शनिवार, 28 नवंबर 2009

शहरी कॉलेजों में वालीबॉल का क्रेज नहीं

प्रदेश की राजधानी रायपुर के कॉलेजों में वालीबॉल का क्रेज ही नहीं है। यह बात एक फिर तब सामने आई जब यहां पर अंतर कॉलेज महिला स्पर्धा का आयोजन किया गया। इस स्पर्धा में ६ टीमों ने ही शिरकत की। इसके पीछे का कारण कॉलेजों के खेल अधिकारियों का खेलों की तरफ ध्यान न देना बताया जा रहा है।

मलेरिया मैदान में आयोजित रायपुर सेक्टर अंतर कॉलेज महिला वालीबॉल में खेलने के लिए रायपुर सेक्टर के ५० से ज्यादा कॉलेजों में से महज छह कॉलेजों महंत लक्ष्मी नारायण, डागा कालेज, साइंस, नवीन, अग्रसेन एवं डिग्री गल्र्स कॉलेज की टीमें ही आईं। इतनी कम टीमें क्यों आई इसके बारे में मालूम करने पर पता चला कि ज्यादातर कॉलेजों के खेल अधिकारियों को टीमें बनाने में रूचि ही नहीं रहती है। जिनका खेलों से करीबी रिश्ता है ऐसे खेल अधिकारी दूसरे खेलों की खिलाडिय़ों को लेकर भी टीमें बनाकर स्पर्धा में लाते हैं। जिन कॉलेजों की टीमें खेलने आई थीं उसमें से हर टीम में वालीबॉल के साथ हॉकी, नेटबॉल, कबड्डी, बास्केटबॉल के साथ और कई खेलों से जुड़ी खिलाड़ी थीं। इन खिलाडिय़ों को मनाकर खेल अधिकारी टीमें बनाकर लाए।

खेल अधिकारी टीमें बनाने के प्रति कितने लापरवाह रहते हैं उसका एक नूमना मैदान में यह भी देखने को मिला कि एक कॉलेज के खेल अधिकारी से आयोजकों ने जब फोन करके पूछा कि उनके कॉलेज की टीम आ रही है या नहीं तो उनका जवाब था कि कॉलेज पहुंचने के बाद ही इस बारे में बता पाऊंगा। सोचने वाली बात है कि उस कॉलेज के खेल अधिकारी को यह मालूम ही नहीं था कि उनके कॉलेज की टीम बनी है या नहीं और वह खेलने आएगी या नहीं।

खेल अधिकारी रूचि नहीं दिखाते

खेलों के जानकारों की माने तो किसी भी खेल में कम टीमें आने का एक सबसे बड़ा कारण यह है कि कॉलेजों के खेल अधिकारी टीमें बनाने में रूचि ही नहीं लेते हैं। यह बात ठीक भी लगती है। इसी के साथ एक बात यह भी है कि जब भी विश्व विद्यालय के स्थान पर राजधानी में किसी खेल संस्था द्वारा आयोजन किया जाता है तो उस आयोजन में बहुत ज्यादा टीमें आ जाती हैं। इन आयोजनों में टीमें इसलिए आ जाती हैं क्योंकि खिलाड़ी भी रूचि दिखाते हैं, लेकिन जब विवि का आयोजन होता है तो खेल अधिकारियों के ध्यान न देने के कारण खिलाड़ी भी रूचि नहीं दिखाते हैं।

कम बजट के कारण स्पर्धा की खानापूर्ति

वालीबॉल स्पर्धा के आयोजन में एक बात यह भी सामने आई कि कम बजट होने के कारण स्पर्धा की केवल खानापूर्ति की जाती है। वालीबॉल का आयोजन दो दिन का होना था, इसके लिए उच्च शिक्षा विभाग से २५०० का ही बजट मिलने की बात आयोजक अग्रसेन कॉलेज के अधिकारियों ने बताई। इतना कम बजट होने के कारण आयोजन को एक दिन में ही निपटा दिया गया। कम टीमें होने के कारण खेल के जानकार और खिलाड़ी चाहते थे कि स्पर्धा को लीग कम नाकआउट करवाया जाए ताकि खिलाडिय़ों को ज्यादा मैच खेलने को मिले, लेकिन आयोजक कॉलेज ने स्पर्धा में शामिल कॉलेजों के खेल अधिकारियों से बात करके स्पर्धा को नाकआउट करवाया और महज दो घंटे में ही सारा खेल खत्म कर दिया गया।

डिग्री गल्र्स को खिताब

स्पर्धा में डिग्री गल्र्स कॉलेज ने खिताब पर कब्जा जमाया। स्पर्धा के पहले मैच में डागा कॉलेज ने साइंस कॉलेज को सीधे सेटों में २५-५, २५-१२ से परास्त किया। दूसरे मैच में महंत कॉलेज ने नवीन कॉलेज को कड़े मुकाबले में २५-२०, १४-२५, १५-१२ से मात दी। तीसरे मैच में डिग्री गल्र्स कॉलेज ने डागा कॉलेज को २५-१३, २५-११ से परास्त कर फाइनल में स्थान बनाया। यहां पर डिग्री गल्र्स कॉलेज ने महंत कॉलेज को एकतरफा मुकाबले में २५-८, २५-१५ से मात देकर खिताब जीत लिया। स्पर्धा के बाद राज्य स्पर्धा के लिए रायपुर सेक्टर की १६ संभावित खिलाडिय़ों का चयन किया गया। ये खिलाड़ी इस प्रकार हैं- चंदा कुमारी, मीना ढाडे, फरहत अंजुम, हेमलता जायसवाल, सुमन, रेणु निषाद, भारती पैकरा (डिग्री), सुलोचना सागर, सरोज वर्मा (महंत कॉलेज), ज्योति सिंह (साइंस कॉलेज), रश्मि देवांगन, कविता पटले (नवीन कॉलेज), मरलीन जोंस, मीनाक्षी शिवहारे (डागा कॉलेज), मनीषा यादव (अग्रसेन कॉलेज)।

कोई टिप्पणी नहीं:

हिन्दी में लिखें

खेलगढ़ Headline Animator

खेलगढ़ की चर्चा हिन्दुस्तान में