प्रदेश संघ को भी नहीं मालूम कब आएगा पत्र
३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी छत्तीसगढ़ को मिल तो गई है, पर अब तक प्रदेश सरकार के पास भारतीय ओलंपिक संघ से कोई अधिकृत पत्र नहीं आया है, जबकि मेजबानी के लिए ५० लाख की सुरक्षा राशि जहां जमा की जा चुकी है, वहीं मेजबानी मिलने के लिए दिए जाने वाले दो करोड़ की राशि को भी प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है। छत्तीसगढ़ ओलंपिक संघ भी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि पत्र कब आएगा। संघ के महासचिव बशीर अहमद खान कहते हैं कि भारतीय ओलंपिक संघ कामनवेल्थ खेलों की तैयारी में लगा है इस वजह से पत्र आने में विलंब हो रहा है।
छत्तीसगढ़ को ३७वें राष्ट्रीय खेलों की मेजबानी मिले करीब ४० दिनों का समय हो गया है। इस मेजबानी का फैसला दिल्ली में ६ दिसंबर को भारतीय ओलंपिक संघ की बैठक में लिया गया है। छत्तीसगढ़ के साथ मेजबान के दो और दावेदार थे, लेकिन छत्तीसगढ़ ने जहां मेजबानी के दावे के लिए ५० लाख का सुरक्षा धन जमा कर दिया था, वहीं मेजबानी के लिए खेल मैदानों की स्थिति के बारे में भी पूरी जानकारी ओलंपिक संघ के सामने रख दी थी। छत्तीसगढ़ को हर स्थिति में सक्षम मानते हुए मेजबानी उसको देने की घोषणा कर दी गई। मेजबानी मिलने के बाद से प्रदेश में खेल संघों के साथ खिलाडिय़ों में भारी उत्साह भी है। लेकिन इस मेजबानी के मिलने की अभी तक अधिकृत सूचना भारतीय ओलंपिक संघ ने न तो प्रदेश सरकार को भेजी है और न ही प्रदेश ओलंपिक संघ को। इस बारे में जहां एक तरफ प्रदेश के खेल एवं युवा कल्याण विभाग के संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि उनके विभाग को भी ओलंपिक संघ के पत्र आने का इंतजार है। इधर प्रदेश ओलंपिक संघ के महासचिव बशीर अहमद खान से इसके बारे में जानने जब संपर्क किया गया तो उन्होंने कहा कि अब तक पत्र नहीं आया है। उनसे जब पूछा गया कि ऐसी कोई समय सीमा नहीं है क्या कि जिसमें पत्र भेजा जाए, तो उन्होंने बताया कि चूंकि भारतीय ओलंपिक संघ इस समय पूरी तरह से कामनवेल्थ की तैयारी में है ऐसे में पत्र भेजने में विलंब हो रहा है। उन्होंने आशा जताई कि मार्च तक तो पत्र आ ही जाएगा।
ओलंपिक संघ से पत्र न आने को लेकर तरह-तरह की शंकाए जताई जा रही हैं। खेलों से जुड़े लोग कहते हैं कि भारतीय ओलंपिक संघ का यह रवैय्या समङा से परे है कि जिस कामनवेल्थ में अभी करीब १० माह का समय है, उसका हवाला देकर एक पत्र भेजने में इतना विलंब किया जा रहा है। खेलों के जानकार कहते हैं कि ओलंपिक संघ के ऐसे ही रवैय्ये के कारण लगता है कि राष्ट्रीय खेलों के आयोजन में विलंब होता है। कुछ खेलों के जानकार तो यहां तक कहने से नहीं चूक रहे हैं कि मेजबानी मिली भी है या नहीं। वैसे यह कहना गलत होगा कि मेजबानी नहीं मिली होगी।
पत्र आने के बाद भी भेजे जाएंगे दो करोड़
मेजबानी मिलने के बाद भारतीय ओलंपिक संघ को जो दो करोड़ की राशि और देनी है, उसकी मंजूरी भी प्रदेश सरकार ने विधासभा के अनुपूरक बजट में दे दी है। अब इस राशि को तब तक ओलंपिक संघ को नहीं भेजा जा सकता है जब तक वहां से मेजबानी मिलने का अधिकृत पत्र नहीं आ जाता है। खेल संचालक जीपी सिंह कहते हैं कि मेजबानी मिलने के अधिकृत पत्र आने का ही खेल विभाग को इंजतार है। यह पत्र आते हैं दो करोड़ की राशि देने के लिए विभाग के अधिकारी दिल्ली जाएंगे।
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