शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

छत्तीसगढ़ की मेजबानी को खिलाडिय़ों ने कोसा

पहली बार किसी राष्ट्रीय स्पर्धा में छत्तीसगढ़ की मेजबानी के खिलाड़ी कायल होकर नहीं लौटे और मेजबानी को लेकर खिलाडिय़ों में नाराजगी रही। खिलाडिय़ों को आयोजकों द्वारा की गई व्यवस्था रास नहीं आई, भले आयोजक सबसे अच्छी व्यवस्था करने का राग अलापते रहे। खिलाडिय़ों को खाने को लेकर जहां शिकायत रही, वहीं मैदान से बहुत ज्यादा दूर ठहराए जाने को लेकर भी खिलाड़ी खफा रहे। खिलाडिय़ों की नाराजगी उस समय चरम पर पहुंच गई। जब उनको अंतिम दिन कम रौशनी में भी तीर चलाने के लिए मजबूर किया गया।

राष्ट्रीय तीरंदाजी का आयोजन स्पोट्र्स काम्पलेक्स रायपुर में प्रदेश तीरंदाजी संघ द्वारा किया गया था। इस आयोजन में देश भर के तीरंदाज जुटे। छत्तीसगढ़ की मेजबानी को लेकर देश भर से आए तीरंदाजों को यह जानकारी थी कि यहां की मेजबानी जैसी मेजबानी पूरे देश में नहीं होती है। ऐसा इसलिए कि जितने भी राज्यों के तीरंदाज यहां आए थे, वे अन्य खेलों के खिलाडिय़ों से छत्तीसगढ़ की मेजबानी की तारीफ सुन चुके थे। ऐसे में उनको यह तो गुमान ही नहीं था कि जिस राज्य की मेजबानी की तारीफ करते पूरे देश के खिलाड़ी नहीं थकते हैं, उस राज्य में तीरंदाजी की मेजबानी ठीक नहीं होगी। खिलाडिय़ों को पहले दिन से ही परेशानियों का सामना करना पड़ा। सबसे पहले तो खाने को लेकर खिलाडिय़ों को शिकायत रही कि खाना ठीक नहीं मिल रहा है। खाने की वजह से ही महाराष्ट्र के दो खिलाड़ी बीमार पड़ गए थे। खाने को लेकर आयोजक लगातार कहते रहे कि सबसे अच्छा खाना खिलाया जा रहा है। लेकिन हकीकत इससे परे थी कि कई खिलाडिय़ों को खाली पेट तीर चलाने पड़े। इन खिलाडिय़ों ने आयोजकों से शिकायत भी की पर कोई सुनने वाला नहीं था।

खाने के बाद खिलाडिय़ों को इस बात को लेकर भी परेशानी थी कि उनके रहने का इंतजाम मैदान से बहुत दूर किया गया था। इस बारे में जहां आयोजकों का कहना है कि पहले स्पोट्र्स कॉम्पलेक्स में ही खिलाडिय़ों को ठहरा जा रहा था, पर व्यवस्था ठीक न होने के कारण उनको दूर ठहराया गया। खेलों से जुड़े लोग कहते हैं कि शहर के बीच में ही खिलाडिय़ों को ठहराने के लिए कई स्थान होने के बाद भी खिलाडिय़ों को इतने दूर ठहराने का औचित्य समझ नहीं आया।

बाहर के आए खिलाडिय़ों की नाराजगी का एक कारण यह भी रहा कि उनको यह बताने वाला कोई नहीं था कि वे किस पोजीशन में चल रहे हैं। पहले दिन के मुकाबलों के परिणाम दूसरे दिन देर शाम घोषित किए गए। खिलाड़ी क्या मीडिया वालों को भी परिणामों के लिए भटकना पड़ा। स्पर्धा के अंतिम दिन उस समय सारी हदें पार हो गईं जब खिलाडिय़ों को कम रौशनी में भी तीर चलाने मजबूर किया गया। खिलाडिय़ों में इस बात को लेकर भारी रोष रहा। कई राज्यों के खिलाडिय़ों ने पूछने पर कहा कि हमारी मजबूरी यह है कि हम लोग अगर कुछ शिकायत करते हैं तो हमें राष्ट्रीय स्पर्धाओं से जहां वंचित कर दिया जाएगा, वहीं भारतीय टीम में स्थान देने के रास्ते बंद कर दिए जाएंगे। कई राज्यों के खिलाडिय़ों ने नाम न छापने की शर्त पर ही ऐसी बातें बताईं कि छत्तीसगढ़ की मेजबानी सबसे खराब रही है और इतनी खराब व्यवस्था पहले किसी और आयोजन में हम लोगों ने नहीं देखी है।

यहां पर यह बताना लीजिमी होगा कि छत्तीसगढ़ बनने के बाद यहां पर जितने भी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय आयोजन हुए हैं सभी की देश-विदेश से आए खिलाड़ी तारीफ करते ही लौटे हैं, पहली बार ऐसा हुआ कि किसी राष्ट्रीय स्पर्धा की मेजबानी में छत्तीसगढ़ को खिलाड़ी कौसते हुए लौटे हैं।

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