बुधवार, 15 सितंबर 2010

खेल विभाग का साहसिक कदम

प्रदेश के खेल विभाग ने छत्तीसगढ़ भारोत्तोलन संघ की मान्यता समाप्त करने का जो फैसला किया है, उस फैसले को खेल बिरादरी से जुड़े लोग साहसिक कदम बता रहे हैं। सबका कहना है कि छत्तीसगढ़ की मेजबानी में आगे राष्ट्रीय खेल होने हैं, ऐसे में अगर खेल संघों पर लगाम नहीं लगाई गई तो राज्य में सिद्धार्थ मिश्रा जैसे कई मामले सामने आ जाएंगे और ऐसे मामलों में होगा यह कि सभी गलती हो गई, कहते हुए क्षमा मांगने का काम करेंगे। जिस तरह से प्रदेश भारोत्तोलन संघ ने खेल विभाग के साथ मीडिया को लगातार गुमराह किया था उसके लिए यही एक सजा थी कि उसकी मान्यता रद्द की जाती और ऐसा खेल विभाग ने करके बता दिया है कि राज्य और राज्य के खेल पुरस्कारों के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
खेल विभाग ने छत्तीसगढ़ भारोत्तोलन संघ की शाम को जैसे ही मान्यता रद्द करने की घोषणा की। यह खबर आग की तरह प्रदेश की खेल बिरादरी में फैल गई कि भारोत्तोलन संघ की मान्यता समाप्त हो गई है। विभाग के इस कदम की चौरतफा तारीफ हो रही है। खेल संघों से जुड़े पदाधिकारी इस कदम को साहसिक कदम मान रहे हैं। खिलाडिय़ों में इस बात को लेकर खुशी है कि खेल विभाग से खेल संघों की दादागिरी पर एक तरह से विराम लगाने का काम किया है। इसके पहले हमेशा खेल संघ खिलाडिय़ों के साथ अन्याय करते रहे हैं और खिलाडिय़ों को हमेशा चुप रहना पड़ता था।
उचित फैसला: गुरूचरण
खेल विभाग के कदम पर प्रदेश ओलंपिक संघ के वरिष्ठ उपाध्यक्ष गुरूचरण सिंह होरा ने कहा कि खेल विभाग का फैसला बिलकुल उचित है। उन्होंने कहा कि अपने राज्य की मेजबानी में ३७वें राष्ट्रीय खेल होने हैं। ऐसे में यह जरूरी है कि खेल संघों पर लगाम रहे। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ के अध्यक्ष इस समय मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह हैं। उनकी अगुवाई में खेल संघों को अच्छा काम करके राज्य का नाम रौशन करना है, न कि इस तरह का काम करना है जिससे राज्य की बदनामी हो। उन्होंने कहा कि भारोत्तोलन संघ के पदाधिकारियों को तो पहले ही इस्तीफा देकर संघ की कमान नए लोगों के हाथों में दे देनी थी। अगर ऐसा किया जाता तो संघ की मान्यता रद्द होने की नौबात ही नहीं आती।
खेल संघों की मनमर्जी पर विराम लगेगा
प्रदेश भारोत्तोलन संघ की महिला विग की पूर्व अध्यक्ष गुरमीत धनई ने कहा कि वास्तव में खेल विभाग का फैसला ऐसा है जिसने यह बताया है कि अब राज्य में खेल संघों की मनमर्जी नहीं चलने वाली है। इसके पहले खेल संघ अपनी मनमर्जी करते हुए खिलाडिय़ों के साथ लगातार खिलवाड़ करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि वह इस सारे मामले की जानकारी खुद १८ सितंबर को दिल्ली में भारतीय भारोत्तोलन संघ के अध्यक्ष और सचिव के साथ भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष सुरेश कलमाड़ी को देंगी। उन्होंने कहा कि भारतीय भारोत्तोलन संघ को तत्काल अपना पर्यवेक्षक भेजकर छत्तीसगढ़ में संघ के नए चुनाव करवाने चाहिए ताकि खिलाडिय़ों का नुकसान न हो।
खिलाडिय़ों का नुकसान न हो: संजय
वीर हनुमान सिंह पुरस्कार प्राप्त और अंतरराष्ट्रीय निर्णायक संजय शर्मा ने कहा कि खेल विभाग का कदम सराहनीय है, लेकिन विभाग को इस बात का खास ध्यान रखना होगा कि जब तक दूसरा संघ न बनें तब तक कम से एक एडॉक बाडी बनाई जाए ताकि राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेलने जाने वाले खिलाडिय़ों को खेल विभाग से मिलने वाली मदद मिलती रही।
खेल संघों के लिए सबक:अजय
प्रदेश कराते के सचिव और कोच अजय साहू का कहना है कि यह राज्य के खेल संघों के लिए एक सबक है कि गलत काम करने का नतीजा अच्छा नहीं होता है। अगर आज खेल विभाग ने प्रदेश भारोत्तोलन संघ को माफ कर दिया होता तो इसका पूरे खेल संघों के बीच में गलत संदेश जाता कि खेल विभाग कड़ाई करने का साहस नहीं दिखा सकता है।
जरूरी थी कड़ाई: मुश्ताक
फुटबॉल के कोच मुश्ताक अली प्रधान का कहना है कि यह कड़ाई तो जरूरी थी। अपने राज्य में राष्ट्रीय खेल होने हैं। अगर अभी से खेल संघ कड़ाई का रूख नहीं दिखाएगा तो अपनी मेजबानी में होने वाले राष्ट्रीय खेलों में न जाने खेल संघों की कितनी दादगिरी चलेगी।

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