प्रदेश में एक तरफ जहां खेल मैदानों का टोटा है, वहीं दूसरी तरफ लगातार यह शिकायतें रही हैं कि मैदानों का उपयोग दूसरे आयोजनों के लिए होने के कारण मैदान बर्बाद हो रहे हैं। राजधानी रायपुर की ही बात की जाए तो यहां पर नेताजी स्टेडियम से लेकर सप्रे स्कूल, साइंस कॉलेज, पुलिस मैदान और गास मेमोरियल के मैदानों का उपयोग खेलों के आयोजन के लिए कम और दूसरे आयोजनों के लिए ज्यादा होता है। नेताजी स्टेडियम में सांस्कृति कार्यक्रमों के आयोजनों के साथ इसको जब मर्जी होती है अस्थाई जेल का रूप देकर आंदोलन करने वालों को गिरफ्तार करके रखा जाता है। सप्रे स्कूल और साइंस कॉलेज के मैदानों में ज्यादातर राजनीतिक सभाओं का आयोजन होता है। कमावेश यही हाल अन्य मैदानों का है। जैसा हाल राजधानी के मैदानों का है, वैसा ही प्रदेश के अन्य शहरों में भी मैदानों का हाल है। कुछ दिनों पहले ही जांजगीर-चांपा के एक मैदान को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से शिकायत की गई थी। मैदानों को लेकर लगातार सरकार के पास शिकायतें आती रहती हैं।
ऐसे में जबकि मैदानों को लेकर लगातार शिकायतें आ रही हैं, तब खेल मंत्री सुश्री लता उसेंडी ने मैदानों को सुरक्षित रखने के लिए खेल विभाग को सीधे एक विधेयक ही बनाने के निर्देश दिए। इस निर्देश के बाद विधेयक का एक मसौदा तैयार करके उसको अनुमोदन के लिए मंत्रालय भेज दिया गया है। वहां से इसके अनुमोदन के बाद इसको पहले कैबिनेट की बैठक में रखा जाएगा, फिर इसको विधान सभा में रखकर विधेयक पारित कराया जाएगा।
विधेयक के बारे में जानकारी देते हुए खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि इस विधेयक में गांवों से लेकर शहरों के मैदानों की एक सूची बनाने की बात है। जिन मैदानों को एक बार सूची में शामिल कर लिया जाएगा, उन मैदानों में जहां कोई दूसरा निर्माण कार्य नहीं हो सकेगा, वहीं मैदान को किस दूसरे उपयोग के लिए भी नहीं दिया जाएगा। उन्होंने पूछने पर बताया कि जिलों के मैदानों के बारे में जानकारी देने का जिम्मा जिलाधीश को दिया जाएगा। गांवों पंचायतों को ये जिम्मा मिलेगा। पूरे प्रदेश में सभी मैदानों की सूची बनाकर देखा जाएगा कि किन मैदानों को सूची में शामिल किया जाना है।
1 टिप्पणी:
लग तो अच्छा ही रहा है
पर देखते हैं
कितना सच्चा रहता है
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