्र में फिजिकल के साथ अभ्यास करवाया गया। शाम के सत्र में टीमें बनाकर मैच करवाएं गए। खिलाडिय़ों को तीन वर्गों ंमें बांटा गया था जो खिलाड़ी जीतते थे, उनको खेल के हिसाब से इन वर्गों मेंं रखा जाता था। उन्होंने पूछने पर बताया कि जिन खिलाडिय़ों से बत की गई है, उनसे ही राज्य को सबसे ज्यादा उम्मीद है।

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

बहुत शुभकामनाएँ...


यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि आप हिंदी में सार्थक लेखन कर रहे हैं।

हिन्दी के प्रसार एवं प्रचार में आपका योगदान सराहनीय है.

मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं.

नववर्ष में संकल्प लें कि आप नए लोगों को जोड़ेंगे एवं पुरानों को प्रोत्साहित करेंगे - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

निवेदन है कि नए लोगों को जोड़ें एवं पुरानों को प्रोत्साहित करें - यही हिंदी की सच्ची सेवा है।

वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाएँ और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।

आपका साधुवाद!!

नववर्ष की अनेक शुभकामनाएँ!

समीर लाल
उड़न तश्तरी

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