रविवार, 27 जून 2010

किस पर गिरेगी गाज-कल खुलेगा राज

राजधानी में होने वाली बैटन रिले में धावकों की सूची को २८ जून को अंतिम रूप देने का काम खेलमंत्री लता उसेंडी की अध्यक्षता में होने वाली बैठक में किया जाएगा। इसी बैठक में तय होगा कि २०० से ज्यादा धावकों की मैराथन सूची में से किन नामों पर गाज गिरेगी। वैसे इस सूची को काटने का काम जिलाधीश की अध्यक्षता में हुई बैठक में होना था, पर उस बैठक में इस सूची पर चर्चा ही नहीं हो सकी थी।
कामनवेल्थ की बैटन रिले का आयोजन राजधानी रायपुर में १२ अगस्त को किया गया है। इस रिले के लिए जिले के खेल विभाग ने २०० से ज्यादा दावेदारों की सूची तैयार की है जो बैटन लेकर दौड़ेंगे। लेकिन इस सूची में बहुत ज्यादा कटौती करनी पड़ रही है क्योंकि दिल्ली ने राजधानी के लिए सिर्फ ५० धावकों का कोटा मिला है। दिल्ली से मिले कोटे के बाद धावकों की सूची में कटौती करने के लिए एक बैठक का आयोजन जिलाधीश की अध्यक्षता में २३ जून को किया गया था। पर इस बैठक में कोई फैसला नहीं हो सका। बैठक में आए खेल संघों के पदाधिकारियों में इस बात को लेकर भारी नाराजगी भी रही कि जब धावकों की सूची को अंतिम रूप देना ही नहीं था तो हम लोगों को क्यों बुलाया गया। इसी के साथ खेल संघों के पदाधिकारी इस बात को लेकर भी नाखुश थे कि जिलाधीश की बैठक में उनको कोई पूछने वाला नहीं था। जिलाधीश ने तो किसी भी खेल संघ के पदाधिकारी से बात भी नहीं की। ऐसे में सबका कहना था कि जब हम लोगों से कोई बात ही नहीं करनी थी तो हमें बुलाया क्यों गया। बैठक में जिलाधीश ने ऐसे विभागों के अधिकारियों को ही बुलाकर बात की जिनको काम का जिम्मा देना था।
बहरहाल इस बैठक में कोई फैसला न होने के बाद यह तय किया गया कि अब इस सूची को अंतिम रूप देने का काम राज्य स्तरीय समिति की बैठक में २८ जून को किया जाएगा। इस बैठक की अध्यक्षता खेलमंत्री लता उसेंडी करेंगी और उनकी सहमति से ही धावकों की अंतिम सूची रूप दिया जाएगा। वैसे खेल संचालक जीपी सिंह ने तो गेंद खेल संघों के पाले में डालने का काम किया है और उनका कहना है कि खेल संघों के पदाधिकारी ही तय करेंगे कि किन खिलाडिय़ों को रखना है। अब यह बात तो तय है कि महज ५० धावकों के कोटे में खिलाडिय़ों के हाथ २५ से ३० स्थान ही आने वाले हैं बाकी स्थान वीआईपी और अन्य वर्गों के लिए रहेंगे। अब किनको कितना कोटा दिया जाता है, इसका राज २८ जून को खुलेगा और इसी दिन तय होगा कि किन नामों बाहर करने का फैसला किया जाता है। इतने कम कोटे के बाद यह माना जा रहा है कि खेल संघां के पदाधिकारियों के साथ जूनियर खिलाडिय़ों और खेल विभूति सम्मान पाने वालों को मौका मिलने वाला नहीं है।

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