प्रदेश की राजधानी के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के बचे काम के पूरे होने का ही इंतजार है। इसके पूर्ण होते ही छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ बड़े मैच लेने की कवायद में तेजी से जुट जाएगा। संघ ने जिस तरह से आईपीएल के मैच लेने के लिए तेजी दिखाई थी, उसके बाद से ही यह बात तय है कि संघ के लिए कोई भी बड़ा मैच लेना मुश्किल नहीं होगा। संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया कहते भी हैं कि बीसीसीआई की नजरों में यहां का स्टेडियम आ ही चुका है, ऐसे में किसी भी मैच की मेजबानी लेने में कोई परेशानी होने वाली नहीं है।
नई राजधानी के अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में अब तक कुछ काम बाकी है। अभी वहां पर जो काम होने हंै उसमें मुख्यत: अंदरूनी काम हैं। डे्रसिंग रूम के साथ प्रेस बाक्स और वीआईपी बाक्स का काम बचा हुआ है। इस काम के पूरा होने की ही राह प्रदेश क्रिकेट संघ देख रहा है। इसके काम में तेजी लाने के लिए संघ का एक प्रतिनिधि मंडल अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया से नेतृत्व में मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह से मिल भी चुका है। इस प्रतिनिधि मंडल से मिलने के बाद मुख्यमंत्री ने स्टेडियम के काम को तेजी से पूर्ण करने के निर्देश भी दिए हैं। उनके निर्देश के बाद यहां का एक दल मोहाली भी जाने वाला है ताकि वहां पर मैदान का रखरखाव कैसे किया जाता है इसकी जानकारी ले सके। स्टेडियम का काम पूरा होते ही स्टेडियम शासन के हवाले कर दिया जाएगा।
स्टेडियम की तारीफ बीसीसीआई के सदस्यों ने की है
स्टेडियम की बात की जाए तो राजधानी के इस नए स्टेडियम की चर्चा अब देश के साथ विदेशों में भी होने लगी है। आईपीएल के मैचों की मेजबानी मांगकर छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ ने इस स्टेडियम को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के नक्शे में ला दिया था। इस स्टेडियम की तारीफ यहां आए बीसीसीआई की उस कमेटी के सदस्यों ने भी की थी जो स्टेडियम का निरीक्षण आईपीएल के मैचों की मेजबानी देने के लिए करने आए थे। इन सदस्यों ने भी माना था कि बस थोड़ी सी सुविधाएं और हो जाएं तो यह स्टेडियम एशिया में कोलकाता के ईडन गार्डन के बाद एशिया में नंबर दो हो सकता है। वैसे छमता के हिसाब के तो यह एशिया के नंबर दो मोहाली के स्टेडियम से आगे है। अब जहां तक सुंदरता का सवाल है तो यह किसी मायने में मोहाली से कम नहीं है। इस स्टेडियम पर जब बीसीसीआई की कमेटी के सदस्यों धीरज मल्होत्रा, दलजीत सिंह के साथ दिल्ली क्रिकेट संघ के सचिव सुनील देव के कदम पड़े थे तो उनको भी नहीं मालूम था कि वे एक ऐसे स्टेडियम का निरीक्षण करने के लिए आए हैं जो वास्तव में एशिया में नंबर दो है। इस स्टेडियम का निरीक्षण करते हुए सभी सदस्य काफी खुश हुए कि छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में इतना बड़ा स्टेडियम बना है। प्रदेश संघ से जुड़े कुछ पदाधिकारियों ने बताया कि उनको खुद धीरज मल्होत्रा ने यह कहा कि वास्तव में ऐसे स्टेडियम की कल्पना तो उन्होंने नहीं की थी कि ऐसा स्टेडियम रायपुर में हो सकता है। उन्होंने जब यहां का ड्रेसिंग रूम देखा तो आश्चर्य में पड़ गए कि यहां के ड्रेसिंग रूम में सोना बाथ के साथ स्टीम बाथ की सुविधा तो है ही साथ ही यहां पर आईस टप भी है। इसके अलावा मसाज बैड और किट बैड स्टैंड भी है। देश में ऐसे काफी कम स्टेडियम हैं जहां पर ड्रेसिंग रूम में ऐसी सुविधा हैं। वैसे अभी ड्रेसिंग रूम का काम होना बाकी है। इसको इस तरह से निखारा जाएगा कि अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी यहां आकर इसकी तारीफ किए बिना न रहें।
