शनिवार, 26 सितंबर 2009

स्कूली खेलों में ओवरएज बेलगाम

प्रदेश के स्कूली खेलों में पूरी तरह से ओवरएज खिलाडिय़ों का राज चल रहा है। यहां कोई भी खेले ऐसा नहीं है जिसमें ओवरएज खिलाडिय़ों के खेलने की शिकायतें नहीं होती हैं, पर किसी भी मामले में कोई कार्रवाई नहीं की जाती है। बिलासपुर में चल रहे राज्य शालेय खेलों में नेटबॉल में दुर्ग की एक टीम में एक ओवरएज बाहरी खिलाड़ी के खेलने की बात सामने आई है, पर सब जानने के बाद भी न तो टीम को बाहर किया गया और न ही खिलाड़ी को। सुब्रत कप फुटबॉल में सरगुजा के खिलाडिय़ों के ओवरएज होने के मामले पर भी अब तक कुछ नहीं किया गया है।

स्कूली खेलों में इस समय बिलासपुर में चल रही राज्य स्पर्धा में नेटबॉल भी शामिल है। इस स्पर्धा के अंडर १९ साल की बालिका चैंपियनशिप में खेल रही दुर्ग की टीम में एक खिलाड़ी के न सिर्फ ओवरएज होने की बात सामने आई है, बल्कि यह खिलाड़ी छत्तीसगढ़ के किसी भी स्कूल में नहीं पढ़ती है। दिल्ली में पढऩे वाली इस खिलाड़ी को दुर्ग की टीम से खिलाया जा रहा है। इस खिलाड़ी के बारे में शिक्षा विभाग से जुड़े लोगों को बताने के बाद भी न तो इस खिलाड़ी को टीम से बाहर किया गया और न ही टीम को बाहर किया गया।

इस स्पर्धा से पहले धमतरी में हुई सुब्रत कप फुटबॉल चैंपियनशिप में सरगुजा की टीम से ओवरएज खिलाडिय़ों के खेलने की शिकायतें आईं थीं। उस समय अंडर १४ साल में रायपुर के राजकुमार कॉलेज का फाइनल में सरगुजा की टीम से मुकाबला हुआ था। इस मुकाबले में आरकेसी की टीम ने सरगुजा टीम के खिलाडिय़ों के ओवरएज होने की शिकायतें की, पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। इसी तरह से अंडर १७ साल में रायपुर के विवेकानंद स्कूल की टीम में सही उम्र के खिलाड़ी थी, पर सरगुजा की टीम में ओवरएज खिलाड़ी थे जिसके कारण रायपुर की टीम हार गई। इन मामलों की शिकायतें वहां पर की गईं, पर शिकायतों पर जहां ध्यान नहीं दिया गया, वहीं उन शिकायतों को शिक्षा संचालनालय भी पहुंचने से रोका गया। सहायक संचालक एसआर कर्ष कहते हैं कि हमारे पास ऐसी कोई शिकायत ही नहीं आई है। शिकायत आने पर कार्रवाई करने की बात वे कहते हैं।

ये दो ताजा उदाहरण हैं। इसके अलावा स्कूली खेलों के हर खेल में न सिर्फ ओवरएज खिलाड़ी खेलते हैं, बल्कि कॉलेज के खिलाडिय़ों को भी दूसरे नामों से खिला दिया जाता है। ऐसा नहीं है कि इसके बारे में अधिकारी नहीं जानते हैं, सबके यह बात मालूम होने के बाद भी कोई कुछ नहीं कहता है। अगर यह कहा जाए कि स्कूली खेलों में पूरी तरह से ओवरएज खिलाडिय़ों का राज चल रहा है तो गलत नहीं होगा।

1 टिप्पणी:

समयचक्र ने कहा…

सही कह रहे है आप ? खेल राजनीति का फंडा है यह

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