सोमवार, 23 नवंबर 2009

आबाद होने से पहले ही मैदान बर्बाद


राजधानी के खेल मैदानों में दूसरे आयोजनों से खिलाड़ी परेशान


राजधानी रायपुर के स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में अभी आउटडोर स्टेडियम पूरी तरह से बन भी नहीं पाया है कि इसके बर्बाद होने का सिलसिला प्रारंभ हो गया है। इस मैदान को एक धार्मिक आयोजन के लिए देने के कारण एक राष्ट्रीय स्तर की फुटबॉल स्पर्धा का आयोजन खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। राजधानी के ज्यादातर मैदानों को दूसरे आयोजनों के लिए देने की वजह से खिलाड़ी परेशान हैं। सप्रे स्कूल के मैदान को हाई कोर्ट के निर्देश के बाद भी लगातार दूसरे आयोजनों के लिए दिया जा रहा है।
स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में इन दिनों एक बड़ा सा डोम लगाने का काम चल रहा है। इस डोम की वजह से मैदान की पूरी घास बर्बाद हो गई है। इस डोम को खेल के आयोजन के लिए नहीं बल्कि दूसरे आयोजन के लिए लगाया जा रहा है। यह आयोजन यहां पर ६ से १४ दिसंबर तक होगा। इस आयोजन की वजह से यहां पर २६ दिसंबर से होने वाली अखिल भारतीय फुटबॉल स्पर्धा के आयोजन को ङाटका लगा है। यह आयोजन खटाई में पड़ता नजर आ रहा है। आयोजकों का कहना है कि डोम को निकालने में १० दिनों से ज्यादा का समय लग जाएगा, ऐसे में आयोजन होना संभव नहीं है। आयोजन के लिए मैदान को तैयार करने में कम से कम तीन दिनों का समय चाहिए।


घास हो गई चौपट

राजधानी मे स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स के आउटडोर स्टेडियम में बना फुटबॉल का मैदान एक मात्र ऐसा मैदान है जिसमें घास है। इस घास वाले मैदान को लेकर खिलाडिय़ों में उत्साह था कि चलो इस मैदान के मिलने के बाद खिलाडिय़ों के मैदान की कमी दूर हो जाएगी और खिलाडिय़ों को गिरने पर चोट नहीं लगेगी। लेकिन इस मैदान के बसने से पहले ही उजडऩे की तैयारी हो गई है। दूसरे आयोजन के लिए जो डोम लगाया जा रहा है, उसकी वजह से घास चौपट हो गई है। फुटबॉल से जुड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि मैदान में घास उगाने के लिए कम से कम चार माह का समय लगता है और उसको चार दिनों में ही चौपट कर दिया गया। इसके पहले भी इस मैदान में रायपुर नगर निगम के एक नेता की बेटी की शादी की पार्टी देने के कारण मैदान खराब हो गया था, तब फिर से मैदान में घास उगाई गई। इसमें चार माह का समय लगा था। इस आयोजन के बाद एक और आयोजन यहां करवाया गया। अब फिर से एक बड़े आयोजन के लिए ैदान देने के कारण फिर से घास की बर्बादी हो रही है। जानकार कहते हैं कि डोम लगाने से पहले अगर रोलर चला दिया जाता तो घास को बचाया जा सकता था, पर ऐेसा नहीं किया गया। डोम लगाने का ठेका लेने वालों को इस बात से कोई मतलब नहीं रहता है कि मैदान खराब हो जाएगा। डोम लगाने लिए मैदान में हर तरफ गड्ढें कर दिए गए हैं। इन गड्ढों को पटाने में भी समय लगेगा। खिलाडिय़ों का कहना है कि जब निगम ने स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स का निर्माण प्रारंभ किया था तभी कहा गया था कि मैदानों को दूसरे आयोजनों के लिए नहीं दिया जाएगा, लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण मैदान के पूर्ण होने से पहले ही इसमें खेलों के स्थान पर दूसरे आयोजन होने लगे हैं।


हाई कोर्ट के निर्देशों का भी पालन नहीं

सप्रे शाला के मैदान को लगातार दूसरे आयोजनों के लिए देने के कारण सदर बाजार के एक क्रिकेट क्लब ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका लगाई तो इस याचिका पर मैदान को अन्य आयोजनों के लिए न देने के निर्देश दिए गए। इन निर्देशों के बाद भी मैदान को लगातार दूसरे आयोजनों के लिए दिया जा रहा है। पिछले माह यहां पर एक आयोजन किया गया, अब फिर से यहां पर १४ से १६ नवंबर तक एक और आयोजन किया गया। इस आयोजन के कारण मैदान बर्बाद हो गया है और हर तरफ कचरे के अलावा कुछ और नजर नहीं आता है। अगले माह मैदान को एक कांग्रेसी नेता की बेटी की शादी के लिए दे दिया गया है। इधर साइंस कॉलेज के मैदान का भी यही हाल है, वहां राज्योत्सव से लेकर हर बड़ा आयोजन होने के कारण यह मैदान भी खेलने लायक नहीं रह गया है।

मैदान खराब न करने की शर्तों पर दिया

मैदान को खेल की बजाए दूसरे आयोजन के लिए देने के बारे में जब महापौर सुनील सोनी ने पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैदान को खराब न करने की शर्तों पर दिया गया है। जब उनको बताया गया कि मैदान की घास तो पूरी तरह से चौपट हो रही है, तो इस पर उन्होंने कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया और कहा कि मैदान देने की मंजूरी उन्होंने नहीं निगम आयुक्त ने दी है और वैसे भी मैदान तो भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) को दे दिया गया है, इसके लिए उन्हीं से मंजूरी ली गई होगी। इस संबंध में खेल प्राधिकरण साई के क्षेत्रीय निदेशक आरके नायडू ने संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि मैदान अभी साई को सौंपा नहीं गया है और फिलहाल निगम आयुक्त के पास सारे अधिकार हैं, हमारे पास किसी भी आयोजन की मंजूरी के लिए कोई पत्र नहीं आया है।

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