गुरुवार, 26 अगस्त 2010

पुरस्कार की हकदार तो मैं हूं


राज्य के खेल पुरस्कारों की सूची में मैं अपना नाम न देखकर चकित रह गई कि यह कैसे हो गया। सबसे ज्यादा आश्चर्य मुङो इस बात का हुआ कि जिस खिलाड़ी को डोप टेस्ट में दोषी पाया गया था, उसे पुरस्कार के लिए चुना गया था। ऐसे में मैं रात भर नहीं सो पाई और सुबह होते ही अपने पापा जो कि मेरे कोच भी हैं उनके साथ यहां खेल विभाग आई हूं ताकि मैं अपना दावा पेश कर सकूं और यह जान सकूं कि आखिर मुङो पुरस्कार के लायक क्यों नहीं समझा गया।
ये बातें यहां पर अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलक जूनियर विश्व कप में खेलने वाली दल्ली राजहरा की खिलाड़ी अनिता शिंदे ने कहीं। उन्होंने सुबह को हमें फोन करके बताया कि वह खेल भवन में हैं और हमसे मिलना चाहती है। हम वहां गए तो उन्होंने खेल भवन में सुबह को सारी बात बताई कि उन्हें पात्र होने के बाद भी कैसे पुरस्कार से वंचित किया गया है। बकौल अनिता शिंदे जहां उनके नाम दल्ली राजहरा में पिछले साल १७ से २० सितंबर तक हुई राष्ट्रीय चैंपियनशिप में रजत पदक है, वहीं उन्होंने पिछले साल भारतीय टीम से जूनियर विश्व कप में रोमानिया में हिस्सा लिया था। यह स्पर्धा वहां पर १२ से २१ जून तक हुई थी। इस स्पर्धा में खेलने के कारण उनको उम्मीद थी कि उनको ही शहीद कौशल यादव पुरस्कार मिलेगा।
आज जब अनिता शिंदे ने अपने पापा और कोच उत्तम शिंदे के साथ खेल संचालक जीपी सिंह ने बात की तो यह बात सामने आई कि अनिता शिंदे को विश्व कप में खेलने का जो प्रमाणपत्र मिला है उससे जूरी के सदस्य समङा ही नहीं पाए। खेल संचालक जीपी सिंह का कहना है कि जूरी के एक सदस्य ने समिति के सामने यह बात रखी कि प्रमाणपत्र में अंतरराष्ट्रीय भारोत्तोलन फेडरेशन के अध्यक्ष का नाम तो लिखा है, पर उनके हस्ताक्षर नहीं हैं। ऐसे में इसके बारे में जानकारी लेने के लिए प्रदेश संघ के सचिव सुखलाल जंघेल से बात की गई तो उन्होंने जूरी को बताया भी कि विश्व कप में भागीदारी करने वाले खिलाडिय़ों के प्रमाणपत्रों में हस्ताक्षर नहीं किए जाते हैं। इतना सब जानने के बाद भी जूरी ने यह नहीं माना कि यह खिलाड़ी विश्व कप में खेली हैं और इनको दावेदारों से अलग करके राष्ट्रीय स्पर्धा में स्वर्ण जीतने वाले डोपिंग में दोषी पाए गए खिलाड़ी सिद्धार्थ मिश्रा का नाम पुरस्कार के लिए चुन लिया गया। तब जूरी को जरूर यह बात मालूम नहीं थी कि श्री मिश्रा डोप टेस्ट में दोषी पाए गए हैं।
आज अनिता शिंदे ने भी खेल संचालक के सामने यह बात रखी कि श्री मिश्रा तो डोप टेस्ट में दोषी पाए गए हैं तो फिर उनको पुरस्कार कैसे दे दिया गया। इसके बाद खेल संचालक सक्रिय हुए और उन्होंने इस सारे मामले में जांच प्रारंभ की।
मैंने भी दिया है कई बार डोप टेस्ट
अनिता शिंदे ने एक सवाल के जवाब में बताया कि अक्सर खिलाडिय़ों को डोप टेस्ट से गुजरना पड़ता है। उन्होंने बताया कि मैंने १० से १२ बार खुद डोप टेस्ट दिया है, पर मैंने कभी किसी भी प्रतिबंधित दवा का सेवन ही नहीं किया है। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय संस्था वाडा के सामने भी एक बार डोप टेस्ट दिया है। उन्होंने कहा कि खिलाडिय़ों को ऐसी दवाएं खानी ही नहीं चाहिए जो प्रतिबंधित हैं।
राष्ट्रीय फेडरेशन के सचिव से की बात
खेल संचालक जीपी सिंह ने मामले की गंभीरता को समङाते हुए राष्ट्रीय फेडरेशन के सचिव सहदेव यादव से बात की और उनसे जहां सिद्धार्थ मिश्रा वाले डोपिंग के मामले में जानकारी मंगवाई, वहीं अनिता शिंदे के बारे में एक पत्र मंगवाया है कि वह विश्व कप में खेली हैं। इन पत्रों को उन्होंने शासन को भेज दिया है अब इन पत्रों के आधार पर पुरस्कार का नए सिरे से फैसला होगा।
खेलमंत्री-खेल सचिव को दी जानकारी
इस सारे मामले की खेल संचालक जीपी सिंह ने सुबह को खेलमंत्री लता उसेंडी के साथ खेल सचिव सुब्रत साहू को जानकारी दी और उनको बताया कि कैसे प्रदेश के भारोत्तोलन संघ ने खेल विभाग को अंधेरे में रखते हुए एक गलत फैसला करवा दिया है।
प्रदेश संघ की मान्यता पर खतरा
खेल संचालक जीपी सिंह ने पूछने पर कहा कि इस मामले की गंभीरता को देखते हुए खेल विभाग प्रदेश संघ के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेगा। उन्होंने कहा कि जरूरत पड़ी तो प्रदेश संघ की मान्यता भी समाप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि ऐसा कुछ जरूर किया जाएगा ताकि भविष्य में कोई भी खेल संघ इस तरह की हरकत न कर सके। उन्होंने कहा कि हमारा विभाग राष्ट्रीय फेडरेशन को एक पत्र भेजेगा कि खेल विभाग को अंधेरे में रखने वाले संघ के पदाधिकारियों को हटाकर दूसरों को संघ दिया जाए ताकि खिलाडिय़ों का नुकसान न हो। उन्होंने पूछने पर कहा कि अब विभाग हर खेल के राष्ट्रीय फेडरेशनों को एक पत्र भेज रहा है कि किसी भी खेल में डोप टेस्ट या फिर अन्य किसी भी विवाद के कारण खिलाड़ी पर जुर्माना लगाने या फिर प्रतिबंध लगाने का काम किया जाता है तो इसके बारे में खेल विभाग के पास भी एक पत्र जरूर भेजा जाए। ऐसा होने से ही आगे कोई गलती नहीं होगी।


राजतंत्र में देखें -डोपिंग के दोषी को अवार्ड

1 टिप्पणी:

Udan Tashtari ने कहा…

जरुर भेजा जाना चाहिये.

हिन्दी में लिखें

खेलगढ़ Headline Animator

खेलगढ़ की चर्चा हिन्दुस्तान में