शनिवार, 18 सितंबर 2010

पायका का खेल, अब होगा फेल

पंचायत युवा क्रीड़ा और खेल अभियान (पायका) के लिए केन्द्र सरकार द्वारा जारी किए गए निर्देशों की जानकारी होने पर राज्य के खेल अधिकारी परेशान हो गए हैं। इसका एक स्वर में ऐसा मानना है कि नए निर्देशों से पायका में ख्रेलों का आयोजन जिला स्तर पर संभव नहीं हो सकेगा। कम से कम आधे खेलों में टीमें नहीं बन पाएंगी और पायका का खेल एक तरह से फेल हो जाएगा। नए निर्देशों में जिला स्तर पर ८ टीमों का होना आनिवार्य है। एक तो प्रदेश के १८ जिलों में से सात जिले ऐसे हैं जिनमें ८ विकासखंड ही नहीं हैं तो ऐसे में ८ टीमें कहां से आएंगी। दूसरे यह कि जिन जिलों में इससे ज्यादा विकासखंड हैं उन जिलों में भी कई खेल ऐसे हैं जिन खेलों की ८ टीमें बनना संभव नहीं हैं, ऐसा खेल अधिकारियों का कहना है।
शुक्रवार को जब खेल भवन में प्रदेश के १८ जिलों की खेल अधिकारियों की बैठक खेल संचालक जीपी सिंह ने ली तो खेल अधिकारियों को यह मालूम हुआ कि केन्द्रीय खेल मंत्रालय ने ये निर्देश जारी किए हैं कि जिला स्तर पर जिन भी खेलों की स्पर्धाएं होंगी उनमें कम से कम ८ टीमों का होना अनिवार्य है। इस अनिवार्यता ने अब यह परेशानी खड़ी कर दी है कि राज्य में पायका का खेल फेल होता नजर आ रहा है। प्रदेश के १८ जिलों में से सात जिलों में ८ विकासखंड हैं ही नहीं। बीजापुर, धमतरी, कबीरधाम में चार-चार, कोरबा, कोरिया एवं महासमुन्द में पांच-पांच और नारायणपुर में तो दो ही विकासखंड हैं। ऐसे में इन जिलों से कैसे किसी भी खेल के लिए आठ टीमें आ सकती हैं।
इन खेलों में होगी परेशानी
खेल अधिकारियों ने बैठक के बाद हरिभूमि के सामने चिंता जताते हुए कहा कि अगर केन्द्र सरकार ने अपने निर्देश को जारी रखा तो यह बात तय है कि पायका के लिए जिन दस खेलों का चयन किया गया है उनमें से आधे खेलों की स्पर्धाओं का हो पाना संभव नहीं होगा। खेल अधिकारियों का साफ कहना है कि राष्ट्रीय खेल हॉकी में किसी भी जिले से ८ टीमों का बन पाना संभव नहीं है। इसी तरह से हैंडबॉल, कुश्ती, भारोत्तोलन और एथलेटिक्स में भी ८ टीमें नहीं बन पाएंगी। ब्लाक स्तर पर पांच खेल एथलेटिक्स, वालीबॉल, कबड्डी, खो-खो और फुटबॉल होने हैं। इन खेलों में एक बार ८-८ टीमें किसी तरह से बन भी जाएंगी, लेकिन जिन पांच खेलों कुश्ती, हॉकी, हैंडबॉल, भारोत्तोलन और तीरंदाजी की टीमें सीधे जिला स्तर पर खेलने भेजनी हैं उनकी टीमें बन पाना संभव नहीं है। केन्द्र सरकार के नए निर्देशों से प्रदेश के सात जिले को वैसे ही अलग हो जाएंगे।
एक ब्लाक से दो टीमें बनाएं
इस मामले में खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि एक ब्लाक से दो से तीन टीमें भी बनाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि अब केन्द्र सरकार ने निर्देश जारी किए हैं तो उनका पालन तो करना ही पड़ेगा। इधर खेल संचालक के तर्क पर खेल अधिकारी कहते हैं कि जब एक ब्लाक से कई खेलों में एक ही टीम का बनना संभव नजर नहीं आता है तो फिर कैसे एक ब्लाक से दो या तीन टीमें बनाई जा सकती हैं। खेल अधिकारियों की बातों को मानें तो यह बात तय है कि अपने राज्य में अब पायका का खेल फेल होता नजर आ रहा है।
पायका का खेल कैंलेडर तैयार
खेल भवन में हुई बैठक के बारे में खेल संचालक जीपी सिंह ने बताया कि सभी जिलों से पायका की उन जानकारियों को मंगाया गया जो अब तक नहीं दी गई थी। बैठक में सभी खेल अधिकारियों को खेल कैलेंडर के बारे में जानकारी दी गई। इस कैलेंडर के मुताबिक ब्लाक स्तर की स्पर्धा अक्टूबर के प्रथम सप्ताह तक और जिला स्तर की अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक पूरी करनी हैं। श्री सिंह ने बताया कि पायका में नेहरू युवा केन्द्र के साथ यूनीसेफ की भी मदद ली जाएगी। बैठक में यूनीसेफ की प्रनितिधि प्रियंका चतुर्वेदी भी शामिल हुई। उन्होंने यह जानना चाहा कि पायका में यूनीसेफ से किस तरह की मदद की उम्मीद की जा रही है। यूनीसेफ हर तरह की मदद करने के लिए हमेशा तैयार है।

कोई टिप्पणी नहीं:

हिन्दी में लिखें

खेलगढ़ Headline Animator

खेलगढ़ की चर्चा हिन्दुस्तान में