सोमवार, 6 सितंबर 2010

पंकज विक्रम पुरस्कार के नियमों में भी विसंगतियां

प्रदेश के खेल विभाग द्वारा दिए जाने वाले राज्य के खेल पुरस्कारों के नियमों को लेकर लगातार यह बात सामने आ रही है कि नियमों में कई तरह की विसंगतियां हैं। अब यह बात सामने आई है कि शहीद पंकज विक्रम पुरस्कार के नियम भी स्पष्ट न होने की वजह से एक पात्र खिलाड़ी को पुरस्कार से वंचित होना पड़ा है। वैसे को अब पुरस्कार दिए जा चुके हैं, लेकिन इस खेल से जुड़े लोगों का कहना है कि ऐसी गलती भविष्य में न हो इसके लिए नियमों को स्पष्ट करना चाहिए। वैसे तो नियमों की विसंगतियों को दूर करने की बात खेलमंत्री लता उसेंडी के साथ खेल संचालक जीपी सिंह भी कर चुके हैं।
खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा दिए जाने वाले खेल पुरस्कारों के नियमों को लेकर लगातार यह बातें सामने आ रही हैं कि इनके नियमों में बहुत खामियां हैं। शहीद पंकज विक्रम पुरस्कार के नियमों की खामियां भी सामने आई हैं। यह पुरस्कार ऐसे खेलों के खिलाडिय़ों को दिया जाता है जिन खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर पदक नहीं मिल पाता है। इसके लिए यह तय किया गया है कि सीनियर वर्ग में जो खिलाड़ी किसी भी खेल में लगातार पांच साल तक राज्य से खेल हैं, वहीं खिलाड़ी इसके लिए पात्र होंगे। खिलाडिय़ों का चयन पुरस्कार के लिए करने के लिए संबंधित खेलों के राज्य खेल संघों को एक चयन समिति बनाकर खिलाडिय़ों के नाम खेल विभाग को भेजने होते हैं। नियम के तहत खेल संघों को अपने खेल के दो महिला और दो पुरुष खिलाडिय़ों के नाम ही भेजने कहा गया है। ज्यादा नाम भेजने की स्थिति में नियमानुसार किसी भी नाम पर विचार न करने की बात नियमों में कही गई है। इसी के साथ खेल संघों को ही यह अधिकारी दिया गया है कि वहीं तय करेंगे कि कौन सा खिलाड़ी उनके खेल में सर्वश्रेष्ठ है।
क्या है नियमों में खामियां
शहीद पकंज विक्रम पुरस्कार के नियम में एक सबसे बड़ी खामी इस बार यह सामने आई है कि जब एक ही खेल में दो खिलाड़ी सम्मान रूप से पांच साल तक खेले हुए होते हैं तो इन खिलाडिय़ों में से किसे पात्र माना जाएगा, इसका उल्लेख कहीं नहीं है। इस बार फुटबॉल में यही बात सामने आई कि दो नहीं बल्कि चार खिलाड़ी पांच साल खेलीं थीं। एक तो खेल संघ ने दो के स्थान पर चार खिलाडिय़ों के नामों की अनुशंसा करके गलत किया था। नियमों को देखते हुए इस खेल के किसी भी खिलाड़ी के नाम पर विचार नहीं होना चाहिए था, लेकिन नामों पर विचार किया गया तो पहले दो नामों पर विचार किया जाता, लेकिन पुरस्कार चयन समिति ने पहले से लेकर तीसरे नाम पर विचार करने की बजाए चौथे नंबर की खिलाड़ी को पात्र मान लिया।। जिन चार खिलाडिय़ों के नाम की अनुशंसा खेल संघ ने की थी वह अनुशंसा खिलाडिय़ों के सीनियर होने के हिसाब से की गई थी। लेकिन इस पर ध्यान न देते हुए समिति ने अपनी मर्जी से फैसला दे दिया और पुरस्कार के लिए उस खिलाड़ी का नाम तय कर दिया जो पांच बार सीनियर राष्ट्रीय स्पर्धा में खेली है जबकि छह बार सीनियर राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलने वाली खिलाड़ी को पात्र नहीं माना गया। इसी के साथ खेल संघ के हिसाब से तय की गई सीनियर खिलाडिय़ों के नाम पर भी विचार नहीं किया गया। फुटबॉल से जुड़े जानकारों का साफ कहना है कि जब संघ ने सीनियरों के हिसाब से नाम भेजे थे तो उसी क्रम से नामों पर विचार किया जाना था। लेकिन चयन समिति ने ऐसा न करके न जाने क्या सोचकर फैसला किया है।

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