९० यार्ड में बना है मैदान
स्टेडियम के मैदान के बारे में प्रदेश संघ के विशेषज्ञों के मुताबिक मैदान इतना बड़ा है कि मैच के लिए बाऊंड्री की रेखा खींचने के बाद भी २५ से ३० फीट की जगह बच जाती है। ज्यादातर मैदानों में तो बाऊंड्री को मैदान के अंतिम छोर पर बनाना पड़ता है। लेकिन रायपुर का मैदान ९० यार्ड में बना है। ज्यादातर वनडे मैचों में ज्यादा से ज्यादा ८० यार्ड के अंदर बाऊंड्री बनती है। इसी तरह से २०-२० मैचों में बाऊंड्री की सीमा ६५ से ७० यार्ड के अंदर रहती है। इस लिहाज से रायपुर का स्टेडियम काफी बड़ा है। इसके ९० यार्ड में होने की जानकारी होने पर बीसीसीआई के मैदान समिति के प्रमुख दलजीत सिंह भी काफी खुश हुए थे। उन्होंने मैदान का पूरा चक्कर लगाकर आऊटफील्ड को भी देखा था और इसकी आऊटफील्ड की खुले दिले से तारीफ भी की थी। यहां यह बताना लाजिमी होगा कि रायपुर स्टेडियम की आऊटफील्ड किसी भी मायने में मोहाली के स्टेडियम से कम नहीं है। सुंदरता के मामले में भी मोहाली से स्टेडियम कम नहीं है। बस इसकी सुंदरता को थोड़ा सा और निखारने की जरूरत है। जहां तक विकेट का सवाल है तो यहां भी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियमों की तरह ९ विकेट हैं जो खेलने के लिए हैं।
क्षमता में नंबर दो ही है
स्टेडियम की जहां तक क्षमता का सवाल है तो यह एशिया में क्षमता के हिसाब से नंबर दो पर है। पहले नंबर के स्टेडियम कोलकाता के ईडन गार्डन की क्षमता जहां एक लाख है, वहीं एशिया में दूसरे नंबर पर माने जाने वाले स्टेडियम मोहाली की क्षमता ६० हजार है। रायपुर के स्टेडियम की क्षमता इस समय ६५ हजार है। वैसे विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि इस क्षमता को और बढ़ाया जा सकता है। विशेषज्ञों की मानेें तो अगर स्टेडियम में प्रथम तल के बाद की गैलरी में अगर कुर्सियां न लगाई जाएं तो इसकी क्षमता ८० हजार से ज्यादा हो सकती है। और अगर किसी भी गैलरी में कुर्सियां न लगाई जाएं तो क्षमता एक लाख से ज्यादा हो सकती है। उल्लेखनीय है कि जब सितंबर २००८ में यहां पर स्टेडियम का उद्घाटन हुआ था और एक मैत्री मैच का आयोजन किया गया था तो गैलरियोंं में कुर्सियां न लगाने के कारण ही स्टेडियम में करीब एक लाख दर्शक आ गए थे। यह इस बात का सबूत है कि वास्तव में गैलरियों को अगर कुर्सियों से मुक्त रखा जाए तो स्टेडियम की क्षमता ईडन गार्डन जितनी हो सकती है।
अंतरराष्ट्रीय मैच करवाने तैयार हैं: भाटिया
छत्तीसगढ़ स्टेट क्रिकेट संघ के अध्यक्ष बलदेव सिंह भाटिया का साफ शब्दों में कहना है कि स्टेडियम का काम पूरा होने ही यहां पर अंतराष्ट्रीय मैच करवाया जाएगा। इसके लिए हमारा संघ तो काफी पहले से तैयार है। अगर आईपीएल के मैच द. अफ्रीका नहीं जाते तो यहां के खेल प्रेमियों को अब तक अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों का जलवा देखने का मौका मिल गया होता। बहरहाल हम लोग अब भी तैयार हैं और जल्द अंतरराष्ट्रीय मैच करवाएं। वैसे तो स्टेडियम में अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों के कदम पड़ चुके हैं, लेकिन तब मैच मैत्री मैच था, लेकिन अब होने वाला मैच एक पेशेवर मैच होगा।
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