गुरुवार, 5 अगस्त 2010

प्रशिक्षकों का टोटा होगा छोटा

प्रशिक्षकों की कमी से जूङा रहे प्रदेश के खिलाडिय़ों को भी जल्द हर खेल के प्रशिक्षक मिल सकेंगे। खेल विभाग ने बड़े पैमाने पर मप्र की तर्ज पर ही सरकार को प्रशिक्षकों की भर्ती करने का एक प्रस्ताव बनाकर काफी पहले भेजा है। इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलते ही राज्य में प्रशिक्षकों का टोटा जरूर छोटा हो जाएगा।
राज्य में इस समय खेल विभाग के पास महज तीन प्रशिक्षक ही हैं। खेल विभाग में ही पिछले दो साल से १५ प्रशिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। इन पदों को भरने के लिए खेल विभाग प्रयासरत तो है, पर उसको सरकार से मंजूरी नहीं मिल पा रही है। खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि विभाग ने न केबल विभाग में खाली पदों के लिए बल्कि एक बड़ी योजना बनाकर सरकार के पास भेजी है। इस योजना को मंजूरी मिल गई तो राज्य में किसी भी खेल के प्रशिक्षक की कमी नहीं रहेगी। उन्होंने पूछने पर बताया कि मप्र में जिस तरह से १२०० प्रशिक्षकों की भर्ती की गई है, ठीक उस तरह से हमारा विभाग भी चाहता है कि राज्य के हर जिले के साथ गांवों में भी प्रशिक्षक हों। हमारी योजना में भी एनआईएस के साथ बीपीएड और एमपीएड करने वालों को प्राथमिकता दी गई हैं। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि मप्र में एक साथ थोक में १२०० प्रशिक्षकों को रखा गया है। मप्र में एनआईएस करने वाले प्रशिक्षकों को नौ हजार रुपए, बीपीएड और एमपीएड करने वालों को प्रशिक्षक के रूप में सात हजार, अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों को कोच की सेवाएं देने पर सात हजार, राष्ट्रीय खिलाडिय़ों को कोच नियुक्त करने पर पांच हजार और ग्रामीण क्षेत्र में प्रशिक्षण देने वालों को दो हजार की राशि वेतन के रूप में खेल विभाग दे रहा है। मप्र में इतने ज्यादा प्रशिक्षक होने के कारण वहां खेलों का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। छत्तीसगढ़ में प्रशिक्षकों के टोटे के कारण यहां के खिलाडिय़ों को हमेशा परेशानी का सामना करना पड़ा। लेकिन अब खेल विभाग इस दिशा में गंभीरता दिखाने का काम करने वाला है। ऐसे में खिलाडिय़ों की परेशानी कम हो जाएगी।

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