मंगलवार, 23 मार्च 2010

राजधानी में भी हो एक घास वाला मैदान


श्रीलंका में एशियन फुटबॉल कप (अंडर १४ साल) में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय टीम से खेलकर लौटी रायपुर की सुप्रिया कुकरेती और निकिता स्विसपन्ना का कहना है कि अगर राजधानी रायपुर में भी फुटबॉल के लिए एक घास वाला मैदान हो तो यहां से और ज्यादा खिलाड़ी भारतीय टीम में शामिल हो सकती हैं। दोनो खिलाड़ी सब जूनियर टीम से खेलकर इतनी ज्यादा उत्साहित हैं कि अब उनकी नजरें अंडर १७ साल की जूनियर भारतीय टीम पर हैं। इनका कहना है कि हम अभी से इसकी तैयारी में जुट गई हैं।

यहां पर शेरा क्लब में चर्चा करते हुए दोनों खिलाडिय़ों ने कहा कि हमें श्रीलंका में जिस मैदान पर खेलने का मौका मिला वैसे मैदान की हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी। हमें लगता है कि काश ऐसा ही एक मैदान अपनी राजधानी में भी होता तो जरूर हम जैसी और खिलाडिय़ों को भारतीय टीम से खेलने का मौका मिल जाता। इन्होंने पूछने पर बताया कि एक तो हम लोगों ने रायपुर में जो मेहनत की थी, उसके बाद तिरूअंतपुरम में भारतीय टीम के प्रशिक्षण शिविर में हमारी कोच अनिता सरकार ने हम सभी खिलाडिय़ों से जो मेहनत करवाई उसी का नतीजा रहा कि हमारी टीम ने श्रीलंका में स्वर्ण पदक जीता। इन्होंने बताया कि एक जार्डन की टीम ही ऐसी रही जिसके साथ हमने गोलरहित ड्रा खेला। इसके अलावा हमने मेजबान श्रीलंका को १-०, ईरान को २-० और भूटान को ११-२ से मात दी। इन मैचों में जहां सुप्रिया ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए आधा दर्जन गोल दागे, वहीं गोलकीपर निकिता ने एक दर्जन से ज्यादा गोल बचाकर अपनी टीम को स्वर्ण पदक तक पहुंचाने में मदद की।

एक सवाल के जवाब में दोनों खिलाडिय़ों ने कहा कि अब हमारी नजरें जहां सबसे पहले अंडर १७ साल की जूनियर भारतीय टीम पर हैं, वहीं हम सीनियर टीम से भी खेलने का सपना देखती हैं। इसके लिए हमें जितनी मेहनत करनी पड़ेगी हम करेंगी। अपनी सफलता का पहला Ÿोय अपनी कोच सरिता कुजूर के साथ कोच मुश्ताक अली प्रधान को देते हुए दोनों खिलाड़ी कहती हैं कि जहां हमें होलीक्रास कांपा स्कूल में सरिता कुजूर प्रशिक्षण देकर निखाारती हैं, वहीं शेरा क्लब के सप्रे स्कूल के मैदान में हमें मुश्ताक अली से फुटबॉल के विशेष गुर सीखने का मौका मिलता है।

सुप्रिया कुरकेती एवं निकिता स्विसपन्ना ने कहा है कि हमें पहले ही भरोसा था कि हमारा चयन जरूर टीम में हो जाएगा और हमारा चयन ही नहीं हुआ बल्कि हमारी टीम ने स्वर्ण पदक भी जीता। सुप्रिया तीन साल से फुटबॉल खेल रही हैं और अब तक चार राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। पहली बार वहां २००७ में भुवनेश्वर में खेली थीं, इसके बाद अगले साल २००८ में वह फिर अंडर १३ की राष्ट्रीय स्पर्र्धां में खेलीं। २००९ में राष्ट्रीय स्कूली स्पर्धा और इस साल चेन्नई में वह राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलीं तो इसी स्पर्धा में प्रदर्शन के आधार पर उनका चयन पहले भारत की संभावित टीम में फिर अंतिम टीम में हो गया था। निकिता को अभी एक साल भी नहीं हुआ है खेलते। इस एक साल में वह राष्ट्रीय स्कूली खेलों के साथ चेन्नई की राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलीं और भारत की संभावित टीम में शामिल हो गर्इं थी। इसके बाद उनके खेल ने उनको श्रीलंका में खेली टीम में स्थान दिा दिया था। यह दोनों खिलाड़ी अभी १२ साल की हैं।

