शनिवार, 26 जून 2010

नए खेलों पर ध्यान दें क्रीड़ाश्री

अपने-अपने गांवों में पायका में शामिल खेलों के अलावा दूसरे नए खेलों पर भी ध्यान दें। गांवों में ऐसी प्रतिभाओं की कमी नहीं है जो नए खेलों में राज्य के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कमाल कर सकती हैं।
ये बातें यहां पर रायपुर जिले के तीन विकासखंडों के क्रीड़ाश्री से राजधानी के वरिष्ठ खेल अधिकारी राजेन्द्र डेकाटे ने कहीं। उन्होंने आरंग के ९, अभनपुर औैर धरसींवा के ५-५ गांवों से आए क्रीड़ाश्री से कहा कि पायका में विकासखंड स्तर पर पांच खेलों वालीबॉल, फुटबॉल, खो-खो, कबड्डी और सायक्लिंग को रखा गया है, लेकिन गांवों में तालाबों में तैराने वालों को जहां तैराकी के लिए तैयार किया जा सकता है, वहीं लाठी चलाने वालों को मार्शल आर्ट के खेलों वूशू, कराते, तलवारबाजी, जूडो के लिए भी तैयार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि गांवों में तीरंदाजी के खिलाड़ी भी मिल सकते हैं। उसी के साथ अगर गांवों में अखाड़े हैं तो वहां से कुश्ती के खिलाड़ी निकल सकते हैं। उन्होंने सभी से कहा कि यह सोचकर ऐसे खेलों के खिलाडिय़ों को नजरअंदाज नहीं करना है कि ये खेल तो पायका में शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी खेल की प्रतिभाएं अगर आपके गांव में हैं तो उनको सामने लाना आपका काम है।
श्री डेकाटे ने कहा कि जब गांवों में जिम लग जाएंगे तो आपके गांवों से आयरन गेम्स के भी खिलाड़ी निकलने लगेंगे। उन्होंने बताया कि आज तीन विकासखंडों के क्रीड़ाश्री को उनका दो-दो माह का मानदेय दिया गया। श्री डेकाटे ने बताया कि अभी रायपुर जिले के विकासखंडों की बैठकों का सिलसिला चल रहा है। पिछले रविवार को एक बैठक तिल्दा में रखी गई थी। इस रविवार को एक बैठक का आयोजन कसडोल में किया गया है। उन्होंने बताया कि कोशिश यही है कि जहां पर क्रीड़ाश्री के आने में सुविधा हो वहां पर बैठक का आयोजन किया जाए।
उन्होंने बताया कि सभी क्रीड़ाश्री को अपने-अपने गांवों के खिलाडिय़ों का पंजीयन करने के लिए कहा गया है। खेल विभाग खिलाडिय़ों का पंजीयन पंचायत स्तर से ही कर रहा है ताकि गड़बडिय़ों पर विराम लग सके।

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