शनिवार, 7 मार्च 2009

मेजबान की हार से मचा बवाल

मेजबान टीम के पहले हॉफ में ही हारने की स्थिति को देखते हुए दर्शकों के साथ मेजबान एथलेटिक क्लब के कुछ सदस्यों ने भी हंगामा कर दिया। दर्शकों के साथ क्लब के सदस्यों का खुला आरोप था कि अंपायर मैच में गलत फैसले करके मेजबान टीम को हरवाने का काम कर रहे हैं। आयोजकों के हस्तक्षेप के बाद हंगामा शांत करवाने के बाद मैच प्रारंभ करवाया गया। मेजबान टीम को साई भोपाल से 2-4 से मात खाकर चैंपियनशिप से बाहर होना पड़ा। दूसरे सेमीफाइनल में कोर ऑफ सिग्नल पंजाब ने सेंट्रल रेलवे नागपुर को 2-1 से हराकर फाइनल में स्थान बनाया।
नेताजी स्टेडियम में नेहरू स्वर्ण कप हॉकी में जब मेजबान एथलेटिक क्लब की टीम पहले सेमीफाइनल में साई भोपाल के खिलाफ मैच खेलने उतरी तो सबको इस बात का भरोसा था कि धनराज पिल्ले-आशीष बल्लाल अकादमी बेंगलूर के साथ ही पिछले साल की चैंपियन पाम्पोस हास्टल सुंदरगढ़ को मात देने वाली मेजबान आज के मैच में कमाल करेगी और पहली बार फाइनल तक का सफर तय करने में सफल होगी। भोपाल की टीम को कमजोर माना जा रहा था, लेकिन जब मैच प्रारंभ हुआ तो पासा पलटा हुआ नजर आने लगा। मैच के 8वें मिनट में भोपाल के आजम बेग ने पहला गोल किया। इसके बाद भोपाल की टीम ने पहले हॉफ में गोलों की डाडी लगा दी। जो मेजबान टीम गुरुवार के मैच में चैंपियन टीम सुंदरगढ़ के खिलाफ जमकर खेली थी, आज उस टीम में वैसी कुछ बात नजर नहीं आ रही थी। खेल के 16वें मिनट में शेख शाहिद ने भोपाल के लिए दूसरा गोल किया। खेल के 23वें मिनट में आजम बेग की स्टिक से एक गोल निकला। पहला हॉफ समाप्त होने के पांच मिनट पहले एहफाजुद्दीन ने गोल करके अपनी टीम को 4-0 से आगे कर दिया। मेजबान टीम चार गोल खाने के बाद जब दूसरे हॉफ में खेलने के लिए उतरी तो यहां पर टीम कुछ बदली हुई नजर आई और टीम ने लगातार हमले करने प्रारंभ किए। मैच के 38वें मिनट में ई. खान ने रायपुर के लिए पहला गोल किया। इसके 6 मिनट बाद ही ई. खान ने एक और गोल करके टीम की उम्मीदों को जिंदा रखा। इस गोल के एक मिनट बाद ही अचानक मैच में हंगामा हो गया। पहले हॉफ से लगातार अंपायरों के फैसलों से नाखुश नजर आ रहे मेजबान क्लब के एक सदस्य दर्शकों के उकसाने पर अंतत: मैदान में घुस गए और अंपायर से बहस करने लगे। इधर दर्शकों ने जमकर हंगामा खड़ा कर दिया। दर्शकों के साथ क्लब के कई सदस्य भी अंपायरों के फैसलों पर नाराजगी जता रहे थे। आयोजकों को अपने सदस्यों के साथ दर्शकों को शांत करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। दर्शक इतने ज्यादा उतेजित थे कि वे कुर्सियों उठाकर फेंकने लगे। आयाजकों और दर्शकों के बीच काफी समय तक गरमा-गरम बहस होती रही। काफी हंगामे के बाद जब बचे