रविवार, 15 नवंबर 2009

साहसिक खेलों का जादू- बच्चे बकाबू

सप्रे स्कूल के मैदान में एक तरफ दो बड़े-बड़े मंचान बने हैं और उस पर एक-एक करके स्कूली बच्चे चढ़ रहे हैं और रस्सी के सहारे नदी को कैसे क्रास किया जाता है, वहीं कर रहे हैं। दूसरी तरफ दीवार की तरह एक बड़ा सा बोर्ड बना है जिसमें कुछ खांचे बने हैं जिनको पकड़ के स्कूली बच्चे ऊपर चढ़ रहे हैं। इन खेलों में स्कूली बच्चों को इतना ज्यादा रोमांच मिल रहा है कि बच्चे लंबी लाइन लगाकर अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। इन साहसिक खेलों से दो-चार होने के लिए हर कोई बेकाबू नजर आ रहा है।

साहसिक खेलों का यह आयोजन प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा बाल दिवस के अवसर पर प्रदेश बाल कल्याण परिषद की मांग पर किया गया है। यहां पर बाल महोत्सव के उद्घाटन के बाद से ही सबसे ज्यादा भीड़ खेल विभाग के इसी पंडाल में नजर आई। यहां पर पहले ही दिन शाम तक १०० से ज्यादा बच्चों ने पंजीयन करवाया और रोप वे के साथ वॉल क्याइमिंग का मजा लिया। बच्चों को इतना मजा आ रहा है कि कई बच्चे एक बार नहीं बार-बार इस रोमांच से दो-चार होने के लिए लाइन लगा रहे हैं। यहां पर फ्लाइंग फाक्स, सीलिंगरिंग के साथ जारविंग का भी खेल हो रहा है। जारविंग के खेल में बॉल के अंदर जाकर बाल को चलाने का काम किया जाता है।

ेखेल संचालक जीपी सिंह ने बताया स्कूली बच्चों को खेलों से जोडऩे के लिए यह आयोजन किया गया है। उन्होंने बताया कि साहसिक खेलों को इसलिए चुना गया है ताकि स्कूली बच्चों को यह न लगे कि उनको यहां पर खेलने के लिए ही बुलाया गया है। साहसिक खेलों का रोमांच ही सबको अपनी तरफ खींच लाता है। खेल विभाग ने साहसिक खेलों के साथ एक क्वीज का भी आयोजन किया है। इसके लिए हर स्कूल के पांच बच्चों को शामिल होने की इजाजत है। इस क्वीज में जो विजेता बनेंगे उनको तीन से चार दिनों के लिए दिसंबर या फिर जनवरी में भ्रमण पर ले जाया जाएगा। क्वीज के लिए भी बच्चे पंजीयन करवा रहे हैं।

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