शुक्रवार, 13 अगस्त 2010

बैटन में लगी है छत्तीसगढ़ की भी मिट्टी

छत्तीसगढ़ में जोशीले स्वागत से अभिभुत रिले दल की संयोजिका अलका लांबा का कहना है कि बैटन के बारे में लोगों में बहुत ज्यादा गलतफहमी है। मैं बता दूं कि इस बैटन में छत्तीसगढ़ की भी मिट्टी शामिल हैं। बैटन का निर्माण भी भारत में हुआ है और इसमें सभी राज्यों की मिट्टी का लेप लगाया गया है।
ये बातें यहां पर प्रेस से मिलिए कार्यक्रम में कहते हुए सुश्री लांबा ने बताया कि बैटन को लेकर गलतफहमी फैलाने वालों को मैं बता देना चाहती हूं कि बैटन का निर्माण भारतीय कारीगरों द्वारा हिन्दुस्तान के सभी राज्यों की मिट्टी से किया गया है, जिसमें देश की माटी की खुशबू आती है। बैटन ७० देशों की यात्रा के बाद छत्तीसगढ़ पहुंची है। इस बैटन की खासियत यह है कि यह जब भारत में है तो इसमें तिरंगे का रंग दिखा रहा है। यह बैटन जिस भी देश में गई है वहां का ङांडे के रंग इसमें दिखे हैं। उन्होंने बताया कि वह बैटन के साथ भारत के पहले सात और देशों की यात्रा करके आई ंहैं बैटन के साथ। उन्होंने कहा कि बैटन का जिस तरह से देश के कई राज्यों में विरोध किया गया वह गलत है। उन्होंने बताया कि कई राज्यों में बैटन को भगवान की तरह भी पूजा गया।
एक सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में जैसा स्वागत किया गया है, वह लाजवाब और अद्भूत है। उन्होंने बताया कि यहां आने से पहले उनको मालूम नहीं था कि सुआ नृत्य क्या होता है। छत्तीसगढ़ की अपनी एक अलग संस्कृति है।
रिले के कमांडर वीएन सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ जो प्यार और सम्मान मिला है उसको हमारा रिले दस कभी नहीं भूल सकता है। उन्होंने बताया कि इस रिले का एक मकसद है कि अपना भारत हरित भारत हो इसी संदेश के साथ बैटन रिले का आयोजन हर राज्य में हो रहा है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण के प्रति जागरुकता जरूरी है। इसके पहले बैटन रिले दल का छत्तीसगढ़ खेल पत्रकार संघ के साथ प्रेस क्लब परिवार से स्वागत किया। इस अवसर पर खेलमंत्री लता उसेंडी भी उपस्थित थीं।

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