श्रीलंका के दौरे पर जाने वाली भारत की अंडर १३ साल की बालिका फुटबॉल टीम की संभावित खिलाडिय़ों में शामिल रायपुर की सुप्रिया कुरकेती के साथ निकिता स्विसपन्ना ने कहा कि अब उनका एक मात्र मकसद भारतीय टीम में शामिल होना है। इनकी कोच सरिता कुजूर ने भी उम्मीद जताई है कि इन खिलाडिय़ों का चयन भारतीय टीम में हो जाएगा।
तिरूअंतपुरम में दो फरवरी से प्रारंभ होने वाले प्रशिक्षण शिविर में जाने से पहले यहां पर चर्चा करते हुए सुप्रिया कुरकेती ने पूछने पर बताया कि वह तीन साल से फुटबॉल खेल रही हैं और अब तक चार राष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल चुकी हैं। पहली बार वहां २००७ में भुवनेश्वर में खेली थीं, इसके बाद अगले साल २००८ में वह फिर अंडर १३ की राष्ट्रीय स्पर्र्धां में खेलीं। २००९ में राष्ट्रीय स्कूली स्पर्धा और इस साल चेन्नई में वह राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलीं तो इसी स्पर्धा में प्रदर्शन के आधार पर उनका चयन भारत की संभावित टीम में हो गया।
सुप्रिया के साथ निकिता स्विसपन्ना का भी चयन हुआ है। निकिता को अभी एक साल भी नहीं हुआ है खेलते। इस एक साल में वह राष्ट्रीय स्कूली खेलों के साथ चेन्नई की राष्ट्रीय स्पर्धा में खेलीं और भारत की संभावित टीम में शामिल हो गर्इं। यह दोनों १२ साल की खिलाड़ी हैं और आत्मविश्वास के साथ कहती हैं कि उनका चयन उसके खेल के कारण भारतीय टीम में जरूर हो जाएगा।
इन दोनों खिलाडिय़ों की कोच सरिता कुजूर को भी उम्मीद है कि दोनों का चयन भारतीय टीम में हो सकता है। वह बताती हैं दोनों खिलाडिय़ों में खेल के प्रति बहुत ज्यादा लगन है और दोनों खूब मेहनत करती हैं।
ओवरएज पर अंकुश जरूरी: मुश्ताक
प्रदेश फुटबॉल संघ के जोनल सचिव मुश्ताक अली प्रधान कहते हैं कि सुप्रिया और निकिता का खेल ऐसा है कि इनका चयन भारतीय टीम में हो जाना चाहिए। वे कहते हैं कि एक ही बाधा इनके चयन में आ सकती है वह है ओवरएज। ज्यादातर राज्यों में ओवरएज खिलाड़ी खेलते हैं। हमारी दोनों खिलाड़ी १२ साल की है, लेकिन दूसरे राज्यों की १६ साल तक की खिलाड़ी अंडर १३ साल में खेलती हैं। इन खिलाडिय़ों पर अंकुश न होने के कारण सही प्रतिभाओं का चयन नहीं हो पाता है। भारतीय फुटबॉल फेडरेशन को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए।
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