लड़कों के साथ मैच का मिला फायदा

सुप्रिया और निकिता की सफलता पर मुश्ताक अली प्रधान कहते हैं कि इसमें कोई दो मत नहीं है कि शेरा क्लब के प्रशिक्षण शिविर में लड़कियों को लड़कों के साथ जो मैच खिलाया जाता था, उससे लड़कियों का हौसला बढ़ा और इन्होंने भारतीय टीम में स्थान बनाने का काम किया। वे कहते हैं कि यह सफलता जिला फुटबॉल संघ की सबसे बड़ी सफलता है क्योंकि इसके पहले मप्र के रहते भी मप्र की किसी खिलाड़ी का चयन भारतीय टीम में नहीं हुआ था, ऐसे में यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने बताया कि दोनों खिलाड़ी सप्रे स्कूल के मैदान में नियमित अभ्यास करती हैं। इन खिलाडिय़ों को उनके साथ एनआईएस कोच सरिता कुजूर भी प्रशिक्षण देती हैं। जिला फुटबॉल संघ के दिवाकर थिटे ने भी कहा कि इन खिलाडिय़ों की सफलता अब राजधानी ही नहीं बल्कि प्रदेश की सभी बालिका खिलाडिय़ों के लिए प्रेरणा का काम करेगी और ज्यादा से ज्यादा लड़कियों फुटबॉल से जुड़ेंगी।

लड़कियों में फुटबॉल का क्रेज बढ़ेगा

दोनों खिलाडिय़ों की कोच सरिता कुजूर कहती हैं कि अब इसमें कोई दो मत नहीं है कि हमारे मैदान की दो खिलाड़ी भारतीय टीम से खेली हैं तो राजधानी में ही नहीं बल्कि प्रदेश में लड़कियों में फुटबॉल का क्रेज बढ़ेगा। प्रदेश में महिला फुटबॉल खिलाडिय़ों की कमी रही है जो इन खिलाडिय़ों के भारतीय टीम से खेलने से अब नहीं रहेगी और दूसरी लड़कियों भी जरूर इनसे प्रेरणा लेकर फुटबॉल से जुड़ेंगी। सरिता कहती हैं कि उनको अपनी इन खिलाडिय़ों पर गर्व है। उन्होंने कहा कि मैंने भी अपनी खिलाडिय़ों के साथ इनके प्रशिक्षण शिविर में जाने से पहले कहा था कि जरूर दोनों भारतीय टीम में स्थान बना लेंगी और इन्होंने ऐसा करके अपने राज्य का नाम रौशन किया है। अब आगे भी जरूर ये खिलाड़ी जूनियर टीम में स्थान बनाने में सफल होंगी। उन्होंने पूछने पर बताया कि इसके पहले हमारे मैदान की तीन खिलाडिय़ों ज्योति पांडे, कंचन विभार और अभिलाषा मसीह का चयन भी भारतीय टीम में हुआ था, लेकिन इनका पासपोर्ट न बन पाने के कारण ये खिलाड़ी खेलने नहीं जा पाई थी। इन्होंने बताया कि पिछले साल भी हमारे मैदान की एक खिलाड़ी वंदना ध्रुव का चयन संभावित टीम में हुआ था, लेकिन उनको अंतिम टीम में स्थान नहीं मिल पाया था। आने वाले साल में जरूर और ज्यादा खिलाड़ी भारतीय में स्थन बनाने में सफल होंगी।
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1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

अनेक शुभकामनाएँ.

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