प्रदेश सरकार द्वारा जारी उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची में करीब दो दर्जन खिलाड़ी ऐसे हैं जो रेलवे में नौकरी करते हैं। स्पष्ट नियमों के अभाव के कारण जहां ऐसे खिलाडिय़ों के आवेदन खेल विभाग ने स्वीकार कर लिए थे, वहीं उनको अब उत्कृष्ट खिलाड़ी भी घोषित कर दिया गया है। लेकिन ऐसे खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाडिय़ों का प्रमाणपत्र देने से पहले उनसे यह जान लेने की बात की जा रही है कि वे राज्य सरकार की नौकरी करने के इच्छुक हैं नहीं।
प्रदेश में जबसे उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची जारी हुई है, इसको लेकर तरह-तरह से सवाल खिलाड़ी और खेल संघों से जुड़े लोग उठा रहे हैं। नियमों को लेकर खेल संघ संतुष्ट नहीं हैं। इसी तरह से उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित होने से वंचित रहने वाले खिलाडिय़ों के साथ कई खेल संघों से जुड़े लोग यह सवाल करने लगे हैं कि आखिर क्यों कर ऐसे खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाड़ी घोषित करने का काम किया गया है जो खिलाड़ी पहले से नौकरी में हैं। यहां पर यह बताना लाजिमी होगा कि हैंडबॉल के साथ बास्केटबॉल के करीब दो दर्जन खिलाड़ी रेलवे में काफी समय से कार्यरत हैं। इसी के साथ कुछ खिलाड़ी प्रदेश के पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। राज्य में कार्य करने वाले खिलाडिय़ों के साथ तो दिक्कत नहीं है क्योंकि वे यहां काम कर रहे हैं, लेकिन खेल बिरादरी का सवाल है कि क्या रेलवे के खिलाड़ी नौकरी छोड़कर राज्य शासन की नौकरी करने को तैयार होंगे।
कई खिलाड़ी कहते हैं कि ऐसे खिलाडिय़ों को उत्कृष्ट खिलाडिय़ों का प्रमाणपत्र देने से पहले उनसे पूछ लेना चाहिए। अगर वे राज्य सरकार की नौकरी करने तैयार होते हैं तभी उनको प्रमाणपत्र देना चाहिए।
नियमों की खामियां दूर की जाएंगी
खेल संचालक जीपी सिंह ने इस बात को माना है कि नियमों में कुछ कमियां हैं जिसके कारण ऐसा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह सच है कि नियमों में यह स्पष्ट नहीं है कि जो पहले से रेलवे या फिर और फिर किसी संस्थान में कार्यरत हैं वे आवेदन कर सकते हैं या नहीं। ऐसे में सभी ने आवेदन किए और पात्रता रखने के कारण उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची में शामिल हो गए। भविष्य में नियमों में आवश्यकता अनुसार बदलाव किया जाएगा ताकि कोई भी ऐसी गलती न हो। वैसे नियमों के अनुसार पात्रता में जो खिलाड़ी खरे उतरे हैं उनको ही उत्कृष्ट खिलाडिय़ों की सूची में रखा गया है।
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