छत्तीसगढ़ में उत्कृष्ट खिलाडिय़ों ने लिए तय किए गए नियमों पर उठ रहे सवालिया निशान को देखते हुए खेल विभाग ने पहले ही तय कर लिया है कि इसके नियमों में संशोधन किया जाएगा। खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि विभाग कई राज्यों के नियमों का अवलोकन कर रहा है नियमों में जिन बदलावों की जरूरत होगी, वो बदलाव किए जाएंगे।
छत्तीसगढ़ बनने के बाद प्रदेश सरकार ने पहली बार ७० खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया है। अब इन खिलाडिय़ों को नौकरी दी जाएगी। इस सूची के जारी होने के बाद एक बार फिर से खेल बिरादरी में इस बात को लेकर चर्चा होने लगी है कि उत्कृष्ट खिलाडिय़ों के लिए जो नियम बनाए गए हैं उसमें बहुत ज्यादा कमियां हैं। इन कमियों के कारण जहां कई अपात्र खिलाड़ी भी नौकरी के पात्र हो गए हैं, वहीं कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो राज्य के लिए कुछ साल भी नहीं खेल पाएंगे ऐसे खिलाडिय़ों को नौकरी देने का क्या मतलब रहेगा। अपात्र खिलाडिय़ों के बारे में खुलासा करते हुए जानकार बताते हंै कि टीम खेलों के कई खेल ऐसे होते हैं जो टीमों में तो रहते हैं, पर खेलते नहीं हैं। ऐसे अतिरिक्त खिलाड़ी भी नौकरी के पात्र हो गए हैं। पहली सूची में कई खिलाड़ी ऐसे हैं जो दो साल भी प्रदेश के लिए नहीं खेल पाएंगे। जानकार कहते हैं कि ऐसे खिलाडिय़ों को ही उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करना चाहिए जो कम से कम पांच साल तो प्रदेश के लिए खेल सकें।
प्रदेश ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष मो. अकरम खान कहते हैं कि देश में सबसे अच्छा नियम मप्र का रहा है जिसमें खेल संघों द्वारा तय किए गए खिलाडिय़ों को ही सरकार उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करती रही है। उनका कहना है कि खिलाडिय़ों की क्षमता और प्रतिभा के बारे में खेल संघ ही ज्यादा अच्छा जानते हैं। इसी के साथ मप्र में यह नियम है कि जो खिलाड़ी लगातार तीन साल राष्ट्रीय स्तर पर खेलते हैं उनको उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया जाता है। श्री अकरम ने बताया कि वे पहले ही खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी और खेल संचालक जीपी सिंह को नियमों में संशोधन करने के लिए लिखित में दे चुके हैं।
मप्र के नियम की ही वकालत करते हुए फुटबॉल संघ के मुश्ताक अली प्रधान कहते हैं छत्तीसगढ़ के नियम के अनुसार तो कभी भी राष्ट्रीय खेल हॉकी सहित फुटबॉल, वालीबॉल, टेबल टेनिस, बैडमिंटन और लॉन टनिस के साथ कई खेलों के खिलाड़ी कभी उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित ही नहीं हो सकेंगे क्योंकि इन खेलों में राष्ट्रीय चैंपियनशिप में पदक मिलना एक तरह से असंभव है। ऐसे में मप्र का नियम ही ठीक लगता है।
ज्यादा खेलों को फायदे देने वाले नियम तय होंगे: संचालक
खेल संचालक जीपी सिंह का इस बारे में कहना है कि उनके पास कई खेल संघों के पदाधिकारियों ने इस बात को रखा है कि नियमों में कई कमियां हैं। हमारा विभाग मप्र सहित कई राज्यों के नियमों का अवलोकन कर रहा है। नियमों में जो कमियां हैं उनको दूर किया जाएगा ताकि ज्यादा से ज्यादा खेलों के खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित किया जा सके और उनको रोजगार मिल सके। विभाग का मसकद ही प्रदेश में हर खेल और खिलाड़ी का विकास करना है।
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