हुए 15 मिनट का खेल प्रारंभ हुआ तो दोनों टीमों ने मैच को अनमने मन से खेला और अंत में भोपाल की टीम ने मैच 4-2 से जीतकर फाइनल में स्थान बना लिया। मेजबान टीम के खिलाड़ियों ने कहा कि अगर मैच में हंगामा नहीं होता तो हमारी टीम 4-4 की बराबरी पाने के बाद मैच जीत भी सकती थी। लेकिन हंगामे के कारण सबका ध्यान बंट गया और मैच हाथ से निकल गया। हंगामे से पुराने सदस्य खफा :- मैच में हुए हंगामे को लेकर क्लब के पुराने सदस्य काफी खफा नजर आए। इनका कहना था कि ऐसा कुछ करने की जरूरत नहीं थी और मैच को खेल भावना से लेना था। हंगामे में शामिल होकर क्लब के कुछ सदस्यों से क्लब की साख के साथ खिलवाड़ करने का काम किया है। इधर हंगामे में शामिल क्लब के सदस्यों का कहना है कि लगातार गलत फैसलों के कारण उनकी सहनशक्ति तब जवाब दे गई जब दर्शक भी लगातार कहने लगे की फैसले गलत हो रहे हैं। इन्होंने कहा कि जब आम दर्शकों को यह बात समङा में आ रही थी कि फैसले गलत हो रहे हैं तो फिर हम लोग इस बात को कैसे बर्दाश्त करते की हमारी टीम के साथ कुछ गलत हो। पेनाल्टी कॉर्नर ने दिलाई पंजाब को जीत :- दूसरे सेमीफाइनल में कोर ऑफ सिग्नल पंजाब की टीम को सेंट्रल रेलवे नागपुर के खिलाफ 2-1 से जीत मिली। इस मैच में पंजाब की टीम को जीत दिलाने में पेनाल्टी कॉर्नर की अहम भूमिका रही। मैच के पांचवें मिनट में ही मिले पेनाल्टी कॉर्नर को एनएस कलारिया ने गोल में बदल कर अपनी टीम को 1-0 से आगे कर दिया। पहले हॉफ में यही एक गोल हुआ। दूसरे हॉफ में खेल के छठे मिनट ही नागपुर ने भी पेनाल्टी कॉर्नर से गोल करके बराबरी प्राप्त कर ली। यह गोल राजीव भटकर ने किया। इसके पांच मिनट बाद ही पंजाब को मिले पेनाल्टी कॉर्नर को गोल में बदलने में पीयूष कुजूर ने कोई गलती नहीं की। यह पंजाब का दूसरा ही पेनाल्टी कॉर्नर था और उसके खिलाड़ियों ने दोनों को गोल में बदला था। इधर नागपुर को अब तक पांच पेनाल्टी कॉर्नर मिले थे जिसमें से एक को ही गोल में बदला जा सका था। मैच के बाकी समय में दोनों टीमों को 1-1 पेनाल्टी कॉर्नर मिला जिसको गोल बदला नहीं जा सका। अंत में पंजाब की टीम ने मैच 2-1 से जीतकर फाइनल में स्थान बना लिया। फाइनल मैच शनिवार को दोपहर तीन बजे खेला जाएगा।

2 टिप्‍पणियां:

बवाल ने कहा…

अरे जनाब ग्वालानी जी बवाल मेज़बान के हारने पर नहीं बल्कि हमारे उस मैच को देखने पहुँच जाने की वजह से मचा। क्या कीजिएगा हमारा नाम ही है ना..........बवाल। हा हा ।
बहुत बेहतरीन रिपोर्ट की आपने मज़ा आया। शनिवार के मैच का इंतज़ार रहेगा।

Unknown ने कहा…

इस तरह के बवाल नहीं होने चाहिए खेल भावना आहत होती है । अच्छा खेल होना चाहिए कोई भी जीते या हारे।

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