पुलिस लाइन के मैदान में शाम के समय वालीबॉल मैदान में खिलाडिय़ों को कोच बॉल पर बॉल दिए जा रहे हैं और खिलाड़ी दनादन शाट्स पे शाट्स मारकर अभ्यास करने में जुटे हैं। हर खिलाड़ी जोश में है। इस जोश के पीछे सबसे बड़ा कारण यह है कि प्रदेश के खिलाडिय़ों को पहली बार अंतरराष्ट्रीय कोच का साथ मिला है जो उनके खेल को निखारने के लिए रोज छह घंटे तक लगातार मेहनत करवा रहे हैं। प्रदेश की टीम का इस समय एक मात्र लक्ष्य राष्ट्रीय चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में स्थान बनाकर राष्ट्रीय खेलों में खेलने की पात्रता प्राप्त करना है। अब तक प्रदेश की टीम एक बार भी राष्ट्रीय खेलों में नहीं खेल सकी है। टीम को इसी सफलता के रास्ते पर ले जाने के लिए प्रदेश संघ ने पहली बार टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय कोच की सेवाएं ली हैं।
राजधानी रायपुर के पुलिस मैदान के वालीबॉल कोर्ट में सुबह और शाम के सत्र में प्रदेश के खिलाडिय़ों का जमावड़ा लग रहा है। प्रदेश की संभावित टीम के दो दर्जन खिलाडिय़ों को निखारने का काम भारतीय वालीबॉल टीम के एक दशक से भी ज्यादा समय से कोच रहने वाले चंदर सिंह कर रहे हैं। उनके प्रशिक्षण देने के अंदाज पर ही हर खिलाड़ी फिदा हो गया है और जिस तरह से खिलाड़ी लगातार मेहनत कर रहे हैं, वैसी मेहनत करते उनको पहले कभी नहीं देखा गया है। टीम के संभावित खिलाड़ी हरमिंदर पाल, संतोष कुमार, अमनदीप, सचिन गुमाश्ता, प्रियेश जान, सुरेश सिंग, अमित अंदानी, ललित मिश्रा, मुकेश खत्री, लक्ष्मण कुमार, सुलेमान, शोएब अब्बासी, के. विपिन कुमार, विवेक नेताम, आकाश पांडे, आनंद कुमार, बालेन्द्र सिंह, धनंजय पाठक और लक्ष्मी नारायण एक स्वर में कहते हैं कि हमने सोचा नहीं था कि ऐसा भी प्रशिक्षण हो सकता है। इनका कहना है कि हम लोगों को प्रशिक्षण में बहुत मजा आ रहा है। खिलाड़ी कहते हैं कि जिस तरह से हमें प्रशिक्षण दिया जा रहा है, उससे उम्मीद कर सकते हैं कि हमारी टीम जरूर ग्वालियर में होने वाली ५८वीं राष्ट्रीय चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल में पहुंचने में सफल होगी। अगर हमारी टीम वहां क्वार्टर फाइनल में पहुंच जाएगी तो हम लोगों को ङाारखंड के राष्ट्रीय खेलों में खेलने की पात्रता मिल जाएगी। खिलाड़ी पूछने पर कहते हैं कि छत्तीसगढ़ की टीम को अब तक राष्ट्रीय खेलों में खेलने की पात्रता नहीं मिली है, अगर इस बार सफल होते हैं तो यह अपने राज्य के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। खिलाड़ी कहते हैं कि छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय खेल २०१३-१४ की मेजबानी मिली है, ऐसे में अब और भी जरूरी हो जाता है कि हम लोगों की टीम को राष्ट्रीय खेलों में खेलने की पात्रता मिले। एक बार अगर सफलता मिल जाती है, तो इस सफलता को बनाए रखने की जिम्मेदारी प्रदेश के खिलाडिय़ों पर आ जाएगी।
खिलाड़ी पूछने पर कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय कोच से प्रशिक्षण लेने और वो भी एक ऐसे कोच से जो भारतीय टीम को कोचिंग देते हैं हम लोगों के लिए सपने जैसा है। खिलाड़ी प्रदेश संघ की तारीफ करते हुए कहते हैं कि यह हमारे संघ के बस की बात है जो उसने एक अंतरराष्ट्रीय कोच की व्यवस्था की है। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि वालीबॉल संघ प्रदेश का ऐसा पहला संघ है जिसने प्रदेश की टीम को संवारने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय कोच की सेवाएं ली हैं। खिलाडिय़ों ने एक सवाल के जवाब में बताया कि इसके पहे कभी ऐसा नहीं होता था कि हम लोग लगातर शाट्स मारने की या फिर सर्विस करने का लगातार अभ्यास करते थे। इन्होंने बताया कि खिलाडिय़ों की फिटनेस पर कोच खास ध्यान दे रहे हैं। २४ दिसंबर तक चलने वाले इस प्रशिक्षण शिविर में संभावित टीम के खिलाडिय़ों की दो टीमें बनाकर मैच भी करवाए जा रहे हैं।
खेल का स्तर ऊंचा करना है: अकरम
प्रदेश वालीबॉल संघ के महासचिव मो। अकरम खान पूछने पर कहते हैं कि हमारे संघ ने अंतरराष्ट्रीय कोच की सेवाएं इसलिए ली है ताकि छत्तीसगढ़ में वालीबॉल का स्तर ऊंचा किया जा सके। वे कहते हैं कि अपने राज्य में प्रतिभाशाली खिलाडिय़ों की कोई कमी नहीं है। हमारे यहां प्रशिक्षक भी अच्छे हैं, लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रशिक्षक की बात और होती है। आज हम जिन कोच चंदर सिंह की सेवाएं ले रहे हैं वे भारत की सीनियर टीम के १२ साल से कोच हैं। उनके प्रशिक्षण में लगातार भारतीय टीम अच्छा प्रदर्शन कर रही है। ऐसे में जबकि वर्तमान में भारतीय टीम का कही दौरा नहीं है और कोच खाली थे, तो हमारे संघ ने उनके संपर्क किया और वे इसलिए यहां आने को तैयार हो गए क्योंकि उन्होंने हाल ही में ओएलजीसी में कोच का पद छोड़ दिया है। श्री खान ने भरोसा जताया कि हमारे खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय कोच की सेवाएं मिलने के बाद जरूर राष्ट्रीय स्पर्धा में क्वार्टर फाइनल तक का सफर तय करेंगे।
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